चुनाव आयोग ने गुरुवार (14 मार्च) को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर जारी किया। वेबसाइट पर 763 पेजों की दो लिस्ट अपलोड की गई हैं। एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी है। दूसरी में राजनीतिक दलों को मिले बॉन्ड की डिटेल है।
चुनावी बॉन्ड का डेटा 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक का है। राजनीतिक पार्टियों को सबसे ज्यादा चंदा देने वाली कंपनी फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज पीआर है, जिसने 1,368 करोड़ के बॉन्ड खरीदे। कंपनी ने ये बॉन्ड 21 अक्टूबर 2020 से जनवरी 24 के बीच खरीदे। कंपनी के खिलाफ लॉटरी रेगुलेशन एक्ट 1998 के तहत और आईपीसी के तहत कई मामले दर्ज हैं।
भाजपा सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टी है। भाजपा को सबसे ज्यादा 6,060 करोड़ रुपए मिले हैं। चुनावी बॉन्ड इनकैश कराने वाली पार्टियों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, AIADMK, बीआरएस, शिवसेना, TDP, YSR कांग्रेस, डीएमके, JDS, एनसीपी, जेडीयू और राजद भी शामिल हैं।
चुनाव आयोग ने https://eci.gov .in/candidate-politicparty पर चुनावी बॉन्ड का डेटा अपलोड किया है। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को 15 मार्च तक डेटा सार्वजनिक करने का आदेश दिया था। इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने 12 मार्च 2024 को सुप्रीम कोर्ट में डेटा सबमिट किया था। कोर्ट के निर्देश पर SBI ने चुनाव आयोग को बॉन्ड से जुड़ी जानकारी दी थी।
दोनों लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों और इन्हें इनकैश कराने वालों के तो नाम हैं, लेकिन यह पता नहीं चलता कि किसने यह पैसा किस पार्टी को दिया?
इस मामले में याचिका लगाने वाले ADR के वकील प्रशांत भूषण ने सवाल उठाया कि एसबीआई ने वह यूनिक कोड नहीं बताया, जिससे पता चलता कि किसने-किसे चंदा दिया। ऐसे में कोड की जानकारी के लिए वे फिर सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं।
कांग्रेस ने इलेक्टोरल बॉन्ड के डेटा पर सवाल उठाए हैं। पार्टी ने कहा, दानदाताओं और इसे लेने वालों के आंकड़े में अंतर है। दानदाताओं में 18,871 एंट्री है, जबकि लेने वालों में 20,421 की एंट्री है। पार्टी ने यह भी पूछा है कि यह योजना 2017 में शुरू हुई थी तो इसमें अप्रैल 2019 से ही डेटा क्यों है?
आयोग का कहना है कि उसे यह जानकारी एसबीआई से ऐसी ही मिली है। 2019 से 2024 के बीच 1334 कंपनियों-लोगों ने कुल 16,518 करोड़ रु. के बॉन्ड खरीदे। 27 दलों ने भुनाए।
भाजपा को 1-1 करोड़ कीमत वाले 5854 बाॅन्ड मिले
पार्टी 1 करोड़ 10 लाख एक लाख 10 हजार 1 हजार कुल
भाजपा 5854 1994 706 48 31 8633
तृणमूल 1467 1354 410 30 14 3305
कांग्रेस 1318 958 800 65 5 3146
बीआरएस 1181 310 267 39 9 1806
बीजद 766 95 — — — 860
SBI के चेयरमैन दिनेश कुमार ने बुधवार, 13 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट फाइल की थी। उन्होंने इसमें कहा- हमने ECI को पेन ड्राइव में दो फाइलें दी हैं। एक फाइल में बॉन्ड खरीदने वालों की डिटेल्स हैं। इसमें बॉन्ड खरीदने की तारीख और रकम का जिक्र है। दूसरी फाइल में बॉन्ड इनकैश करने वाले राजनीतिक दलों की जानकारी है।
लिफाफे में 2 PDF फाइल भी हैं। ये PDF फाइल पेन ड्राइव में भी रखी गई हैं, इन्हें खोलने के लिए जो पासवर्ड है, वो भी लिफाफे में दिया गया है। एफिडेविट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट को दिया गया डेटा 12 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 के बीच खरीदे और इनकैश कराए गए बॉन्ड का है।
SBI के मुताबिक, 1 अप्रैल से 11 अप्रैल, 2019 तक 3 हजार 346 चुनावी बॉन्ड खरीदे गए थे। इनमें 1 हजार 609 इनकैश कराए गए। 1 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 के बीच कुल 22 हजार 217 बॉन्ड खरीदे गए। 12 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 तक कुल खरीदे गए चुनावी बॉन्ड की संख्या 18,871 थी। इनमें 20 हजार 421 बॉन्ड इनकैश कराए गए।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 मार्च को SBI को डेडलाइन दी थी
इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने से जुड़े केस में SBI की याचिका पर 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी। SBI ने कोर्ट से कहा था- बॉन्ड से जुड़ी जानकारी देने में हमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसके लिए कुछ समय चाहिए। इस पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा- पिछली सुनवाई (15 फरवरी) से अब तक 26 दिनों में आपने क्या किया?
सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा- SBI 12 मार्च तक सारी जानकारी का खुलासा करे। इलेक्शन कमीशन सारी जानकारी को इकट्ठा कर 15 मार्च शाम 5 बजे तक इसे वेबसाइट पर पब्लिश करे।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी थी। साथ ही SBI को 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी 6 मार्च तक इलेक्शन कमीशन को देने का निर्देश दिया था।
4 मार्च को SBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर इसकी जानकारी देने के लिए 30 जून तक का वक्त मांगा था। इसके अलावा कोर्ट ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की उस याचिका पर भी सुनवाई की, जिसमें 6 मार्च तक जानकारी नहीं देने पर SBI के खिलाफ अवमानना का केस चलाने की मांग की गई थी।