असमय मृत्यु के भय से कभी संन्यासी की तरह रहे कीरवानी, जब तक सही मुहुर्त न हो कार से नहीं उतरते

एम.एम. कीरवानी को RRR के गाने नाटू-नाटू के लिए ऑस्कर अवॉर्ड मिला है। अधिकांश उत्तर भारतीय दर्शकों ने इन्हें पहली बार ही सुर्खियों में देखा है। लेकिन यह तय है कि इन्हें पिछले 25 वर्षों से सुन रहे हैं। ‘तू मिले दिल खिले’, ‘तुम आए तो आया मुझे याद गली में आज चांद निकला’ और ‘जादू है नशा है’ ये कीरवानी की रची वो सदाबहार धुनें हैं, जो लंबे समय से हमारे कानों में मिठास घोलती रहीं हैं। कीरवानी के जीवन में संगीत का सफर चार साल की उम्र में शुरू हुआ था। तब उन्होंने वायलिन सीखना शुरू किया था। बीच में एक दौर वह भी आया, जब जमा-जमाया नाम बदलकर उन्होंने एमएम करीम के नाम से संगीत दिया।

हुआ यूं था कि इनकी पत्नी एम.एम. श्रीवल्ली गर्भवती थीं। तब इनके गुरु ने बताया कि कीरवानी को असमय मृत्यु का खतरा है। यह खतरा तभी टल सकता है जब वे परिवार से पूरे डेढ़ वर्ष तक दूर संन्यासी की तरह रहें। कीरवानी ने गुरु का आदेश मान लिया। गुरु के कहने पर ही नाम बदलकर काम किया। कीरवानी ने तमिल फिल्मों में मराकादमनी के नाम से संगीत दिया। वे ग्रह नक्षत्र और शुभ, अशुभ को बहुत मानते हैं।

कहा जाता कि अपनी कार में तब तक बैठे रहते हैं जब तक कि उतरने का सही समय नहीं हो जाता है। यही नहीं, मुहूर्त देखकर ही किसी समारोह में जाते हैं। उन्होंने तमिल, मलयालम, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया है। 2023 गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड्स में इन्हें फिल्म आरआरआर के गाने ‘नाटू नाटू’ के लिए सर्वश्रेष्ठ ओरिजिनल सॉन्ग का पुरस्कार मिला है। एमएम कीरवानी का यह फोटो कैलिफोर्निया में आयोजित गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड कार्यक्रम का है।
राजामौली के चचेरे भाई कीरवानी का जन्म 4 जुलाई 1961 को आंध्रप्रदेश के कोव्वुर शहर में तेलुगु फिल्मों के जाने माने गीतकार, स्क्रीन राइटर कोडुरी शिव शक्ति दत्ता के घर हुआ। कीरवानी को संगीत की शिक्षा विरासत में मिली है। शिव शक्ति एसएस राजामौली के पिता केवी विजयेंद्र के सगे भाई हैं। यानी राजामौली और एमएम कीरवानी आपस में चचेरे भाई हैं। कीरवानी के भाई कल्याणी मलिक भी सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर हैं। उन्होंने प्रोड्यूसर एमएम श्रीवल्ली से शादी की है, जो राजामौली की एक्स-वाइफ रामा राजामौली की बहन हैं। उनके बड़े बेटे काल भैरव ने ही गाने ‘नाटू नाटू’ को गाया है। उनके छोटे बेटे श्री सिम्हा ने हाल ही में टॉलीवुड में बतौर एक्टर करियर शुरू किया है।
एम.एम. करवानी ने करियर की शुरुआत असिस्टेंट म्यूजिक डायरेक्टर के तौर पर की थी। 1987 में तेलुगु फिल्म Collector Gari Abbayi उनकी पहली फिल्म थी। 1990 बनी फिल्म कल्कि से उन्हें बड़ा ब्रेक मिला, लेकिन यह फिल्म कभी रिलीज नहीं हो पाई। उसी साल डायरेक्टर राजामौली की फिल्म ‘मनसु ममता’ ने कीरवानी को लाइमलाइट में ला दिया। इस फिल्म के म्यूजिक की खूब तारीफ हुई। हालांकि इन्हें असली पहचान रामगोपाल वर्मा की 1991 में आई फिल्म ‘क्षण क्षणम्’ से मिली, जिसने कीरवानी को म्यूजिक डायरेक्टर के तौर पर स्थापित किया। फिल्म के सभी गाने ब्लॉकबस्टर रहे। कीरवानी ने ‘इस रात की सुबह नहीं’, ‘सुरः द मेलोडी ऑफ लाइफ’, ‘जख्म’, ‘साया’, ‘रोग’, ‘पहेली’ और ‘जिस्म’ जैसी बॉलीवुड फिल्मों का म्यूजिक भी दिया है।
एसएस राजामौली और एम.एम. कीरवानी अब तक 13 फिल्मों में साथ काम कर चुके हैं।
कीरवानी को 8 फिल्म फेयर अवॉर्ड, आंध्र प्रदेश के 11 नंदी अवॉर्ड और तमिलनाडु फिल्म अवॉर्ड मिल चुका है।
इनके भाई कल्याण भी चार बार अपना नाम बदल चुके हैं।
90 के दशक में एक तमिल मैगजीन को दिए साक्षात्कार में कीरवानी ने संगीत को नापसंद करने की बात कही थी। कहा वे संगीत बहुत कम सुनते हैं।
2014 में इन्होंने घोषणा की थी कि 8 दिसंबर 2016 को म्यूजिक इंडस्ट्री में 27 साल पूरे होने पर वे रिटायरमेंट ले लेंगे। 9 दिसंबर 1989 को चेन्नई के प्रसाद स्टूडियो में उन्होंने अपना पहला गाना रिकॉर्ड किया था।
कीरवानी ने मात्र 4 साल की उम्र में वायलिन सीखना शुरू कर दिया था। 10 साल की उम्र में ट्रैवलिंग बैंड प्राणलिंगम अकॉर्डियन पार्टी के लिए वो वायलिन बजाते थे।