भारत समेत अन्य देशों से आने वाले अपने निवासियों के लिए यात्रा प्रतिबंधों में दुबई ने दी ढील

दुबई (Dubai) ने भारत (India) समेत कई अन्य देशों से आने वाले अपने निवासियों के लिए यात्रा प्रतिबंधों में ढील दी है. हालांकि, ऐसे लोगों के लिए यूएई द्वारा स्वीकृत कोविड-19 टीके (Covid-19 Vaccines) की दोनों खुराक (Dose) लेना अनिवार्य है. मीडिया में आई खबर में यह जानकारी दी गई है. गल्फ न्यूज की खबर के मुताबिक, दुबई में संकट और आपदा प्रबंधन की सर्वोच्च समिति ने दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया व भारत से आने वाले यात्रियों के संबंध में दुबई के यात्रा प्रोटोकॉल के अद्यतन होने की घोषणा की. इस समिति की अगुवाई शेख मंसूर बिन मोहम्मद बिन राशिद मख्तूम ने की.

इसके मुताबिक, भारत से दुबई आने वाले ऐसे यात्रियों को केवल वैध रिहायशी वीजा की आवश्यकता होगी जोकि संयुक्त अरब अमीरात द्वारा मान्य कोविड-19 टीके की दोनों खुराक ले चुके हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, यूएई सरकार ने जिन चार टीकों को मान्यता दी है उनमें सिनोफार्मा, फाइजर-बायोनटेक, स्पूतनिक-वी और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का टीका शामिल है.

करीब 30 लाख लोगों को घर छोड़कर भागना पड़ा

वहीं, संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि कोविड-19 संकट के कारण दुनियाभर में लोगों की आवाजाही बाधित होने के बावजूद पिछले साल करीब 30 लाख लोगों को अपने घरों को छोड़कर भागना पड़ा. ये लोग युद्ध, हिंसा, उत्पीड़न और मानवाधिकार उल्लंघनों व अन्य कारणों की वजह से ऐसा करने को मजबूर हुए. यूएनएचआरसी ने अपनी ताजा ‘ग्लोबल ट्रेंड्स’ रिपोर्ट में कहा कि दुनियाभर में विस्थापितों की कुल संख्या बढ़कर 8.24 करोड़ हो गई है जो करीब-करीब जर्मनी की आबादी जितनी है और यह द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद नया रिकार्ड है.

संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थियों के लिए उच्चायुक्त फिलिप्पो ग्रांदी ने कहा कि मोजाम्बिक, इथियोपिया के टिग्रे क्षेत्र और अफ्रीका के साहेल इलाके जैसे स्थानों में संघर्ष और जलवायु परिवर्तन का असर 2020 में शरणार्थियों के विस्थापन की मुख्य वजहों में से एक है. लगातार नौवें साल मजबूरन विस्थापितों की संख्या में वार्षिक वृद्धि हुई है. ग्रांदी ने कहा, ”ऐसे साल में जब हम सभी अपने शहरों, समुदायों में अपने घरों तक सिमटकर रह गए तो लगभग 30 लाख लोगों को असल में विस्थापित होना पड़ा क्योंकि उनके पास कोई और विकल्प नहीं था.”