चीन की तानाशाही एक बार फिर उजागर हो गई है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सिचुआन प्रक्षेत्र में चीनी प्रशासन ने कई तिब्बती भिक्षुओं को गिरफ्तार कर लिया और उनकी पिटाई भी की है। दरअसल हाल ही में चीन ने भगवान बुद्ध की एक विशाल प्रतिमा को तोड़ दिया है। चीनी अधिकारियों को शक था कि उसकी इस करतूत के बारे में तिब्बती भिक्षुओं ने बाहरी लोगों को बताया है। जिसके बाद इसी संदेह में आकर उसने तिब्बती भिक्षुओं के साथ यह बर्बरता की है। एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश के लुओ काउंटी (ड्रैगो)में 99 फुट लंबे बुद्ध की मूर्ति को नष्ट कर दिया गया है।
कि चीनी अधिकारियों ने दिसंबर के महीने में इस मूर्ति को यह कहते हुए नष्ट कर दिया कि यह काफी ज्यादा लंबा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि स्थानीय तिब्बती भिक्षुओं को जबरन इस कार्रवाई को दिखाया गया। दरअसल चीन तिब्बत के राष्ट्रीय संस्कृति को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता है और इसी अभियान के तहत ऐसा किया गया है।
ड्रागो के गाडेन नम्गयाल मठ से अब तक 11 भिक्षुओं को गिरफ्तार कर लिया गया है। इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने प्रतिमा को नष्ट करने का वीडियो और फोटो प्रक्षेत्र के बाहर शेयर किया है। कहा जा रहा है कि मठ से अबोट पेल्गा, उनके सायक नियामा और भिक्षु ताशी डोर्जे को हिरासत में लिया गया है। चीनी अधिकारियों ने कहा कि उन्हें पाठ पढ़ाने की जरूरत है।
यह बात भी निकलकर सामने आई है कि इनकी बेरहमी से पिटाई की गई है और जेल में इन्हें खाना तक नहीं दिया गया। एक भिक्षु की इतनी पिटाई की गई है उनकी एक आंख पर गंभीर चोट आई है। न्यूयॉर्क के एक मानवाधिकार कार्यकर्ता सोफी रिचर्डसन ने बुद्ध मूर्ति को तोड़े जाने और तिब्बती भिक्षुओं पर अत्याचार को लेकर कहा कि चीन में इस धर्म को मानने वाले लोगों को कानूनी या संवैधानिक अधिकार नहीं मिलते।