दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या को लेकर अस्पतालों में जाने वाले लोगों की संख्या में एक सप्ताह के अंदर दोगुना वृद्धि हुई है। यह दर 22 फीसदी से बढ़कर 44 फीसदी तक हो गई। वायू प्रदूषण के चलते लॉकडाउन लगाने को लेकर लोगों की राय बंटी हुई है। यह जानकारी सोमवार को लोकल सर्कल्स द्वारा जारी सर्वेक्षण में सामने आई है।
सर्वेक्षण के अनुसार पिछले दो सप्ताह में डॉक्टर या अस्पताल जाने वाले परिवारों की दर 22 से बढ़कर 44 फीसदी हो गई है। प्रदूषण के दूसरे सप्ताह में 86 फीसदी परिवार दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषित आबोहवा के चलते एक या अधिक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। लगभग 56 फीसदी परिवारों में एक या एक से अधिक सदस्य प्रदूषित हवा के कारण गले में खराश, खांसी और आंखों में जलन जैसी कई स्थितियों का सामना कर रहे है।
इस सर्वेक्षण में दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद के 25 हजार से अधिक निवासियों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी है। इन पांच शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 300-1000 के बीच आया है। पड़ोसी राज्यों में जली पराली और दिल्ली-एनसीआर में पटाखे जलाने की वजह से ऐसे हालात पैदा हुए है। जबकि सर्वेक्षण में लॉकडाउन को लेकर लोगों की राय बंटी हुई थी। लॉकडाउन पर सहमत न होने वाले लोगों का कहना था कि प्रदूषण में सबसे अधिक योगदान पराली का है। लॉकडाउन से कोई मदद नहीं मिलेगी। जबकि लॉकडाउन लगाने की मांग करने वालों की राय थी कि पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण को जल्दी कम नहीं हो सकता है। लेकिन वाहनों और निर्माण आदि जैसी अन्य गतिविधियों को सीमित करने से प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी।