भारत ही नहीं अमेरिका (America) में भी कोरोना वायरस (Coronavirus) पर राजनीति हो रही है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. इस बीच राष्ट्रपति ट्रंप (President Trump) ने कहा है कि चुनाव के कारण डेमोक्रेटिक पार्टी (Democratic Party) के सदस्य स्कूलों को नहीं खुलने देना चाहते हैं. अपने ट्वीट (Tweet) में उन्होंने कई यूरोपीय देशों (European Countries) का उदाहरण भी दिया, जहां पर स्कूल पूरी तरह से बिना किसी समस्या के खुले हुए हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति (American President) डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक ट्वीट कर कहा है, “जर्मनी (Germany), डेनमार्क, नॉर्वे, स्वीडन और कई अन्य देशों में स्कूल बिना किसी समस्या के खुले हुए हैं. डेमोक्रेट्स (Democrats) सोचते हैं कि यह उनके लिए राजनीतिक तौर पर बुरा होगा, अगर स्कूल नवंबर में होने वाले चुनावों (Elections) से पहले खुलते हैं लेकिन यह बच्चों और परिवार के लिए महत्वपूर्ण है. अगर नहीं खुलते हैं तो फंडिंग में कटौती की जा सकती है.”
हाल ही में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने डब्ल्यूएचओ (WHO) से अमेरिका की सदस्यता वापिस लेने की बात कर एक नया शगूफा छोड़ दिया है. यह बात तब की जा रही है जब पूरा अमेरिका कराना संक्रमण से जूझ रहा है और कोरोना से होने वाली मौतों में उसका स्थान विश्व में पहले स्थान पर है. अमेरिकी राष्ट्रपति के इस निर्णय से उपजी अव्यवस्था की इस स्थिति पर सवाल उठाते हुए पूर्व भारतीय राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन (Indian Diplomat Saiyad Akbaruddin) ने बुधवार को ट्विटर पर एक लेख पोस्ट किया जिसमें बताया गया है कि किस तरह कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच अमेरिका ने 12 संधियों को तोड़ दिया है. उन्होंने ट्वीट किया कि कहाँ है ग्लोबल आर्डर? अमेरिका 12 संधियों से बाहर…और यह गिनती अभी भी चल रही है.
ट्रंप प्रशासन ने कांग्रेस और संयुक्त राष्ट्र को सूचित किया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका औपचारिक रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) से अपना नाम हटा रहा है और इस नाम वापसी, जो अगली जुलाई से ही लागू हो जाएगी, की आलोचना बहुत से संगठनों ने की है जिनमें द्विदलीय सांसद, चिकित्सा संघ, सलाहकार संगठनों के अलावा विदेशी सहयोगी भी शामिल हैं.