सोशल मीडिया पर ब्रिटिश नागरिकता के दस्तावेज हो रहे वायरल,KGMU में फैकल्टी की नागरिकता पर सवाल

KGMU यानी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख डॉ.श्रीकांत श्रीवास्तव की नागरिकता का मुद्दा तूल पकड़ रहा हैं। सोशल मीडिया पर उनकी ब्रिटिश नागरिकता से जुड़ा दस्तावेज वायरल होने के बाद अब इस मामले की शिकायत कुलाधिपति और गवर्नर आनंदी बेन पटेल से की गई हैं।
शिकायत में कहा गया हैं कि साल 2010 से KGMU में चिकित्सक के रूप में तैनात प्रो.श्रीकांत श्रीवास्तव को प्रोफेसर हेड ऑफ डिपार्टमेंट बनाना और UGC सेल का विभाग का अध्यक्ष बनाया जाना नियमों का घोर उल्लंघन हैं। इसलिए उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। वही, इस मामले में खुद डॉ. श्रीकांत श्रीवास्तव का कहना हैं कि सब कुछ नियमों की तहत किया गया हैं, किसी भी नियम की अनदेखी नही हुई हैं। वही विश्वविद्यालय भी नियमों को ताक पर रखकर तैनाती की बात को सिरे से नकार रहा हैं।
आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर ने कथित रूप से एक ब्रिटिश नागरिक को KGMU में प्रोफेसर बनाए रखने और इसके साथ ही हाल में विश्वविद्यालय की UGC सेल का विभागाध्यक्ष बनाए जाने के संबंध में सख्त आपत्ति करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से कार्रवाई की मांग की है।
अमिताभ ठाकुर ने कहा कि डॉ.श्रीकांत श्रीवास्तव 2010 से KGMU में असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रोफेसर के रूप में सेवा कर रहे हैं। जबकि वह ब्रिटिश नागरिक बताए जाते हैं। उन पर आरोप हैं कि 20 जनवरी 2014 को सिंगापुर मेडिकल एसोसिएशन को भरे गए एक फॉर्म में उन्होंने खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया और सिंगापुर में प्रेक्टिस करने का दावा किया था।
अमिताभ ठाकुर ने कहा कि जो व्यक्ति स्वयं को सिंगापुर में प्रैक्टिस करना और ब्रिटिश नागरिक होना बताता हो, उन्हें KGMU में प्रोफेसर की नियुक्ति देना और उसके साथ UGC सेल का विभाग का अध्यक्ष बनाया जाना प्रथम दृष्टया नियमों का घोर उल्लंघन जान पड़ता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि डॉ. श्रीकांत श्रीवास्तव इस सेवा में 2010 में आए और उस समय के नियम के अनुसार सरकारी सेवा में कोई भी विदेशी नागरिक अपनी सेवाए नही प्रदान कर सकता था। उनका चयन सबसे पहले आरंभिक पद यानी असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हुआ। 12 साल अपनी सेवा देने के पश्चात प्रोमोशन के माध्यम से प्रोफेसर हुए है। यह नियमानुसार उनकी नियुक्ति पूर्णतः गलत है ।
उनकी दलील हैं कि रिकमेंडेशन का नियम अभी हाल मे आया है और वह भी सेंट्रल गवर्नमेंट के कुछ एपेक्स इंस्टीट्यूशन में लागू है। जबकि किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी अभी तक सेंट्रल गवर्नमेंट का एपेक्स इंस्टीट्यूट नही हैं और यह नियम एपेक्स इंस्टीट्यूशन में भी पूर्णकालिक पदों के लिए लागू नहीं होता हैं। जबकि डा. श्रीकांत श्रीवास्तव फुल टाइम यानी पूर्णकालिक पद पर साल 2010 से सेवाएं दे रहे हैं।
डॉ. श्रीकांत श्रीवास्तव ने बताया कि साल 2010 में मेरा अपॉइंटमेंट हुआ था। तब मेरे सभी डाक्यूमेंट्स की जांच की गई। पहले इंटरव्यू में बुलाया गया और फिर जॉब दी। सब कुछ नियमानुसार किया गया। मेरा चयन पूरे प्रोसेस से हुआ हैं। हालांकि ब्रिटिश नागरिकता के सवाल का जवाब देने से बचते दिखे।
चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि KGMU में किसी की भी तैनाती दी जाती हैं तो सभी नियमों को ध्यान रखा जाता हैं। वह भी फैकल्टी के पद पर किसी की भी नियम खिलाफ तैनाती नही हो सकती हैं। नागरिकता के सवाल पर उन्होंने कहा कि यदि वो ब्रिटिश सिटिजन भी होंगे। तब उनकी तैनाती किसी प्रावधान के तहत की गई होगी।