क्या आप जानते है , ब्लैक होल से निकलने वाला रेडिएशन हमारी ऊर्जा संबंधी जरूरतें पूरी कर सकता है

एक ताजा अध्ययन में दावा किया गया है कि ब्लैक होल की ऊर्जा का दोहन मानव सभ्यता के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है. इस अध्ययन के मुताबिक ब्लैक होल से निकलने वाले रेडिएशन और गर्मी से हम अपनी ऊर्जा जरूरतें पूरी कर सकते हैं. ब्लैक होल के इर्द-गिर्द एक डिस्क होती है, जिसमें कई मटीरियल और ऑब्जेक्ट होते हैं. ब्लैक होल के कारण इस डिस्क में इतना घर्षण होता है कि उससे निकलने वाली ऊर्जा हमारी जरूरतों को पूरा कर सकती है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इस डिस्क के चुंबकीय क्षेत्र को तोड़कर फिर जोड़ने का तरीका निकाल लिया गया, तो उससे असीमित ऊर्जा मिल सकती है. दिलचस्प बात यह है कि यह डिस्क ब्लैक होल के इवेंट होरिजन के करीब होती है, जहां से रोशनी तक वापस नहीं आ सकती. कोलंबिया यूनिवर्सिटी के रिसर्च साइंटिस्ट लूका कॉमीसो के मुताबिक ब्लैक होल के आसपास ऐसे प्लाज्मा पार्टिल होते हैं, जिनमें एक चुंबकीय क्षेत्र होता है.

लूका ने कहा कि का कहना है हमारी थिअरी कहती है कि जब इस चुंबकीय क्षेत्र की रेखाएं सही तरीके से टूटती और फिर जुड़ती हैं, तो उससे प्लाज्मा पार्टिकल निगेटिव एनर्जी में एक्सिलरेट होते हैं और बड़ी मात्रा में ब्लैक होल एनर्जी हासिल की जा सकती है. यह अध्ययन फिजिकल रिव्यू डी जर्नल में प्रकाशित हुआ है और इसमें इस बात को आधार बनाया गया है कि दोबारा जोड़े जाने पर चुंबकीय क्षेत्र प्लाज्मा पार्टिकल्स को अलग-अलग दिशाओं में तेजी देता है. एक दिशा ब्लैक होल के घूमने की ओर हो सकती है और दूसरी उससे दूर. जो पार्टिकल ब्लैक होल के घूमने की दिशा में जाते हैं, वे उससे अलग छिटक सकते हैं.

अगर ब्लैक होल के अंदर जाने वाले प्लाज्मा में निगेटिव एनर्जी हो, तो इस प्रक्रिया से बड़ी मात्रा में ऊर्जा पैदा हो सकती है. अध्ययन में कहा गया है कि ईर्गोस्फियर नाम के क्षेत्र में स्पेसटाइम कंटीन्यूअम इतना तेजी से घूमता है कि हर ऑब्जेक्ट ब्लैक होल की दिशा में ही घूमने लगता है. यहां चुंबकीय रेखाओं के दोबारा जुड़ने पर प्लाज्मा पार्टिकल लाइट की स्पीड पर पहुंच जाते हैं. अध्ययन के सह-लेखक फिलीप अहेन्जो के मुताबिक इन प्लाज्मा पार्टिकल्स की तेज वेलोसिटी (रफ्तार) की वजह से भारी मात्रा में ऊर्जा पैदा हो सकती है. उनका कहना है कि फिजिक्स के मुताबिक यह मुमकिन है, लेकिन यह एक टेक्नॉलजिकल प्रॉब्लम है.

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