सुप्रीम कोर्ट में एक सितंबर से प्रत्यक्ष सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने एक सितंबर से मामलों की अंतिम सुनवाई प्रत्यक्ष रूप (फिजिकल) से करने के लिए नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी है। साथ ही, कोरोना मानदंडों को पालन करने के मद्देनजर मंगलवार से बृहस्पतिवार तक मिश्रित (हाइब्रिड) विकल्प इस्तेमाल किया जाएगा। 

यह मानक प्रक्रियाएं प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण के निर्देश पर जारी की गई है। उन्होंने बार निकायों की मांग और अनुरोध पर विचार करने के लिए गठित न्यायाधीशों की समिति की सिफारिशों पर ध्यान करने के बाद यह फैसला लिया है। 

कोरोना के कारण बीते साल मार्च से शीर्ष कोर्ट वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मामलों की सुनवाई कर रहा है। लेकिन पिछले कुछ समय से कई बार निकाय और वकील फिर से प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू करने की मांग कर रहे थे।

प्रत्यक्ष सुनवाई चुनने पर ऑनलाइन विकल्प खत्म 
महासचिव द्वारा 28 अगस्त को जारी मानक प्रक्रिया में साफ किया गया है कि अदालतें सोमवार और शुक्रवार को विविध मामलों की ऑनलाइन सुनवाई करती रहेंगी। 

एसओपी के मुताबिक, न्यायालय परिसर में कोरोना नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा। अगर वादी और वकील प्रत्यक्ष सुनवाई का विकल्प चुन लेते हैं तो फिर उन्हें वीडियो या टेली कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई की सुविधा नहीं मिलेगी। 

गैर-विविध दिनों में प्रत्यक्ष और हाइब्रिड सुनवाई 
एसओपी
में कहा गया है, धीरे-धीरे दोबारा फिजिकल हियरिंग शुरू करने के मद्देनजर गैर-विविध दिनों में सूचीबद्ध अंतिम सुनवाई/नियमित मामलों को प्रत्यक्ष रूप (हाइब्रिड विकल्प के साथ) से सुना जा सकता है, जिसे संबंधित पीठ तय कर सकती है। वहीं, विविध दिनों में सूचीबद्ध मामलों समेत दूसरे सभी मामलों की सुनवाई वीडियो/टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जारी रहेगी। 

15 मिनट का ब्रेक, 20 से ज्यादा वकील हुए तो सुनवाई ऑनलाइन 
प्रत्यक्ष माध्यम अपना रही पीठ सुनवाई के दौरान करीब 15 मिनट का विराम ले सकती है ताकि इस दौरान अदालत कक्ष को सैनिटाइज किया जा सके। एसओपी में कहा गया है, अगर पक्षकारों के वकीलों की संख्या 20 से अधिक है तो कोविड मानकों के अनुसार पीठ किसी भी समय ऑनलाइन सुनवाई का सहारा ले सकती है। 

10 मिनट पहले ही मिलेगी प्रवेश अनुमति 
वकीलों को सुप्रीम कोर्ट के पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा और सुनवाई के लिए मामले के सूचीबद्ध होने के 24 घंटों के भीतर पीठ के समक्ष पेश होने के लिए अपनी प्राथमिकताएं दर्ज करानी होंगी। इसमें कहा गया है कि किसी मामले में पक्षकारों को सुनवाई शुरू होने से दस मिनट से पहले प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। 

प्रत्यक्ष सुनवाई के लिए आने वाले वकीलों/पक्षों का हाई सिक्योरिटी जोन (एचएसजेड) में प्रवेश रजिस्ट्री द्वारा जारी दैनिक विशेष सुनवाई पास से ही होगा। मामले के पक्षकारों को प्रत्यक्ष सुनवाई से दस मिनट पहले ही प्रवेश दिया जाएगा।