अखिलेश यादव के लिए राह मुश्किल, दरकता गठबंधन, मजबूत होती बीजेपी

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए शनिवार का दिन अहम रहा। उन्हें दिल्ली चुनाव और यूपी उपचुनाव के दोनों मोर्चों पर करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। दरअसल, अखिलेश यादव ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया था। यूपी में सहयोगी कांग्रेस वहां अलग चुनावी मैदान में थी। लेकिन, अखिलेश ने सहयोगी को नजरअंदाज कर दिया। लोकसभा चुनाव 2025 में इंडिया गठबंधन के तहत अखिलेश यादव और कांग्रेस ने मिलकर प्रदेश में चुनाव लड़ा और बड़ी जीत हासिल की थी। दिल्ली चुनाव आते-आते अखिलेश यादव और कांग्रेस के बीच दूरी बढ़ती दिखी है। दिल्ली चुनाव 2025 अरविंद केजरीवाल के साथ मंच शेयर करते हुए समाजवादी पार्टी अध्यक्ष ने कांग्रेस पर संकेतों में निशाना भी साधा था। इसको लेकर प्रतिक्रिया यूपी तक से आई थी। ऐसे में अब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 की रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं। अखिलेश यादव पिछले दिनों लगातार अपनी रणनीति को लेकर चर्चा में रहे हैं। दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 में बड़ी जीत के बाद माना जा रहा था कि विधानसभा चुनावों में अखिलेश यादव अपनी दमदार उपस्थिति दिखाते नजर आएंगे। लखनऊ छोड़कर दिल्ली जाने को भी इसी नजरिए से देखा जा रहा था। हालांकि, ऐसा होता नहीं दिखा है।

लोकसभा चुनाव सीटों के लिहाज से तीसरे नंबर की पार्टी बनने वाली समाजवादी पार्टी को विधानसभा चुनावों में कुछ विशेष तरजीह मिलती नहीं दिखी है। अखिलेश समाजवादी पार्टी को पहले ही राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनाने का ऐलान कर चुके हैं, लेकिन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की ओर से उन्हें खास तबज्जो मिलती नहीं दिखी। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान जिस प्रकार से कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को अलग-थलग किया। हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में भी कुछ वही हाल दिखा। पार्टी वहां पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस की ओर से ग्रीन सिग्नल नहीं मिल पाया। दोनों राज्यों में पार्टी ने उम्मीदवार नहीं उतारे। महाराष्ट्र विधानसभा सीट में करीब दर्जन भर सीटों पर समाजवादी पार्टी ने दावा किया। कांग्रेस की ओर से महज दो सीटों पर सपा को समर्थन दिया गया।

देश में तरजीह न मिलने का असर यूपी में दिखा। उत्तर प्रदेश में जब विधानसभा उपचुनाव का ऐलान हुआ तो कांग्रेस और समाजवादी पार्टी गठबंधन के तहत मैदान में जाने की तैयारी में थी। कांग्रेस की ओर से लोकसभा चुनाव के बाद से ही विधानसभा उपचुनाव की तैयारी चल रही थी। हालांकि, ऐन मौके पर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस को झटका दे दिया। कांग्रेस 5 सीटों पर चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा कर रही थी। अखिलेश यादव दो सीट से अधिक देने को तैयार नहीं थे। ऐसे में कांग्रेस ने उपचुनाव में उतारने से मना कर दिया। अब 2027 का विधानसभा चुनाव सामने है। अखिलेश यादव 10 सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव में 8 सीटें हार चुके हैं। ऐसे में उनके सामने कांग्रेस के साथ गठबंधन की स्थिति में बारगेनिंग पावर कमजोर होती दिख रही है।

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