आज थलाइवा यानी रजनीकांत का 72वां जन्मदिन है। रजनीकांत वो स्टार हैं, जिनकी फिल्मों से ज्यादा चर्चे उनके लिए फैंस की दीवानगी के हैं। पूरे साउथ इंडिया में रजनीकांत की फिल्म रिलीज होना किसी त्योहार से कम नहीं है। कई कम्पनियों में कर्मचारियों को छुट्टी दे दी जाती है। लोग अपनी जमा पूंजी खर्च कर दूसरों को सुपरस्टार रजनी की फिल्म दिखाते हैं। बिजनेस, घर, यहां तक कि पत्नी के गहने बेचकर भी अपने खर्चे पर दूसरों को फिल्म दिखाने वालों की एक लंबी लिस्ट है।
और, ये आलम सिर्फ साउथ में नहीं है। दुनिया के कई देशों में रजनीकांत के दीवानों के सैकड़ों किस्से हैं। जापान में रजनीकांत की फिल्में रिकॉर्डतोड़ कमाई करती हैं। रजनीकांत की फिल्म रिलीज के दिन फर्स्ट डे-फर्स्ट शो देखने की होड़ में कई फैंस जान पर खेल जाते हैं। रजनीकांत की बुराई करने पर दूसरों की जान लेने से भी फैन नहीं हिचकिचाते हैं। एक बार तो एक फैन ने अपनी जिंदगी की आखिरी सांसें रजनीकांत की फिल्म देखते हुए थिएटर में ही ली।
राणा फिल्म की शूटिंग के दौरान रजनीकांत की तबीयत अचानक बिगड़ गई। 29 अप्रैल 2011 को उन्हें एक दिन के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया। ठीक होकर लौटे तो 5 दिन बाद सांस लेने में तकलीफ के चलते उन्हें दोबारा आईसीयू में भर्ती करवाया गया। खबर आई कि रजनीकांत की तबीयत नाजुक है। उनकी किडनी खराब है और किडनी ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत है। देशभर में रजनी के बेहतर स्वास्थ्य के लिए यज्ञ करवाए गए। फैंस मंदिरों में घंटों उनके लिए पूजा करते थे।
जैसे ही ये खबर सामने आई तो अपनी किडनी देने के लिए 40 साल के रजनीराजा अरोकिसामी नाम के एक फैन ने नींद की गोलियों का ओवरडोज लेकर आत्महत्या की कोशिश की। फैन चाहता था कि उसके मरने के बाद किडनी रजनीकांत को दी जाए। हालांकि समय रहते उसे बचा लिया गया।
साल 2016 में रजनीकांत की फिल्म कबाली रिलीज हुई। हर बार की तरह भारत के अलावा विदेशों में भी टिकट लेने की होड़ मची थी। जब एक फैन को मलेशिया में टिकट नहीं मिला तो उसने दुखी होकर मॉल के टॉप फ्लोर से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली।
कोरोना काल में साउथ एक्टर्स बढ़-चढ़कर डोनेशन दे रहे थे। ऐसे में एक्टर विजय और रजनीकांत के तमिलनाडु के विल्लुपुरम में रहने वाले फैंस के बीच इस बात पर बहस शुरू हुई कि किस एक्टर ने ज्यादा डोनेट किया। बहस इतनी बढ़ गई कि रजनीकांत के 22 साल के फैन दिनेश बाबू ने विजय के फैन युवराज की इतनी पिटाई कर दी कि उसकी मौत हो गई।
रजनी को भगवान की तरह पूजने वाला एक फैन मुरुगेसन चाहता था कि वो राजनीति में आएं। अपनी डिमांड उन तक पहुंचाने के लिए उस फैन ने रजनी के घर के बाहर ही आग लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। झुलसे हुए फैन को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी जान बच सकी।
तमिलनाडु के चेत्तिपाल्यम में रहने वाले 56 साल के राजेंद्रन को फाइनल स्टेज का कैंसर था। वो रजनीकांत की फिल्म लिंगा देखने थिएटर जाना चाहते थे, लेकिन डॉक्टर्स ने उन्हें सिर्फ आराम करने की सलाह दी थी। जिद करने पर भी जब घरवाले नहीं माने तो राजेंद्रन एक रात चोरी-छिपे फिल्म देखने निकल गए। रात के करीब डेढ़ बजे थिएटर के सफाई कर्मचारी ने देखा कि राजेंद्रन का सीट पर बैठे हुए ही निधन हो गया
रजनीकांत के फैंस को उम्मीद थी कि 2017 में जन्मदिन के मौके पर रजनीकांत राजनीति में एंट्री लेने की अनाउंसमेंट करेंगे, लेकिन बिजी होने के कारण रजनीकांत को चेन्नई से बाहर जाना पड़ा। रजनीकांत की नामौजूदगी से आएजुमलाइ नाम का एक फैन इतना दुखी हुआ कि उसने जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। ये शख्स रजनीकांत के नाम पर एक बड़ा फैन क्लब भी चलाता है।
2014 में लिंगा की शूटिंग के लिए रजनीकांत हॉन्गकॉन्ग गए थे। जैसे ही एक फैन को इसकी खबर लगी तो उसी फ्लाइट में सफर करने के लिए उसने पूरे डेढ़ लाख रुपए खर्च कर उसी फ्लाइट का टिकट खरीदा। फैन चाहता था कि जिस फ्लाइट में रजनीकांत ने सांसें ली हैं, वो उन सांसों को महसूस कर सके।
2021 में रजनीकांत रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल में भर्ती हुए। जैसे ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली तो फैंस ने 108 नारियल फोड़े थे।
रजनीकांत के फैंस की दीवानगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साल 2016 में रिलीज हुई उनकी फिल्म कबाली की रिलीज के दिन साउथ के कई शहरों की कंपनियों ने छुट्टी की घोषणा कर दी। कई कंपनियों ने तो अपने कर्मचारियों को फ्री टिकट तक बांटी।
रजनीकांत के फैन जी. मणि ने उनके जन्मदिन पर शानदार पार्टी देने के लिए अपनी पत्नी के सारे जेवर बेच दिए। किस्सा सामने आने के बाद जी. मणि को रजनी की एक डॉक्यूमेंट्री में जगह मिली थी।
गोपी, रजनीकांत की हर फिल्म की रिलीज पर अपने शहर के 1000 गरीबों को चेन्नई लाकर मूवी दिखाते हैं। उनका मानना है कि रजनीकांत ही उनके भगवान हैं। गोपी के मुताबिक 1000 लोगों को कई साल से फिल्म दिखाने के चलते उन पर लाखों रुपए का कर्ज भी हो गया था। इस कर्ज को चुकाने के लिए उन्हें पहले पत्नी के गहने बेचने पड़े और बाद में घर।
रजनीकांत बड़े पर्दे पर आकर त्योहार और जश्न का माहौल बना दिया करते हैं। इन्हें स्क्रीन्स पर देखने वाले फैंस एक समय में उन पर इतने सिक्के फेंकने लगे कि एक सिनेमाघर के पर्दे ही फट गए। बाद में इस डर से थिएटर में सिक्के ही बैन कर दिए गए।
फ्लॉप फिल्म के बाद कहा गया कि रजनीकांत नाम का सोना अब नहीं चमकता। फिल्म में रजनीकांत को सिगरेट पीते दिखाया गया था, जिस पर राजनीतिक पार्टी पट्टली मक्कल काची के लीडर एस. रामोदास ने उनकी जमकर आलोचना की। कहा गया कि रजनीकांत सिगरेट और बीड़ी को स्टाइल बनाकर यूथ को गलत सीख दे रहे हैं। विवाद इतने बढ़ गए कि पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जहां-जहां ये फिल्म लगी, उन थिएटर में तोड़-फोड़ की और थिएटर में रील्स तक जला दी
2008 की फिल्म कुलेसन भी बुरी तरह फ्लॉप हुई, जिसमें रजनीकांत का कैमियो था। एक इंटरव्यू के दौरान रजनीकांत ने बताया था कि इस फिल्म की कहानी उनकी जिंदगी के शुरुआती बुरे दौर की तरह है। रजनीकांत ने फिल्म मेकर्स को नुकसान से बचाने के लिए खुद उनकी अगली फिल्मों में काम करने का वादा किया और वो पूरा भी किया।
2002- रजनीकांत ने कर्नाटक सरकार के खिलाफ कावेरी नदी को तमिलनाडु में आने से रोकने के खिलाफ भूख हड़ताल की। राज्य में पानी की पूर्ति के लिए नदियों को जोड़ने वाले प्लान के लिए रजनीकांत ने 1 करोड़ रुपए का डोनेशन भी किया था। रजनीकांत के इस कदम से फिल्म डायरेक्टर भारती राजा ने उनकी कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि रजनीकांत फिल्म इंडस्ट्री को बांट रहे हैं और वे ऐसे गद्दार हैं जिनकी कर्नाटक सरकार के साथ मौन सहमति है।
2008- तमिलनाडु में लगातार पीने के पानी की कमी होने के कारण रजनीकांत ने नदिगर संगम के साथ सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल की। उन्होंने कर्नाटक सरकार के खिलाफ एक भाषण भी दिया था, जिसके चलते कर्नाटक में रजनीकांत की फिल्म कुलेसन बैन कर दी गई।
फिल्म बैन होने के बाद रजनीकांत ने कर्नाटक सरकार से माफी मांगी थी, जिससे बैन हट सका। उनके इस कदम से तमिलनाडु और नदिगर संगम के लोग उनके खिलाफ हो गए थे।
2011 में जब अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठे तो रजनीकांत ने उन्हें खुलकर सपोर्ट किया। अन्ना की तरह अनशन कर रहे लोगों को अपना मैरिज लॉन मुफ्त में दिया था।
2004 में रजनीकांत ने अपनी आय करीब 30 करोड़ बताई थी, जिससे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट असंतुष्ट था। जब सर्वे हुआ तो सामने आया कि रजनीकांत ब्याज पर पैसे उधार दिया करते थे और उससे मोटी कमाई करते थे। पूछताछ में पहले तो रजनीकांत मुकर गए, लेकिन फिर उन्होंने खुद कबूल किया कि वो 18 प्रतिशत ब्याज पर पैसे उधार देकर मनी लेंडिंग करते हैं। रजनीकांत को 60 लाख का जुर्माना देना पड़ा था।
12 दिसम्बर 1950 में बेंगलुरु के एक गरीब परिवार में जन्मे रजनीकांत के पिता मराठी मूल के रामोजी राव पुलिस कॉन्स्टेबल थे। रजनीकांत का नाम छत्रपति शिवाजी के नाम पर शिवाजी राव गायकवाड़ रखा गया था। रजनी चार भाई-बहनों सत्यनारायण, नागेश्वर और अश्वत (बहन) में सबसे छोटे थे। महज 9 साल की उम्र में रजनी के सिर से मां का साया उठ गया था। बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहे रजनीकांत स्कूल में होने वाले प्ले में हिस्सा लिया करते थे, उन्हें देखने वालों की खूब सराहना मिलती थी।
पिता के रिटायरमेंट के बाद रजनीकांत के परिवार का गुजारा कर पाना मुश्किल था। कम उम्र में ही घर चलाने के लिए रजनी खुद कुली बनकर लोगों का बोझ उठाने लगे और छोटे-मोटे काम कर पैसे कमाने लगे। उनकी जिंदगी पटरी पर तब आई जब उन्हें बेंगलुरु ट्रांसपोर्ट सर्विस में बस कंडक्टर की नौकरी मिली। रजनीकांत जिस स्टाइल में टिकट देखते थे उससे इम्प्रेस होकर प्लेराइटर टोपी मुनिप्पा ने उन्हें प्ले में हिस्सा लेने को कहा। ज्यादा कमाई करने के लिए रजनीकांत ने नौकरी के साथ कई नाटकों में भी हिस्सा लिया।
बस कंडक्टर की नौकरी करते हुए रजनीकांत की मुलाकात बेंगलुरु में मेडिकल स्टूडेंट निर्मला से हुई। पहले दोनों में दोस्ती हुई और फिर दोनों रिलेशनशिप में आ गए। एक दिन रजनीकांत का नाटक देखकर निर्मला ने उनसे कहा कि उन्हें एक्टिंग में ही अपना करियर बनाना चाहिए। निर्मला ने ही रजनी के नाम की एप्लिकेशन अद्यार फिल्म इंस्टीट्यूट में दी, जहां उन्हें एडमिशन मिल गया। एक्टिंग सीखते हुए ही रजनी और निर्मला अलग हो गए।
रजनी का गरीब परिवार उनके इस फैसले के खिलाफ था, लेकिन दोस्त और को-वर्कर राज बहादुर ने जब फाइनेंशियल मदद की तो रजनीकांत ने यहां एडमिशन ले लिया।
एक्टिंग कोर्स के दौरान रजनीकांत पर तमिल फिल्म डायरेक्टर के. बालाचंदर की नजर पड़ी। के. बालाचंदर ने उन्हें तमिल सीखने की सलाह दी तो उन्होंने झट से सलाह मानकर तमिल भाषा बोलना और पढ़ना सीख लिया, लेकिन उन्हें कभी तमिल लिखना नहीं आया। इसके बाद बालाचंदर ने ही रजनीकांत को अपनी फिल्म अपूर्वा रागंगाल (1975) में कास्ट किया। इस समय रजनी 25 साल के थे। फिल्म में उन्होंने फीमेल लीड के एक्स हस्बैंड की भूमिका निभाई थी। विवादित सब्जेक्ट होने के कारण कमल हासन और श्रीविद्या स्टारर ये फिल्म चर्चा में रही और इसने तीन नेशनल अवॉर्ड जीते थे। करियर की शुरुआत में रजनी तीन साल तक नेगेटिव रोल में ही नजर आया करते थे।
रजनीकांत, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के स्टार अमिताभ बच्चन को अपनी प्रेरणा मानते हैं। शुरुआती एक्टिंग करियर में रजनी, अमिताभ की हिंदी फिल्मों के तेलुगु रीमेक में उनकी जगह लिया करते थे। उन्होंने 1978 में आई शंकर सलीम सिमोन (अमर अकबर एंथोनी की तेलुगु रीमेक), नान वजावाइप्पन (मजबूर की तेलुगु रीमेक) जैसी फिल्मों में बिग बी की जगह ली। इसी तरह उन्होंने अमिताभ की 11 फिल्मों के तेलुगु रीमेक में अभिनय किया है। इनमें से बिल्ला (1980), थी (1981) और मिस्टर भारत (1986) सबसे हिट रही थीं।
साल 2018 में आई रजनीकांत, अक्षय कुमार और एमी जैक्सन स्टारर फिल्म 2.0 रजनीकांत की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म हैं। इस फिल्म ने 800 करोड़ा से ज्यादा का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया था। फिल्म 570 करोड़ रुपए के बड़े बजट में तैयार हुई थी जो भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे महंगी फिल्मों में से एक है। इसके अलावा रोबोट- 290 करोड़, कबाली- 286 करोड़, पेट्टा- 230 करोड़ और दरबार- 200 करोड़ रुपए का कलेक्शन कर चुकी हैं। इस साल रिलीज हुई रजनीकांत की फिल्म अन्नाथे ने लगभग 250 करोड़ रुपए का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया था।