राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्षी दलों की बुधवार को बड़ी बैठक हुई। वहीं, इस दौरान सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी ने भी तैयारियां तेज कर दी हैं। एक ओर जहां 16 दल विपक्ष के उम्मीदवार को लिए मंथन कर रहे थे। उस दौरान भाजपा के वरिष्ठ सदस्य केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा भी विपक्ष का समर्थन जुटा रहे थे। हालांकि, अगर मौजूदा हाल को देखें तो भाजपा के प्रयास व्यर्थ भी हो सकते हैं।भाजपा अपने संभावित उम्मीदवार को लिए अधिक से अधिक पार्टियों का समर्थन चाहती है। साथ ही पार्टी के पास लोकसभा में तो बहुमत है, लेकिन राज्यसभा और विधानसभाओं में स्थिति अलग है। ऐसे में अपने दम पर राष्ट्रपति चुनाव जीतना मुश्किल नजर आता है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कई राज्यों में विपक्षी नेताओं के खिलाफ जांच जारी है। ऐसे में संबंधों के मोर्चे पर देखें तो सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के बीच संबंध पूरी तरह ठीक नहीं हैं। इतना ही नहीं भाजपा ने विपक्ष से चर्चा भी ऐसे समय पर शुरू की है, जब ईडी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से पूछताछ कर रही है। वहीं, दिल्ली पुलिस पर भी कांग्रेस मुख्यालय में प्रवेश के आरोप लग रहे हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष और सहयोगियों के साथ मिलकर आम सहमति से उम्मीदवार तलाशने का जिम्मा सिंह और नड्डा को सौंपा गया है। एक ओर जहां नड्डा की छवि मृदुभाषी और उदारवादी की है। वहीं, सिंह को विपक्ष के बीच स्वीकार्य चेहरा माना जाता है। बुधवार को केंद्रीय मंत्री ने मल्लिकार्जुन खड़गे (कांग्रेस), मायावती (बहुजन समाज पार्टी), अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी), ममता बनर्जी (तृणमूल कांग्रेस), नवीन पटनायक (बीजू जनता दल), शरद पवार (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी), शिबू सोरेन (झारखंड मुक्ति मोर्चा) से चर्चा की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कई बार संसदीय रणनीति में विपक्ष के साथ समन्वय करने में सिंह का इस्तेमाल किया है। इससे पहले भाजपा के लिए यह काम जसवंत सिंह, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली करते थे। हालांकि, इनके निधन के बाद अन्य पार्टियों के साथ भाजपा का संपर्क खासा प्रभावित हुआ है।
इनके अलावा विपक्षी नेताओं के साथ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के संबंध भी बेहतर माने जाते हैं, लेकिन इस बार भाजपा सिंह की स्वीकार्यता और प्रशासनिक अनुभव पर भरोसा जता रही है।