बोत्सवाना की कारोवे खदान से हाल ही में 1174 कैरेट का एक विशाल हीरा मिला है जो प्राकृतिक तौर पर अब तक मिले सबसे बड़े हीरों में से एक है। उल्लेखनीय बात यह है कि यह विशाल हीरा ऐसे ही कुछ अन्य हीरों के बगल में मिला जो 471, 218 और 159 कैरेट के थे। इससे यह संकेत मिलता है कि मूल रूप से यह हीरा जब बना होगा तब हो सकता है यह 2000 कैरेट से ज्यादा का हो। यह नवीनतम हीरा 1000 कैरेट से ज्यादा के एक और हीरे के बोत्सवाना की ज्वानेंग खदान से मिलने के कुछ हफ्तों बाद प्राप्त हुआ है।
हमें अचानक से बड़े रत्न कैसे प्राप्त हो रहे हैं? क्या हीरे वास्तव में दुर्लभ हैं जैसा कि उनके बारे में कहा जाता है? 2020 में वैश्विक हीरा उत्पादन 11.1 करोड़ कैरेट या करीब 20 टन हीरे से थोड़ा ज्यादा था। हालांकि इस उत्पादन का छोटा हिस्सा ही उच्च गुणवत्ता वाला रत्न होता है। बड़ी संख्या में हीरे छोटे होते हैं और एक कैरेट से कम के होते हैं।
अपने गुलाबी हीरों के लिए प्रसिद्ध ऑस्ट्रेलिया की अर्गेल खदान (मात्रा के लिहाज से कभी दुनिया की सबसे बड़ी हीरे की खान) ने पिछले साल अपना संचालन बंद कर दिया क्योंकि यह आर्थिक तौर पर वहनीय नहीं था। ऐसा इसलिए क्योंकि निकलने वाले अधिकतर हीरे छोटे थे और इसलिए सिर्फ औद्योगिक उपयोग में इस्तेमाल हो सकते थे।
दूसरी तरफ बड़े रत्न-गुणवत्ता वाले हीरे बेहद दुर्लभ हैं। यह समझने के लिए कि ऐसा क्यों है, हमें यह जानने की जरूरत है कि हीरे बनते कैसे हैं और खान से उन्हें निकाला कैसे जाता है। प्राकृतिक हीरे कैसे बनते हैं? प्राकृतिक हीरे अरबों साल पुराने होते हैं। वे जमीन के नीचे बेहद गहराई में बनते हैं जहां तापमान और दबाव इतना अधिक हो कि वे कार्बन परमाणुओं को घनी, क्रिस्टलीय संरचना में तोड़ सकें।
कुछ वैज्ञानिकों का सुझाव है कि सैकड़ों किलोमीटर गहराई में व्यापक मात्रा में हीरे हैं। लेकिन अब तक सबसे गहरी खुदाई 12 किलोमीटर तक ही की जा सकी है। हम गहरी जमीन में स्थित इन हीरों को कभी नहीं निकाल पाएंगे।इसलिए हमें अपेक्षाकृत छोटे टुकड़ों से काम चलाना होगा जो सतह तक आते हैं। माना जाता है कि जमीन की सतह के पास के हीरे आम तौर पर गहरे स्रोत वाले ज्वालामुखी विस्फोट के माध्यम से आते हैं।
इन घटनाक्रमों को पर्याप्त तेजी से होना चाहिए तभी हीरे सतह तक आते हैं और इसके साथ ही हीरे बेहद गर्मी, झटके या ऑक्सीजन के संपर्क में नहीं आने चाहिए यानी परिस्थितियां बिल्कुल सटीक होनी चाहिए। अधिकांश हीरे आग्नेय चट्टानों में पाए जाते हैं जिन्हें किंबरलाइट कहा जाता है। किंबरलाइट पाइप्स चट्टानों के गाजर के आकार के स्तंभ होते हैं जो अक्सर गहरे स्रोत वाले ज्वालामुखियों के शीर्ष पर केवल कुछ मीटर की दूरी पर होते हैं।
लेकिन सभी ज्ञात किंबरलाइट स्रोतों में से सिर्फ कुछ ही प्रतिशत में हीरे पाए जाते हैं। और इनमें मुट्ठीभर ही ऐसेहैं जहां खुदाई कर प्रचुर हीरे निकाले जा सकें। आदर्श स्थिति पाना बेहद मुश्किल है। एक महाद्वीप के केवल विशेष क्षेत्र में ही हीरे पाए जा सकते हैं क्योंकि गहरे ज्वालामुखी घटनाक्रम के लिए ऊपर की परत को पर्याप्त मोटा होना चाहिए। इसे स्थिर और प्राचीन भी होना चाहिए। ये ऐसे लक्षण हैं जो ऑस्ट्रेलिया या अफ्रीका में सामान्य हैं।
UP: ब्लॉक प्रमुख चुनाव में BJP की जीत पर PM मोदी ने थपथपाई CM योगी की पीठ इतना ही नहीं अविनाशी होने की अपनी प्रतिष्ठा के बावजूद हीरा एक भंगुर पदार्थ है। यह एक ऐसी विशेषता है जिसे हीरे को रत्नों के तौर पर चमकाते समय जरूर ध्यान में रखा जाना चाहिए। नियमित वायुमंडलीय दबाव पर हीरा कार्बन परमाणुओं का सबसे स्थिर संयोजन भी नहीं है।
खदान से निकालने का काम जमीन की गहराई से उपरी सतह तक आने के क्रम में कई मुश्किलों का सामना करने के बावजूद बच जाने वाले बड़े प्राकृतिक हीरे अक्सर उन्हें तलाशने की हमारी कोशिशों के दौरान बर्बाद हो जाते हैं। अधिकतर हीरा खदानों में चट्टानों को विस्फोट के जरिए तोड़ा जाता है और उसके बाद हीरों की तलाश में उनके टुकड़े किए जाते हैं। नई प्रौद्योगिकी हालांकि चट्टानों की खनन प्रक्रिया को एक्स-रे प्रक्रिया का इस्तेमाल कर सुगम बना रही हैं। यह मुख्य तौर पर बड़े हीरों की बरामदगी के लिए लक्षित है।
केंद्रीय गृह सचिव ने पर्यटन स्थलों पर कोरोना के हालात की समीक्षा की, कहा- दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई हीरा जगत यद्यपि विशेषताओं को लेकर अपनी गोपनीयता के लिए कुख्यात है लेकिन हम जानते हैं कि कारोवे खदान से हीरा इसी नई प्रौद्योगिकी को इस्तेमाल करते हुए हासिल किया गया है और ऐसी संभावना है कि भविष्य में ऐसे और बड़े रत्न मिलेंगे। बड़े हीरों की अंतर्निहित दुर्लभता के साथ, हीरा खनन तकनीकों में प्रगति बोत्सवाना के लिए वरदान है जहां हीरे देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का एक अहम हिस्सा हैं।
प्रयोगशालाओं में हीरे :प्रयोगशालाओं में भी बड़े आकार के हीरे तैयार किए जा रहे हैं। दशकों से उच्च दबाव वाले उपकरणों का इस्तेमाल कर कृत्रिम हीरे बनाए जा रहे हैं। ये उपकरण जमीन की गहराई में स्थिति भौतिक स्थितियों को प्रयोगशालाओं में रचते हैं। अब नई प्रौद्योगिकी में कम दबाव वाली स्थितियों और रसायन शास्त्र के सावधानीपूर्वक नियंत्रण के जरिए खाने की प्लेट के बराबर सटीक हीरे की परत तैयार की जा सकती है।
इस रासायनिक विधि का इस्तेमाल वाणिज्यिक रूप से आभूषणों के लिए रत्न-गुणवत्ता वाले हीरों के वास्ते किया जा रहा है। लेकिन इस तरीके से हीरा बनाने में धैर्य की जरूरत होती है। एक मिलीमीटर हीरा बढ़ाने में दिन का अच्छा खासा हिस्सा बीत जाता है, इसका मतलब है कि आने वाले कुछ समय तक खनन हीरा उद्योग में अहम भूमिका निभाता रहेगा