आदिपुरुष भले ही थिएटर्स से बाहर हो चुकी हो, लेकिन इसके बावजूद फिल्म को अभी तक बुरी तरह से क्रिटिसाइज किया जा रहा है। इस बीच अब आदिपुरुष को लेकर एक्टर विंदू दारा सिंह ने एक बार फिर अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने आदिपुरुष के मेकर्स पर फिल्म को लापरवाही से बनाने और रामानंद सागर की रामायण के एक्टर्स की लीगसी को नुकसान पहुंचाने पर लिए निशाना साधा है। विंदू ने कहा कि लगता है आदिपुरुष के मेकर्स मार्वल्स जैसी कोई फिल्म बनाना चाहते थे, लेकिन वो इसमें पूरी तरह से फेल हुए। विंदू के पिता दिवंगत एक्टर दारा सिंह ने रामानंद सागर की रामायण में भगवान हनुमान का किरदार निभाया था, जिसे आज भी याद किया जाता है।
हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत के दौरान आदिपुरुष पर बात करते हुए विंदू ने कहा- ‘हनुमान शक्तिशाली थे और हमेशा उनके चेहरे पर एक मुस्कुराहट रहती थी। उनका किरदार निभा रहे एक्टर देवदत्त नागे ठीक से हिंदी में बात भी नहीं कर पाते हैं। उन्होंने उसे दिए गए डायलॉग्स से उसे कुछ और ही बना दिया है। शायद वो यूथ को टारगेट में रखकर यह फिल्म बना रहे थे, जो थॉर या मार्वल देखते होंगे। लेकिन अपने इस एक्सपेरिमेंट में वो बुरी तरह से फेल हुए हैं।’
विंदू ने आगे कहा- ‘भविष्य में चाहे रामायण को कितनी ही बार क्यों न बनाई जाए, कोई भी मेरे पिता की लिगेसी की बराबरी नहीं कर पाएगा। उन्होंने स्क्रीन पर जो किया है, कोई भी उसके करीब नहीं पहुंच सकता। उन्होंने इतिहास रच दिया है।’
विंदू ने आगे कहा- हम सब कोशिश करते हैं, लेकिन जब हम कुछ नया करते हैं तो चीजों को अपनी क्षमताओं और जानकारी से और बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं। हम यहां इसे बदलने की कोशिश नहीं करते हैं।
आदिपुरुष के मेकर्स पर निशाना साधते हुए विंदू ने कहा- ‘उन्होंने जो किया वह शर्मनाक है। वे मेरे पिता की विरासत को नहीं छू सकते। वो उस किरदार के करीब भी नहीं पहुंच पाए हैं।
बता दें कि दारा सिंह की तरह खुद विंदू ने भी कई बार भगवान हनुमान का किरदार निभाया है। फिल्म जय वीर हनुमान और जय श्री राम और रामायण जैसे म्यूजिकल ड्रामा में एक्टर बतौर हनुमान नजर आ चुके हैं।
रामायण के बारे में बात करते हुए विंदू ने कहा- वह पूरी तरह से एक अलग शो था, जिसे बनाने में मेकर्स ने अपना दिल, दिमाग और आत्म सब कुछ लगा दिया था। तब जाकर ऐसा सीरियल बना और जिसे पूरी दुनिया ने देखा।
विंदू ने अफसोस जताते हुए कहा- मैं यह नहीं समझ पाया कि आदिपुरुष के मेकर्स के दिल में क्या था। उन्होंने इसे बनाकर क्या हासिल हासिल करना चाहते थे। क्योंकि, यकीन मानिए वो कुछ भी नहीं कर पाए हैं। उन्होंने केवल एक घटिया फिल्म बनाई है, जिसे देखना शर्मनाक है।
विंदू से जब सवाल किया गया कि आखिर उन्हें आदिपुरुष के बारे में सबसे ज्यादा दुख किस बात का हुआ, तो इसपर बात करते हुए उन्होंने कहा- मेकर्स ने जो बनाया है, उसे देखना शर्मनाक है। उन्हें इसका नाम कुछ और रखना चाहिए था। यदि वो रामायण बनाने के बारे में सोच रहे थे, तो उन्हें इसकी कहानी पर अड़े रहना चाहिए था।
विंदू ने आगे कहा- मुझे नहीं पता कि उन्हें नशे में क्या दिया गया था या वो क्या सोच रहे थे? उनसे पास इतने बड़े बजट में इतनी शानदार फिल्म बनाने का सुनहरा मौका था और उन्होंने इसे बर्बाद कर दिया। दुनिया जानती है कि रावण की लंका सोने की थी, उन्होंने काले पत्थर की बनाई है। उन्होंने कहानी में ड्रैगन दिखाया है। उन्होंने सिर्फ मजाकिया बातें करके कहानी के साथ खिलवाड़ किया है, जो कि बहुत निराशाजनक है।
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इससे पहले विंदू दारा सिंह ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा था- ‘पता नहीं इन्होंने क्या सोचकर यह फिल्म बनाई है? बहुत ही वाहियात है। समझ ही नहीं आ रहा कि मेकर्स ने क्या दिखाने और सिखाने की कोशिश की है? यह फिल्म तो एंटरटेन भी नहीं कर पाती।’