शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अपनी एक इंच भी जमीन चीन को नहीं देगा और उम्मीद जताई कि पूर्वी लद्दाख में सीमा पर जारी गतिरोध से संबंधित सभी लंबित मुद्दों का समाधान दोनों देशों के बीच बातचीत के जरिए हो जाएगा। रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि भारत अपनी एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा पैदा करने वाले किसी भी व्यक्ति को मुंहतोड़ जवाब देगा, क्योंकि भारत अब ‘कमजोर’ देश नहीं है।
पूर्वी लद्दाख में गतिरोध पर विपक्ष द्वारा सरकार की आलोचना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा राजनीतिक विरोधी तथ्यों को पूरी तरह से जाने बिना कुछ सवाल उठाते रहते हैं। राजनाथ सिंह ने एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘मैं वर्ष 1962 के चीन-भारत युद्ध के दौरान क्या हुआ, इसमें नहीं जाना चाहता। लेकिन मैं देश के रक्षा मंत्री के रूप में आश्वस्त करना चाहता हूं कि जब हम सरकार में हैं, तो चीन के कब्जे में एक इंच भी जमीन नहीं जा सकती है।’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार किसी भी कीमत पर देश के गौरव और प्रतिष्ठा से समझौता नहीं करेगी। रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष ने दिखाया है कि अगर दुनिया के किसी भी हिस्से में युद्ध होता है, तो इसे शामिल देशों को लड़ना होगा और कोई तीसरा देश आसानी से शामिल नहीं होगा। पैंगोंग क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद मई 2020 की शुरुआत में पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध शुरू हुआ था।
कई दौर की सैन्य वार्ता के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट तथा गोगरा क्षेत्र में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की, हालांकि तनाव के कुछ बिंदुओं को लेकर गतिरोध जारी है। रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच तनातनी काफी हद तक वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के बारे में चीन की धारणा के कारण होती है।
नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम के बारे में सिंह ने कहा कि यह एक साल से अधिक समय से लागू है। भारत के कद का जिक्र करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, ‘इससे पहले पाकिस्तान संघर्षविराम पर राजी होने के बाद इसका उल्लंघन करता था। लेकिन फिलहाल संघर्षविराम को लागू हुए एक साल से अधिक समय हो गया है, लेकिन पाकिस्तान इसका उल्लंघन करने का साहस नहीं जुटा पाया है। यह काम कर रहा है।’