शिवाजी के ऊपर महानाट्य जाणता राजा के अंतिम दिन रक्षामंत्री पहुंचे

महाराज छत्रपति शिवाजी के जीवन चरित्र पर आधारित महानाट्य जाणता राजा के के अंतिम दिन आज देश की रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार में दोनों ही उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के साथ ही केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान भी आज इस महानाट्य को देखने पहुंचे।
26 अक्टूबर से शुरू हुए नाट्य में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने इस मंचन का शुभारम्भ किया था। और पिछले छः दिनों से राजधानी लखनऊ में धूम मचा रहे छत्रप्रति शिवाजी के जीवन चरित्र पर आधारित विश्व का महाराट्य जाणता राजा का मंचन मंगलवार को पूर्ण हो गया। जनेश्वर मिश्र पार्क में प्रदेश के अनेक जिलों से आये हुए लगभग सवा लाख से अधिक दर्शकों ने इस महाराट्य का मंचन देखा। दिव्य प्रेम सेवा मिशन हरिद्वार द्वारा आयोजित इस महानाट्य ने राजधानी लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के अनेक जिलों से आये हुए दर्शकों का मन मोह लिया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जाणता राजा का अर्थ होता है बुद्धिमान राजा। छत्रप्रति शिवाजी महाराज एक निर्भीक योग्य और राष्ट्रभक्त योद्धा और शासक थे। उनके समय में आम प्रजा भयमुक्त थी और हर तरह से महाराष्ट्र सम्रद्ध था। और आज उन्हीं की प्रेरणा लेकर हमारे भारत वर्ष की सेनाएं भी बहुत ही सुसज्जित और आधुनिक अस्त्र-शस्त्रों से मजबूत हैं यह बहुत गौरव की बात है।
वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक आशीष गौतम जी बहुत साधुवाद के पात्र हैं जो पूरे भारत वर्ष में इस महानाट्य को अनेक जिलों में दिखाकर आम जनता में नैतिकता, चरित्र और शिवाजी के शौर्य गाथा का मंचन करते हैं इससे लाखों लोग लाभान्वित भी होते हैं।
प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी जाणता राजा के मंचन को प्रदेश भर से देखने आये दर्शकों को धन्यवाद दिया और कहा कि शिवाजी ने अपने शासन में अटक से कटक तक हिंदवी स्वराज्य का भगवा परचम लहराया था। कहा कि छत्रपति शिवाजी के शासन काल को लेकर आज भी सीखने की जरूरत है। शिवाजी ने अपनी नौसेना के साथ अपनी सेना को मजबूत बनाया था और साथ में समुद्री तटों को भी सुरक्षित किया था।
इस महानाट्य को देखने के बाद समाज में शिवाजी के चरित्र, शौर्य, वीरता और पराक्रम की शिक्षा का भी प्रभाव आम जनता पर पड़ा। पिछले छः दिवसों में मंचन देखने आये विद्यार्थी, युवा, बुजुर्ग और समाज के हर वर्ग के लोगों ने इस महानाट्य को देखने के बाद बहुत प्रशंसा की।
जानेश्वर मिश्र पार्क के विशाल पाण्डाल में प्रदेश के कई जिलों से आये हजारों दर्शकों में तब जोष दिखाई दिया जब नाट्य शुरू होते ही शिवाजी की माता जीजाबाई और बाद में छत्रपति शिवाजी ने अपने स्वराज्य की स्थापना करने का प्रण किया। बाद में छत्रपति शिवाजी ने अपनी स्वयं की सेना बनाकर मुगल सल्तनत को परास्त कर अपने स्वराज्य की स्थापना की। माता जीजाबाई ने कहा कि आज भगवान शिव और तुलजा भवानी तुम दोनों की शक्ति की जरूरत आन पड़ी है। जीजाबाई ने अपने पुत्र शिवाजी को बचपन से ही राष्ट्रप्रेम और चरित्र की कठोर शिक्षा देते हुए मुगल सेना के खिलाफ खड़ा किया। कहा कि शिवा आज से साक्षात् तुलजा भवानी तेरी तलवार पर निवास करेंगी और तुम स्वयं भगवान शिव की तरह शक्तिमान बनकर आम जनता की रक्षा और सुरक्षा करेगा। माता की शिक्षा का शिवाजी पर इतना प्रभाव पड़ा कि शिवाजी एक महान योद्धा बन गये थे और अपनी सेना के द्वारा मुगलों के कब्जे से कई किलों और दुर्गों पर विजय प्राप्त कर कब्जा कर लिया और हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की।
नाट्य के समय राष्ट्रप्रेम के प्रति विशेष झलक तब दिखायी दी जब खचाखच भरा पाण्डाल जय भवानी-जय शिवाजी के उद्घोष गूंज उठा। सायं 5 बजे नाट्य शुरू होते ही दर्शकों में उत्साह और स्फूर्ति दिखायी दे रही थी। नाट्य के दौरान भारत का शौर्य पराक्रम और स्वाभिमान साक्षात् शिवाजी महाराज में दिखाई दे रहा था।