लखनऊ में खाटू श्याम मंदिर के बगल स्थित कैलाशपुरी मंदिर आश्रम में प्रयागराज की मूर्छना उर्फ सपना पाठक की 19 मई की रात हत्या हुई। मृतका का भाई पुलिस लेकर आश्रम पहुंचा तो 22 मई को शव खोदकर निकाला गया। जेल जाने के डर से उसे आश्रम के गोशाला में ही दफना दिया गया।
पुलिस को शुरुआत से ही आश्रम के महंत पर शक था। उसने सपना की हत्या को स्वाभाविक मौत बनाने के लिए ऐसी स्क्रिप्ट तैयार की कि शुरू में सबने उसकी बातों पर यकीन किया। हालांकि पोस्टमॉर्टम में हत्या का खुलासा होने के बाद जब कड़ी से कड़ी जोड़ी गई तो पूरी कहानी अलग निकली।
हत्या कोई और नहीं, आश्रम के 104 साल के महंत राम सुमन चतुर्वेदी की बेटी, दामाद और नाती ने ही की। पुलिस ने इसका खुलासा कर दिया है। 4 लोगों को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है। मंदिर के चढ़ावे और उसकी प्रॉपर्टी पर सपना का हक बढ़ता जा रहा था। दामाद-बेटी ने पुलिस के सामने कबूल किया कि छोटे-छोटे खर्चों के लिए भी सपना के आगे हाथ फैलाने पड़ रहे थे। इसीलिए उसे मार डाला। अब बताते हैं कैसे और कब से शुरू हुई हत्या की प्लानिंग…
पुलिस के मुताबिक, सोते समय हाथ-पैर बांधकर सपना के सिर पर ताबड़तोड़ डंडों से वार कर हत्या की गई। यह सब महंत की जानकारी में हुआ। जो घटना वाले दिन से ही सपना के बीमार होने और अंतिम इच्छा के नाम पर गोशाला में दफनाने की कहानी सुना रहे थे। उसने ही परिवार को बचाने के लिए हत्या के बाद गोशाला के अंदर ही गड्ढा खोदकर शव दफना दिया था। शव के साथ 10 किलो नमक भी डाला था, जिससे बॉडी जल्दी गल जाए।
पुलिस के सवालों के आगे लगातार झूठ बोल रहा महंत टूट गया। फिर सपना को 19 मई को बुखार आने के बाद मौत होने पर उसकी अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए गोशाला में दफनाने की बात को फर्जी बताया। उन्होंने बताया कि वह सपना को बहुत मानते थे, जिसको लेकर परिजनों को दिक्कत हो रही थी। जब सुमन की हत्या की जानकारी हुई तो पहले तो पुलिस को बताना चाहा, लेकिन परिजनों को जेल हो जाती। इसलिए उनको बचाने के लिए उसके बुखार आने पर मौत की कहानी बनाकर पुलिस को सुना दी।
एडीसीपी सेंट्रल मनीषा सिंह के मुताबिक, सपना की हत्या में महंत राम सुमन चतुर्वेदी के साथ बेटी शीला मिश्रा, दामाद उदय मिश्र और नाती उदयभान मिश्र को गिरफ्तार किया गया है। घटना में शामिल महंत का दूसरा नाती रोहित और रिश्तेदार संजीव त्रिपाठी की तलाश की जा रही है। पूछताछ में सामने आया है कि सपना 12 सालों से मंदिर से जुड़ी थी। वह अधिकतर मंदिर में ही रहती और कभी कभी ही घर जाती थी। इसके चलते महंत उसकी हर बात मानने लगे थे। उसका मंदिर पर हस्तक्षेप बढ़ने लगा।
यहां तक मंदिर के चढ़ावे से लेकर महंत की पेंशन तक सपना ही लेती थी। उसके हिसाब से ही सब खर्च होते थे। यह उसके परिजनों को बर्दाश्त नहीं हो रहा था। जिसके चलते उसके नाती ने अपने मां-बाप और मंदिर से जुड़े एक युवक के साथ हत्या की योजना बनाई। सपना 16 मई को घर से आश्रम लौटी। 19 मई की रात उसकी हत्या की गई। फिर दफना दिया गया।
महंत की बेटी शीला और दामाद बाबूराम ने बताया कि सपना के चलते उनके परिवार में विवाद होने लगा। छोटे-छोटे खर्चों के लिए भी सपना के आगे हाथ फैलाने पड़ रहे थे। इसके चलते सबने मिलकर सपना को खत्म करने का प्लान बनाया। सपना और महंत के सोने के बाद सपना का मुंह दबाकर हाथ-पैर पकड़ कर बांध दिए। उसके बाद उसके सिर पर डंडे से वार कर मार दिया। तब तक पीटते रहे, जब तक उसकी सांसें थम नहीं गईं।
सपना के भाई कौस्तुब ने बताया कि अक्सर उनकी फोन पर सपना से फोन पर बातचीत हो जाती थी। 19-20 मई के बीच लगातार सपना का मोबाइल बंद जा रहा था। इसके बाद अनहोनी की आशंका पर एक लोगों से जानकारी लेने के बाद पुलिस को सूचना दी। हत्यारों ने सपना का शव दफनाने के बाद उसका मोबाइल, आधार कार्ड एक झोले में रख कर मंदिर में छिपा दिए थे।
पुलिस के मुताबिक, 16 मई को सपना मंदिर आई थी। 21 की रात पुलिस को सूचना मिली कि गोशाला में एक महिला को दफनाया गया है। इसके बाद उसके भाई के सामने मजिस्ट्रेट की अनुमति पर 22 मई को शव को मंदिर परिसर में स्थित गोशाला से बरामद किया गया। मंगलवार को हुए पोस्टमॉर्टम में हत्या का खुलासा हुआ। इसके बाद पुलिस ने महंत राम सुमन चतुर्वेदी, उनकी बेटी शीला मिश्रा, दामाद बाबूराम मिश्र और नाती उदय मिश्रा को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की थी।
महंत राम सुमन चतुर्वेदी कृषि विभाग से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पद से रिटायर्ड है। वह मंदिर में करीब 90 सालों से जुड़े बताए जाते हैं। जहां वह मंदिर की देखरेख के साथ गोशाला भी चलाते हैं।