12 जनवरी 1967 की बात है साउथ सुपरस्टार और पॉलिटीशियन MGR को साउथ सिनेमा के खतरनाक विलेन एम.आर. राधा ने 2 गोलियां मारी थीं, किसी फिल्म में नहीं बल्कि असल जिंदगी में। वजह थी एक मामूली अनबन और गुस्सा। नाराजगी इस कदर थी कि MGR को गोली मारने के बाद एम.आर. राधा ने अपनी ही कनपट्टी में गोली मार ली। खुशकिस्मती से दोनों की जान तो बच गई, लेकिन सुपरस्टार MGR का फिल्मी करियर खत्म हो गया और एम.आर. राधा को हत्या के इरादे से गोली चलाने पर जेल हुई।
एम.आर. राधा, को साउथ में नादिगावेल यानी किंग ऑफ एक्टिंग कहा जाता था। ये उपाधि उनके बेहतरीन अभिनय के लिए दी गई थी। साउथ के सबसे खतरनाक विलेन और कॉमेडियन एम.आर. राधा का फिल्मों में आने का सफर बेहद दिलचस्प था। करीब 7 साल के थे, जब प्लेट में कम मछली परोसे जाने पर नाराज होकर उन्होंने घर छोड़ा था। भागकर पहले थिएटर का हिस्सा बने और फिर सिनेमा का। 4 शादियों से उन्हें 11 बच्चे हैं। फिल्म नसीब अपना-अपना की हीरोइन राधिका इनकी ही बेटी हैं। लेकिन अफसोस MGR को गोली मारते ही लोग उनकी जान के पीछे पड़ गए। 4 साल जेल में बिताए और बची-खुची जिंदगी बिस्तर में।
एम.आर.राधा- मद्रास राजागोपालन राधाकृष्णा का जन्म 14 अप्रैल 1907 को चेन्नई के पास स्थित चिंत्रादिपेट में हुआ था। वर्ल्ड वॉर में पिता की मौत के बाद एम. आर. राधा अपनी विधवा मां के साथ रहते थे। बचपन से ही वो बेहद गुस्सैल और जिद्दी हुआ करते थे। करीब 7 साल के रहे होंगे जब एक दिन घर में खाना खाते हुए मां ने उनकी प्लेट में मछली परोसी। उन्होंने मां से मछली का एक एक्स्ट्रा पीस देने को कहा, लेकिन मां ने इनकार कर दिया। एक मछली के टुकड़े से नाराजगी और बहस इतनी बढ़ गई कि उन्होंने गुस्से में अपना घर छोड़ दिया।
7 साल की उम्र में घर छोड़कर एम.आर. राधा गांव की थिएटर कंपनी के लिए काम करने लगे। हुनर इस कदर था कि उन्हें थिएटर कंपनी के साथ घूम-घूमकर स्टेज शोज करने के बड़े मौके दिए जाने लगे।
तमिलनाडु के नागपट्टिन की अय्यर नाटक मंडली से जुड़कर भी एम.आर. राधा कई प्ले का हिस्सा रहे थे। वो बचपन से ही गुस्से के तेज थे। एक दिन उनका साथ काम करने वाले टी.के. संबांगी से झगड़ा हो गया। गुस्से में एम.आर, राधा ने उनका कान काट लिया, जिससे तेज खून बहने लगा। खून बहता देख एम.आर. राधा डर गए। उन्हें लगा कि अब उन्हें फांसी की सजा मिलेगी। डर से कांपते हुए उन्हें दस्त लगने लगे। हालत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें घर भेजने के लिए उनके रिश्तेदारों को बुलाया गया था।
जब कुछ दिनों बाद वो ठीक होकर लौटे, तो उनके साथ काम करने वाले कलाकार उन्हें हैजा नाम से बुलाने लगे। ये किस्सा एक्टर के.सारंगपानी ने एक इंटरव्यू में बताया था, जो एम.आर. राधा के साथ उसी मंडली का हिस्सा थे।
चंद सालों में ही एम.आर. इतने बेहतरीन थिएटर आर्टिस्ट बनकर उभरे कि फिर उनके लिए खास तौर पर किरदार लिखे जाते थे। जिस दौर में लोग मंच पर चप्पल-जूते पहनने से डरते थे, उस समय राधा बाइक लेकर मंच पर स्टंट किया करते थे। उनका दमदार अभिनय ज्यादा दिनों तक अनदेखा नहीं रहा। एक प्ले की बदौलत उन्हें 1937 की फिल्म राजशेखरन इमांथा सोनागिरी में काम करने का मौका मिला। इसके बाद से ही उन्हें सांथनादेवन, सत्यवानी जैसी तमिल फिल्मों में जगह मिलने लगी।
40 के दशक के अंत में एम.आर. राधा को फिल्मों से जो भी रकम मिली, उसे उन्होंने अपनी फिल्म बनाने में लगा दिया। बिना अनुभव के फिल्म बनाते हुए उनके सारे रुपए डूब गए और उन्हें कंगाली का सामना करना पड़ा। कर्ज और कंगाली से उबरने के लिए उन्होंने खुद को दोबारा थिएटर और स्टेज प्ले को समर्पित कर दिया।
थिएटर में वापसी करने के बाद एम.आर.राधा को 1949 के मशहूर प्ले रथ कन्नीर में कोढ़ से पीड़ित व्यक्ति का रोल निभाने का मौका मिला। उनके परिवार वाले इतने अंधविश्वासी थे कि उनका मानना था कि अगर एम.आर.राधा कोढ़ी व्यक्ति का रोल निभाएंगे, तो उनके जिंदगी में अनहोनी होगी और उनका भविष्य खतरे में आ जाएगा। जाहिर है उन्होंने परिवार वालों की बात नहीं मानी और रथ कन्नीर में अहम रोल निभाया। ये प्ले न सिर्फ भारत बल्कि सिंगापुर, मलेशिया, बर्मा, श्रीलंका में भी काफी हिट रहा।
कुछ सालों बाद डायरेक्टर कृष्णन पंजू ने मशहूर प्ले रथ कन्नीर पर इसी नाम की फिल्म बनाने का फैसला किया। उस प्ले में पहले ही एम.आर. राधा अभिनय कर वाहवाही लूट चुके थे। डायरेक्टर कृष्णन पंजू भी चाहते थे कि वही फिल्म में रहें। एम.आर. राधा अपने गुस्से और मनमर्जी से फिल्में करने के लिए पहचाने जाते थे, ऐसे में प्रोड्यूसर्स नहीं चाहते थे कि उन्हें फिल्म में लिया जाए।
जब डायरेक्टर कृष्णन पंजू को दूसरे किसी एक्टर से तसल्ली नहीं हुई, तो उन्होंने प्रोड्यूसर्स को राजी कर एम.आर. राधा को फिल्म का ऑफर दे दिया। एम.आर. राधा उन दिनों स्टेज प्ले में व्यस्त चल रहे थे, तो उन्होंने फिल्म साइन करने की कई बड़ी शर्तें रख दीं। उन शर्तों में एक शर्त ये भी थी कि वो सिर्फ रात में ही फिल्म की शूटिंग करेंगे, क्योंकि दिन में वो स्टेज प्ले में व्यस्त रहते हैं। वहीं दूसरी शर्त ये थी कि वो इस फिल्म के 1.25 लाख रुपए फीस लेंगे। 50 के दशक में ये एक रिकॉर्ड हाईएस्ट फीस थी।
आखिरकार मेकर्स सभी शर्तें मान गए फिल्म रथ कन्नीर में एम.आर. राधा को कास्ट कर लिया। इस फिल्म में एम.आर. राधा ने विदेश से भारत लौटकर आए मोहन का बेहतरीन रोल निभाया था, जिसे कोढ़ की बीमारी हो जाती है।
फिल्म रथ कन्नीर के बाद से ही एम.आर. राधा साउथ सिनेमा का अहम हिस्सा बन गए। 1960 के बाद उनकी हर साल दर्जनों फिल्में रिलीज होती थीं। उनका तमिल सिनेमा में वो रुतबा था कि हर फिल्ममेकर विलेन के रोल में उन्हें ही लेता था। उनके लिए राइटर खास रोल लिखा करते थे। 60 के दशक में उनकी साउथ के हीरो जितनी फैन फॉलोविंग हुआ करती थी।
अपने बेहतरीन करियर के दौरान एम.आर. राधा की जोड़ी शिवाजी गणेशन, MGR. उनकी पत्नी जानकी के साथ खूब जमती थी। उनकी ज्यादातर फिल्मों में एम.आर.राधा ही विलेन बनते थे। एम.आर. राधा ने MGR के साथ पहली बार 1961 की फिल्म नल्लावन वाजवान में साथ काम था, जिसके बाद दोनों पासन, आनंद जोड़ी, चंद्रोदयम, थाजंपू, मदप्पुरा जैसी दर्जनों फिल्मों में साथ नजर आए।
1964 में प्रोड्यूसर के.के. वासू आर्थिक तंगी का सामना कर रहे थे। इस समय एम.आर. राधा ने एक लाख रुपए देकर उनकी आर्थिक मदद की, जिससे वो फिल्म प्रोड्यूस कर वापसी कर सकें। उन्होंने एम.आर. राधा की दी हुई रकम फिल्म पेत्रालथान पिलैय्या में लगाई। फिल्म के हीरो MGR बने और विलेन के रोल में एम.आर. राधा ने बिना फीस लिए काम किया। 1966 में रिलीज हुई ये फिल्म जबरदस्त हिट रही, जिसके बाद के.के. वासू एम.आर. राधा और MGR के साथ एक और फिल्म बनाना चाहते थे।
12 जनवरी 1967 को के.के. वासू, एम.आर. राधा के साथ अगली फिल्म पर चर्चा करने MGR के घर पहुंचे थे। बातचीत के दौरान MGR और एम.आर. राधा की बहस होने लगी और राधा उठकर घर निकलने लगे। जब MGR ने उन्हें बैठने को कहा, तो एम.आर. राधा ने अपनी लुंगी में फंसी गन निकालकर उनके चेहरे पर पॉइंट ब्लैंक रेज से 2 बार फायरिंग की। प्रोड्यूसर के.के. वासू तुरंत शॉक में चले गए। वहीं अगले ही सेकंड एम.आर. राधा ने अपनी कनपट्टी में दो गोलियां चलाईं। दोनों ही खून से लतपथ हो गए। एम.आर. राधा गिर पड़े और MGR. जख्मी हालत में अपनी पार्किंग में पहुंचे और ड्राइवर के साथ हॉस्पिटल निकले।
कुछ समय बाद घर का स्टाफ एम.आर. राधा को रोयापेट्टा के उसी गवर्नमेंट अस्पताल में ले जाया गया, जहां MGR. गए थे। दोनों की एक ही डॉक्टर ने सर्जरी की थी। सर्जरी के बाद दोनों को एक ही एंबुलेंस में मद्रास जनरल हॉस्पिटल शिफ एम.आर. राधा ने पहले हत्या के इरादे से MGR पर गोली चलाई थी, फिर आत्महत्या के इरादे से खुद पर। हालांकि, दोनों बार उनका निशाना चूक गया और खुदकिस्मती से दोनों को बचा लिया गया।
MGR पर चलाई गईं दो में से एक गोली उनके दाहिने कान में लगी थी, जिससे उन्हें सुनाई देना बंद हो गया था। वहीं दूसरी गोली उनके गले में जाकर फंस गई, जिससे उनकी आवाज बिगड़ गई। वहीं एम.आर.राधा ने जो गोलियां खुद पर चलाईं, वो दोनों उनके कान को काटने हुए निकलीं।
जैसे ही खबर फैली कि भगवान की तरह पूजे जाने वाले MGR पर उनकी फिल्म के विलेन एम.आर. राधा ने असल में गोलियां चला दी हैं, तो महज 15 मिनट में ही अस्पताल के बाहर 50 हजार फैंस आ गए। कई फैंस मातम मना रहे थे, वहीं कुछ एम.आर.राधा की जान लेने के उतारू हो गए थे। भीड़ को काबू करने के लिए एक्स्ट्रा पुलिस फोर्स बुलाई गई थी। वहीं गुस्से में कई फैंस ने एम.आर. राधा के घर में घुसकर तोड़फोड़ की थी।
अस्पताल में एडमिट रहकर ही MGR ने मद्रास स्टेट इलेक्शन की एप्लिकेशन भरी। इसकी एक तस्वीर भी सामने आई, जब गर्दन और सिर में पट्टी बांधे हुए MGR एक पेपर में साइन करते दिखे। फैंस और DMK पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनकी ये तस्वीर पूरे तमिलनाडू में फैलाई। फायदा ये रहा कि 1967 में MGR पूरे 27 हजार वोटों से विधायक बने। ये मद्रास के इतिहास में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाले विधायक थे।
हालत में सुधार आने के चंद दिनों बाद ही एम.आर. राधा को गिरफ्तार कर लिया गया। मई 1967 में कोर्ट ने मामले की सुनवाई की, जिसमें दोनों ही पक्षों ने अलग-अलग बयान दिए। MGR और इस घटना के इकलौते चश्मदीद केके वासू ने बताया कि बातचीत के दौरान एम.आर. राधा अचानक खड़े हो गए थे। जब MGR ने उनसे बैठने को कहा, तो वो नहीं बैठे। ऐसे में MGR और केके वासू ने बात करना जारी रखा। कुछ ही सेकेंड बाद एम.आर. राधा ने अचानक उन पर गोलियां चला दीं।
वहीं अपनी सफाई में एम.आर. राधा ने कहा था कि निगेटिव आर्टिकल लिखने पर MGR उन पर गुस्सा कर रहे थे। वो तत्कालीन तमिलनाडू के मुख्यमंत्री कामराज को मारने की प्लानिंग कर रहे थे। सबसे पहले MGR ने उन पर गोली चलाई फिर बचाव में उन्होंने गन छीनकर उन पर फायरिंग की।
एम.आर. राधा के बर्थडे पर उनकी बेटी राधिका ने एक ट्वीट कर उनसे जुड़ा किस्सा शेयर किया था। उन्होंने बताया कि जब एम.आर. राधा पर MGR की हत्या करने का केस चल रहा था, तब कुछ वकील चाहते थे कि वो कोर्ट में कुछ झूठ बोलें, जिससे उन्हें बचाया जा सके। हालांकि, उन्होंने ये कहते हुए इनकार कर दिया कि प्लीज मुझे वो करने को मत कहो, जो मैंने जिंदगी भर न किया हो।
फिल्मों में कमबैक के बाद 1978 में एम.आर. राधा की 5 फिल्में रिलीज हुईं, जिनमें से ज्यादातर हिट रहीं। सब कुछ ठीक होने को था कि अचानक पीलिया होने से उनकी हालत बिगड़ गई। आखिरकार, लंबे इलाज के बाद 17 सितंबर 1979 को उनका 72 साल की उम्र में निधन हो गया।
एम.आर. राधा ने 4 शादियां की थीं। पहली पत्नी सरस्वती से उन्हें 3 बेटे एम.आर.आर. वासू, एम. आर.आर राधा रवि, एम. आर. राधाराजू, दूसरी पत्नी धनलक्ष्मी से उन्हें 3 बेटियां रश्या, रानी, रति थीं। तीसरी पत्नी जया से गनावल्ली, कस्तूरी और राजेश्वरी और चौथी पत्नी गीता से राधिका और निरोशा थीं।
उनका बड़ा बेटा वासू 80 के दशक में तमिल सिनेमा का हिस्सा रहा है। वहीं उनका दूसरा बेटा राधा रवि भी एक्टर है। बेटियां राधिका और निरोशा भी एक्ट्रेस हैं। राधिका ने भी तमिल और हिंदी सिनेमा में पहचान बनाई है।