उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त होने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को विधान परिषद में विपक्षी दलों ने सरकार पर तीखे हमले किए। कानपुर के बिकरू कांड व संजीत यादव हत्याकांड, लखीमपुर खीरी में नाबालिग बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या, प्रतापगढ़ में दलितों पर दबंगों के हमले और आजमगढ़ में ग्राम प्रधान की हत्या जैसी जघन्य आपराधिक घटनाओं का हवाला देते हुए सपा, बसपा और कांग्रेस ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया। वही नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा ने आंकड़ों का हवाला देकर यह साबित करने की कोशिश की कि बसपा और सपा सरकारों की तुलना में योगी राज में अपराधों में कमी आई है।
समाजवादी पार्टी के नरेश चंद्र उत्तम ने कहा कि सरकार कानपुर में संजीत यादव की हत्या के दो महीने बाद भी उसका शव बरामद नहीं किया जा सका है। देवरिया शेल्टर होम कांड की रिपोर्ट आज तक सामने नहीं आई है। कांग्रेस के दीपक सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार में अधिकारी खुद जान बचाने की गुहार लगा रहे हैं। विक्रम जोशी समेत दो दर्जन पत्रकारों की हत्या प्रदेश में हो चुकी है। तंज किया कि अलीगढ़ में थाने के भीतर भाजपा विधायक का हाफ एनकाउंटर हुआ।
समाजवादी पार्टी के राम सुंदर दास निषाद ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली सरकार के शासनकाल में बालिकाओं की अस्मत लूटने के बाद उनकी नृशंस हत्या की जा रही है। बसपा के दिनेश चंद्रा और सुरेश कश्यप ने आजमगढ़ में ग्राम प्रधान समेत अन्य हत्याकांडों का जिक्र करते हुए कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए। कहा कि बिकरू कांड की आड़ में सरकार ब्राह्मणों पर अत्याचार कर रही है। विपक्षी दलों ने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सदन में काम रोक कर चर्चा कराने की मांग की।
जवाब में नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं घटीं जो नहीं होनी चाहिए थीं। इन घटनाओं में भी सरकार ने कठोर कार्रवाई की है। संजीत हत्याकांड की सीबीआई जांच की सिफारिश सरकार कर चुकी है। ब्राह्मणों पर अत्याचार के आरोपों को नकारते हुए उन्होंने कहा कि वोट बैंक के लालच में दुष्प्रचार कर विपक्षी दल सत्ता पाने का सपना देख रहे हैं।
नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि वर्ष 2016 में सरकार की तुलना में डकैती की घटनाओं में 74 प्रतिशत, लूट में 65 प्रतिशत, हत्या में 26 प्रतिशत, गृह भेदन में 12 प्रतिशत, लूट में 100 प्रतिशत तथा फिरौती-अपहरण की घटनाओं में 54 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं वर्ष 2012 में बसपा सरकार में लूट की 1731 घटनाएं हुई थी जो अब घटकर 792 रह गई हैं। तब हत्या की 2892 घटनाएं हुई थीं, जिनकी संख्या अब 2032 है। तब फिरौती के 42 मामले हुए थे जो अब घटकर 32 रह गए हैं। सरकार के जवाब से असंतुष्ट सपा व बसपा सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।