कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ अपने कड़े विरोध को नये पायदान पर ले जाते हुए कांग्रेस ने पार्टी शासित राज्यों को केंद्र के इस नये कानून को अप्रभावी करने का कानूनी विकल्प तलाशने पर गौर करने का निर्देश दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्यों के अधिकार क्षेत्र में केंद्र के अतिक्रमण के खिलाफ संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप इस विकल्प पर विचार करने को कहा है। वहीं, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नये कानून के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन का पूरा समर्थन करते हुए कहा नया कृषि कानून किसानों के लिए मौत का फरमान है।
कांग्रेस शासित राज्यों को सोनिया गांधी की ओर से दिए गए इस निर्देश से साफ है कि संसद से सड़क तक कृषि कानूनों के खिलाफ पार्टी लड़ाई तो जारी ही रखेगी। साथ ही केंद्र सरकार के खिलाफ इसको लेकर कानूनी लड़ाई का नया मोर्चा भी खोला जाएगा। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कृषि कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कह इस ओर इशारा भी कर दिया है। केरल से कांग्रेस के एक सांसद ने तो इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल कर दी है।
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बयान जारी कर बताया कि सोनिया गांधी की ओर से पार्टी शासित राज्यों को इन कानूनों को खारिज करने के लिए विधायी संभावनाएं तलाशने को कहा गया है। पार्टी के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 254 (2) के तहत राज्यों की विधानसभाओं को केंद्र द्वारा पारित ऐसे कृषि विरोधी कानूनों को निरस्त करने का अधिकार है, जो राज्यों के संवैधानिक अधिकार पर अतिक्रमण करते हैं। वेणुगोपाल के मुताबिक, इस विकल्प के जरिये केंद्र के नये कठोर कृषि कानूनों को लागू करने के लिए कांग्रेस शासित राज्य बाध्य नहीं होंगे।
कृषि कानूनों के खिलाफ देश भर में विरोध आंदोलन कर रही कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों समेत हर राज्य में उसके बड़े नेता सोमवार को विरोध मार्च में भी शामिल हुए। राहुल गांधी ने इस विरोध मार्च के समर्थन में करते हुए ट्वीट में राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश की ओर से कृषि कानूनों को जबरन पारित कराए जाने की खबर का हवाला दिया। राहुल ने कहा, ‘कृषि कानून हमारे किसानों के लिए मौत की सजा है। उनकी आवाज सांसद के अंदर और बाहर कुचल दी गई। ये इस बात का प्रमाण है कि भारत में लोकतंत्र मर चुका है।’