पंजाब को लेकर कांग्रेस नेतृत्व और प्रदेश प्रभारी हरीश रावत की स्थिति पेंडुलम की तरह हो गई है। प्रदेश में कैप्टन अमरिंदर सिंह को मजबूती देते ही नवजोत सिंह सिद्धू और असंतुष्ट नेताओं की तलवारें निकल आती हैं और नेतृत्व के सिद्धू के साथ खड़े होने पर कैप्टन समर्थक नेता सक्रिय हो जाते हैं।
रावत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के अगले दिन शनिवार को राहुल गांधी से भेंट की। उन्होंने राज्य के नेताओं के बीच हो रही बयानबाजी और राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी दी। उनके बयानों से साफ है कि नेतृत्व कैप्टन और सिद्धू के अलावा अन्य नेताओं को भी तरजीह देना चाहता है।
रावत पंजाब का प्रभार छोड़कर अपने राज्य उत्तराखंड में सक्रिय होना चाहते हैं लेकिन हर दिन दोनों ओर से हो रही बयानबाजी उनकी राह रोक रही है।
इस संबंध में रावत का कहना है कि अगर पार्टी कहती है कि प्रभारी की जिम्मेदारी जारी रखें तो वह ऐसा करते रहेंगे। वह अगले एक दो दिन में पंजाब जाएंगे और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से मुलाकात करेंगे। हमारी दो ही प्राथमिकताएं हैं, एक हम कैसे चुनाव जीते और दूसरा लोगों का राजनीतिक हित सुरक्षित रखें। उनका कहना है कि उनके पास आते आते विधायकों के मुद्दे खत्म हो गए थे।
सिद्धू आक्रामक खिलाड़ी हैं, तेवर बने रहे
रावत ने कहा कि सिद्धू आक्रामक खिलाड़ी हैं। हमको तो ताली बजानी है। हम तो चाहते हैं कि हमारे अध्यक्ष के ये तेवर बने रहें। चुनाव के समय हमें आक्रामक बल्लेबाज चाहिए, इसलिए उन्हें बनाया है। उनका कहने का अंदाज है तो उसको भी सहन करना पड़ेगा।
कैप्टन के नेतृत्व में ही चुनाव होगा
उन्होंने कहा कि कैप्टन कांग्रेस के सीएम हैं, सरकार वह ही चला रहे हैं। उनके नेतृत्व में ही चुनाव होगा। कैप्टन से असंतुष्ट विधायकों के सवाल पर उन्होंने कहा कि कैप्टन साहब ने आश्वासन दिया है कि किसी के खिलाफ कोई प्रतिशोध की कार्रवाई नहीं होगी और अगर कहीं कोई कर रहा है तो विधायक और नेता उन्हें बताएं।