कांग्रेस नेतृत्व को करनी पड़ रही राज्यसभा चुनाव के टिकट तय करने में मशक्कत, इन दिग्‍गजों की वापसी तय

राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन में कांग्रेस हाईकमान को राजनीतिक समीकरण साधने के साथ ही अंदरूनी उथल-पुथल थामने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। आगामी 10 जून को राज्यसभा की 57 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में कांग्रेस को अधिकतम नौ सीटें ही मिल सकती हैं, लेकिन अगर सहयोगी दलों ने दरियादिली दिखाई तो यह आंकड़ा 11 सीटों तक पहुंच सकता है। इसलिए पार्टी में राज्यसभा के लिए दावेदारों की संख्या एक अनार और सौ बीमार जैसी है

पी चिदंबरम और जयराम रमेश जैसे पार्टी के कुछ दिग्गज नेताओं को सदन में लाना जहां नेतृत्व की जरूरत है। वहीं गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा सरीखे असंतुष्ट नेताओं को उच्च सदन में भेजने का दबाव भी है। इसके बीच कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ तो कुछ उभरते नई पीढ़ी के चेहरे भी मौका हासिल करने के लिए पूरा जोर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
कांग्रेस के राजनीतिक थिंक टैंक के मौजूदा समय में सबसे प्रमुख चेहरे पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम और जयराम रमेश को राज्यसभा में वापस लाया जाना लगभग तय माना जा रहा है। चिदंबरम इस बार महाराष्ट्र की जगह अपने गृह प्रदेश तमिलनाडु से राज्यसभा में आ सकते हैं क्योंकि कांग्रेस और द्रमुक के बीच हुए चुनावी समझौते के तहत पार्टी को सूबे से एक सीट मिलने की उम्मीद है।
हालांकि इस सीट के लिए कांग्रेस के डाटा एनालिसिस विभाग के प्रमुख और राहुल गांधी के करीबी प्रवीण चक्रवर्ती भी मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं। कर्नाटक से मिलने वाली एक सीट पर जयराम रमेश की वापसी लगभग तय मानी जा रही है।
हालांकि बताया जा रहा है कि कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार और नेता विपक्ष व पूर्व सीएम सिद्दरमैया सूबे के अगले विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को उम्मीदवार बनाए जाने की पैरोकारी कर रहे हैं। इन दोनों नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से दो दिन पहले मुलाकात कर राज्यसभा उम्मीदवारी के मसले पर चर्चा भी की थी। लेकिन हाईकमान ने अभी प्रियंका को राज्यसभा उम्मीदवार बनाने का कोई संकेत नहीं दिया है
राजस्थान से कांग्रेस की दो सीटें पक्की हैं और समर्थक निर्दलीय विधायकों के सहारे पार्टी तीसरी सीट जीत सकती है। इसलिए पुराने दिग्गजों और नए नेताओं के बीच दावेदारी की रस्साकशी भी सबसे ज्यादा यहीं है। वहीं दूसरी सीट के लिए स्थानीय नेताओं से लेकर पार्टी के कई दिग्गजों के नाम की चर्चा चल रही है।
असंतुष्ट खेमे की अगुआई करने वाले नेता गुलाम नबी आजाद को साधने के लिए राजस्थान से टिकट देने पर गंभीर रूप से विचार किया जा रहा है। वहीं अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रदेश के नेताओं और सामाजिक समीकरण को साधे रखने की भी पार्टी के सामने चुनौती है। कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला राजस्थान या छत्तीसगढ़ से उम्मीदवार बनने की होड़ में शामिल हैं।
हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाली पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा भी दलित और महिला दोनों समीकरणों के आधार पर मजबूत दावेदारी पेश कर रही हैं। पूर्व सीएम व कांग्रेस के सूबे के दिग्गज भूपेंद्र सिंह हुडृडा अगले चुनाव के हिसाब से ब्राह्मण समुदाय के नेता को टिकट देने की सिफारिश कर रहे हैं और उनकी पसंद असंतुष्ट खेमे के नेता आनंद शर्मा बताए जा रहे हैं।
वहीं, पार्टी संगठन के लिए काम कर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री व हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी राजीव शुक्ल इस समीकरण में खुद को फिट करने की कोशिश में हैं। इसीलिए आनंद शर्मा की उम्मीदवारी अभी पक्की नहीं है।
छत्तीसगढ़ से मिलने वाली दो सीटों में से एक पर हाईकमान जहां राष्ट्रीय सियासत के हिसाब से फैसला करेगा वहीं दूसरी सीट सूबे के किसी नेता को दी जाएगी। मध्य प्रदेश में कांग्रेस अगले चुनाव को देखते हुए स्थानीय उम्मीदवार को तवज्जो देगी और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव इसके लिए प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं।
महाराष्ट्र की एक सीट के लिए मिलिंद देवड़ा, संजय निरूपम से लेकर कई दावेदार हैं। झारखंड में झामुमो सहमत हुआ तो कांग्रेस को एक सीट मिल सकती है। पार्टी के असंतुष्ट नेताओं में सबसे मुखर कपिल सिब्बल की उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस में रहस्मय चुप्पी है मगर सियासी गलियारों में चर्चा गरम है कि समाजवादी पार्टी उन्हें राज्यसभा में भेजने के लिए लगभग तैयार है। राजद के समर्थन से सिब्बल के बिहार से राज्यसभा में आने का विकल्प भी खुला है।