कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान को लेकर सरकार के खिलाफ कांग्रेस का हमला जारी है। बुधवार को लोकसभा में कांग्रेस के सदस्य मनीष तिवारी ने यह मामला उठाया और दावा किया कि टीकाकरण अभियान ठीक ढंग से नहीं चल रहा है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार अपने देश में लोगों को टीका लगाने की जगह टीके के निर्यात पर ज्यादा जोर दे रही है। जदयू ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना की।
स्वास्थ्य मंत्रालय की अनुदान मांगों पर बहस की शुरुआत करते हुए तिवारी ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के कार्यकारी बोर्ड का मौजूदा अध्यक्ष होने के नाते भारत को दुनिया भर में कोरोना महामारी फैलाने के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराने की पहल करनी चाहिए। भारत को चीन को बिना दंडित किए छोड़ने के अपराध का हिस्सा नहीं बनना चाहिए।
कांग्रेस नेता ने कहा कि देश में लोगों को सिर्फ 3.5 करोड़ वैक्सीन की डोज दी गई है, जबकि 72 देशों को 5.74 करोड़ डोज दे दी गई है। इससे पता चलता है कि दूसरे देशों को वैक्सीन सप्लाई करने को ज्यादा महत्व दे रही है।
जदयू के राजीव रंजन सिंह ने तिवारी के आरोपों को खारिज करते हुए कोरोना महामारी पर प्रभावी तरीके से नियंत्रण पाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों से बात की, सभी के सुझावों को सुना और उनकी समस्याओं को दूर करने की कोशिश की। कोई भी यह नहीं कह सकता है कि प्रधानमंत्री ने उनसे बात नहीं की। प्रधानमंत्री ने सहयोगात्मक संघवाद का उच्च मानक पेश किया है।
कांग्रेस के आरोपों को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी खारिज किया। उन्होंने कहा कि देश अपने देश के नागरिकों के हितों की कीमत पर दूसरे देशों को वैक्सीन की आपूर्ति नहीं कर रही है। सरकार ने विशेषज्ञों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की है और उसके बाद ही घरेलू और बाहरी जरूरतों के बीच संतुलन बनाते हुए वैक्सीन के निर्यात का फैसला किया गया है।
बहस में शामिल वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के सदस्य संजीव कुमार सिंगारी ने कहा कि टीकाकरण अभियान पर सरकार को 35,000 करोड़ रुपये बर्बाद नहीं करना चाहिए और इस रकम का इस्तेमाल देश में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारने में करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को कोरोना रोधी टीका लगाने के लिए सरकार 35 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है। टीके का असर छह से नौ महीने में खत्म हो जाएगा और ये पैसे बर्बाद हो जाएंगे।
बहस के दौरान गरीबों को मुफ्त और कामकाजी वर्ग के लोगों को तत्काल टीका देने की मांग की गई। द्रमुक के डीएनवी सेंतीकुमार ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां ज्यादातर लोग गरीब हैं और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं, वहां सभी लोगों के लिए टीकाकरण को मुफ्त किया जाना चाहिए। एनसीपी के अमोल कोल्हे ने कहा कि देश में फिर से लॉकडाउन का खतरा मंडराने लगा है, इसको देखते हुए कामकाजी वर्ग के लोगों को तत्काल टीका लगाया जाना चाहिए।