कांग्रेस, मोदी के हमले का और साथियों की मुस्कान के बीच अलग थलग पड़ी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह अंदाज-ए-बयां थोड़ा अनोखा था जिसमें निशाने पर कांग्रेस थी और इशारों-इशारों में विपक्ष के साथियों के लिए सुझाव। लोकसभा में लगभग डेढ़ घंटे के भाषण में उन्होंने कुछ इस तरह बातें रखीं कि अधिकतर समय कांग्रेस पैरों पर खड़ी रही और सत्तापक्ष के साथ-साथ अन्य विपक्षी दल भी मजे लेते रहे। बात यहीं नहीं रुकी, कई मुद्दों पर उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू को ही उद्धत करते हुए कांग्रेस को मजबूर भी किया।

यह शुक्रवार से तय था कि प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देंगे। पहले दिन विपक्ष की ओर से चर्चा की शुरुआत राहुल गांधी ने की थी। हालांकि सोमवार को न तो वह मौजूद थे और न ही सोनिया गांधी। ऐसे में जाहिर तौर पर कांग्रेस के नेता सदन अधीर रंजन चौधरी पर बड़ी जिम्मेदारी थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने पार्टी के अंदर उनकी लाचारगी को बड़े रोचक तरीके पेश कर दिया
शुरुआत बड़े सद्भावपूर्ण तरीके से हुई जब अधीर रंजन की टोकाटाकी को देखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह बैठ जाते हैं, तब अधीर खुद ही बैठ गए। प्रधानमंत्री ने भी तत्काल कहा, आपका प्यार अजर अमर रहे और अधीर हंस दिए। लेकिन ज्यों-ज्यों कांग्रेस पर हमला बढ़ता गया और यह स्पष्ट हुआ कि निशाने पर राहुल हैं, तो वहां मौजूद कांग्रेस सदस्यों के लिए बैठना मुश्किल हो गया।
शुरुआत के कुछ समय तक प्रधानमंत्री ने कांग्रेस का नाम लिए बगैर ही इतिहास की याद दिलाई और कहा कि जो 50-60 साल तक सत्ता में रही, उसे जनता ने भुला दिया है। जाहिर तौर पर यह बात कांग्रेस के लिए ही थी। ऐसे में जब अधीर खड़े हुए तो प्रधानमंत्री ने पूरे सदन के ठहाकों के बीच कहा- मैंने तो किसी का नाम नहीं लिया फिर उड़ती टोपी क्यों पहन रहे हैं लेकिन अगर आप यह समझ गए हैं तो फिर मैं नाम ले ही लेता हूं। हालांकि पूरे भाषण में उन्होंने एक बार भी राहुल गांधी का नाम नहीं लिया।
एक वक्त तो टोकाटाकी से परेशान प्रधानमंत्री ने यह भी याद दिला दिया कि जब कांग्रेस नेता बोल रहे थे और थोड़ा अवरोध हुआ था, तभी यह कहा गया था कि मुझे नहीं बोलने दिया जाएगा। तंग आकर प्रधानमंत्री ने अधीर से कहा, ‘जहां आपके पराक्रम को नोट करना था, वह हो गया, मैं गारंटी देता हूं कि कम से कम इस सत्र में आप कहीं नहीं जाएंगे।’ अधीर के नजदीक ही बैठे तृणमूल सदस्यों ने भी इसका मजा लिया। एक अन्य अवसर पर उन्होंने अधीर से कहा, ‘आपको पूरी जिंदगी बोलते रहना है क्योंकि आपका यही काम है। कुछ लोग वोट करके भाग जाते हैं, झेलना इनको पड़ता है।’