उद्धव ठाकरे की सरकार ने बुधवार को औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर और उस्मानाबाद को धाराशिव करने का फैसला किया था। अब खबर है कि पूरे सियासी संकट के दौरान शिवसेना के साथ खड़ी रही कांग्रेस गठबंधन के प्रमुख दल के इस फैसले से खुश नहीं है। हालांकि, ऐसे भी कई कारण सामने आए हैं, जिनके चलते पार्टी ने दोनों शहरों के नाम बदलने का विरोध नहीं किया। ठाकरे ने बुधवार को सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी के एक वर्ग का मानना है कि महाराष्ट्र सरकार में शामिल उनके मंत्रियों को फैसले से दूरी बनानी चाहिए थी। महाराष्ट्र में कांग्रेस के कुछ नेताओं ने केसी वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खड़गे का भी रुख किया था, लेकिन आला कमान इस मामले में दखल देने के मूड में नहीं था।
पार्टी आलाकमान को इस बात की आशंका थी कि अगर पार्टी नाम बदलने के फैसले का विरोध करती है, तो उसे हिंदू समुदाय की तरफ से विरोध का सामना करना पड़ सकता है। खास बात है कि कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई पहले भी इन स्थानों के नाम बदलने की बात का विरोध कर चुकी है।
पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘उन्होंने कांग्रेस को इसमें शामिल कर लिया।’ उन्होंने बताया, ‘सेना हिंदुत्व को लेकर अच्छी नजर आना चाहती थी। अब कांग्रेस भी इस फैसले का हिस्सा बन गई है। हम इस निर्णय में फंस गए। हमें परिणाम भुगतने होंगे।’
साल 2018 में भी खबरें आई थी कि केंद्र ने देश के 25 शहरों और गांवों के नाम बदलने को मंजूरी दे दी है। इसे लेकर भी कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा था। कांग्रेस ने आरोप लगाए थे कि भाजपा भारत के सम्मान, पहचान, चरित्र या परिभाषा को नहीं समझती है।