विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के झगड़े ने कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है। पार्टी को डर है कि दोनों नेताओं में टकराव इसी तरह जारी रहा, तो चुनाव में नुकसान हो सकता है। पर पार्टी की मुश्किल यह है कि वह इनमें से किसी भी नेता पर दबाव डालने की स्थिति में नहीं है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कैप्टन और सिद्धू दोनों मानने को तैयार नहीं हैं। कैप्टन सिद्धू को मंत्री पद से ज्यादा देने को तैयार नहीं हैं, जबकि सिद्धू उप मुख्यमंत्री या प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते हैं। मुख्यमंत्री इन दोनों पदों के लिए किसी भी कीमत पर तैयार नहीं हैं। वहीं, सिद्धू मंत्री पद पर रजामंद नहीं हैं।
पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ कहते हैं कि पार्टी नेतृत्व को स्थिति की जानकारी है। मामले को सुलझाने की कोशिश की जा रही है। इसके बावजूद पार्टी के कई नेता मानते हैं कि सिद्धू दबाव बनाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। इसलिए पार्टी को ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए। सिद्धू सिर्फ अमृतसर तक सीमित हैं और कैप्टन अमृतसर से अरुण जेटली को हरा चुके हैं।
प्रदेश कांग्रेस नेता मानते हैं कि पंजाब में पार्टी के पास कैप्टन से बड़ा चेहरा नहीं है। पार्टी कैप्टन को नजरअंदाज करती है, तो उसके लिए जीत आसान नहीं होगी। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी नेतृत्व कैप्टन पर दबाव डालने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में पार्टी को अगला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री कैप्टन के नेतृत्व में लड़ना होगा।
कांग्रेस मानती है कि सिद्धू के पास ज्यादा विकल्प नहीं है। किसान आंदोलन के बाद भाजपा को इस चुनाव में बहुत ज्यादा कुछ मिलने की उम्मीद नहीं है। आम आदमी पार्टी की स्थिति भी लगातार कमजोर हो रही है। ऐसे में अगला चुनाव कांग्रेस और अकाली दल के बीच होगा। पार्टी नेता मानते हैं कि ऐसे में तमाम नाराजगी के बावजूद सिद्धू कांग्रेस का हाथ नहीं छोड़ेंगे।