कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी से मिलने का समय मांगा है। उन्होंने कहा, ‘पीएम हमारे मैनिफेस्टो को सही से समझ नहीं पाए हैं। उनसे मिलकर उन्हें मैनिफेस्टो समझाना है।’ कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ चुनाव आयोग में 17 शिकायतें भी कीं।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि मैनिफेस्टो की प्रतियां हमारे पार्टी नेताओं और लोकसभा उम्मीदवारों की तरफ से प्रधानमंत्री को भेजी जाएंगी। कांग्रेस ने ये भी कहा कि पार्टी चुनाव आयोग में एक लाख लोगों के दस्तखत कराकर एक याचिका भी दायर करेगी।
भाजपा कांग्रेस मैनिफेस्टो को मुस्लिम लीग का मैनिफेस्टो बता रही, जनगणना का जिक्र कर रही
दरअसल, भाजपा, कांग्रेस मैनिफेस्टो को मुस्लिम लीग का मैनिफेस्टो बता रही है। साथ ही उसके घोषणा पत्र के पेज नंबर 7 पर हिस्सेदारी न्याय के तहत, पहले पॉइंट का जिक्र कर रही है।
इसमें कहा गया है कि कांग्रेस राष्ट्रव्यापी आर्थिक-सामाजिक जाति जनगणना करवाएगी। इसके माध्यम से कांग्रेस जातियों, उपजातियों और उनकी आर्थिक-सामाजिक स्थिति का पता लगाएगी। पीएम के मंगलसूत्र और संपत्ति बांटने के बयानों को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
वेणुगोपाल के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने जो कहा, वह हमारे मैनिफेस्टो में नहीं है। वे वोटों के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश कर रहे हैं। क्या चुनाव आयोग ने उन्हें (पीएम को) हर बात पर झूठ बोलने की अनुमति दी है। जब चुनाव आयोग हर बात पर हस्तक्षेप करता है तो इस मुद्दे पर खामोश क्यों है? आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना चाहिए।
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया- हमारे प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से मुलाकात की। हमने 17 शिकायत की हैं। सभी बहुत गंभीर हैं और स्वतंत्र भारत के मूल सिद्धांत का उल्लंघन करती हैं। इसलिए ये जरूरी है कि जिसे (चुनाव आयोग) हमने इस अधिकार क्षेत्र का संरक्षक बनाया है, वह तुरंत ठोस और सही एक्शन ले।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने ये बयान राजस्थान में प्रचार (21 अप्रैल) के दौरान दिया। हमने चुनाव आयोग के सामने पूरा बयान रखा है। पीएम के बयान में एक समुदाय का स्पष्ट नाम के साथ विवरण है। ये स्पष्ट कहा गया है कि वह समुदाय इस देश की अल्प रिसोर्सेस को हड़प लेगा। कांग्रेस उन्हें ये रिसोर्सेस दे देगी। उस समुदाय को घुसपैठियों के साथ जोड़ा गया है। हिंदू धर्म के कई प्रतीकों (जैसे मंगलसूत्र) पर आघात हो सकता है। मैं कहना चाहता हूं कि नियम 123 के तहत प्रधानमंत्री ने उल्लंघन किया है। इस नियम के तहत चुनाव के दौरान धार्मिक आधार पर वक्तव्य नहीं दिया जा सकता। ये चुनाव आयोग के सर्कुलर का भी उल्लंघन है। इसमें भी कहा गया है कि आप सीधे या परोक्ष रूप से धर्म के आधार पर आक्षेप नहीं लगा सकते। प्रधानमंत्री ने संविधान की अस्मिता पर भी आघात किया है। इसमें चुनाव आयोग, संविधान और प्रधानमंत्री पद की क्रेडिबिलिटी का सवाल है।