इमरती देवी पर टिप्पणी ने बढ़ाई अनुसूचित जाति वर्ग में भाजपा का जनाधार बढ़ने की उम्मीद

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ द्वारा शिवराज सरकार की मंत्री और विधानसभा उपचुनाव में प्रत्याशी इमरती देवी को लेकर की गई अमर्यादित टिप्पणी को भाजपा ने चुनावी हथियार बना लिया है। भाजपा इस मुद्दे पर जबरदस्त हमलावर है और वह इसे महिला व अनुसूचित जाति (अजा) वर्ग का विरोधी बताकर राष्ट्रीय मुद्दा बनाने में सफल रही है। इसका उसको उपचुनाव में लाभ मिलना तय माना जा रहा है।
2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का आज वर्ग में खोया जनाधार इस मुद्दे के बाद वापस मिलने की उम्मीद जगी है। जिस तरीके से भाजपा ने इस मुद्दे पर बढ़त बनाई है, उससे मध्य प्रदेश में कांग्रेस की छवि महिला और अजा वर्ग विरोधी के तौर पर सामने आई है। उपचुनाव में भाजपा इसे अपने लिए लाभ के रूप में देख रही है। ऐसा लगता है कि इमरती देवी प्रकरण के बहाने भाजपा इस बार उपचुनाव में अजा वोट बैंक को अपनी ओर खींचने में सफल रहेगी। गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में एट्रोसिटी एक्ट के चलते अजा वर्ग भाजपा से छिटक गया था।
मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हो रहे हैं, जिनमें से नौ सीटें अनुसूचित जाति और दो अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इमरती देवी प्रकरण इन 11 सीटों पर सीधा असर डाल सकता है। दरअसल, इमरती देवी अनुसूचित जाति वर्ग से आती हैं। कमल नाथ के बेतुके बोल के कारण अब प्रदेश और विशेषकर ग्वालियर-चंबल अंचल में दो दिन में मतदाताओं की मानसिकता बदलने के संकेत मिल रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कमल नाथ के बयान को लेकर कांग्रेस को बैकफुट पर लाने में भाजपा के थिंक टैंक की अहम भूमिका रही है। पार्टी पदाधिकारियों ने मामले में कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को भी कठघरे में खड़ा कर रणनीतिक जीत हासिल कर ली है। कांग्रेस इस मामले में ना तो खुलकर गलती स्वीकार कर पा रही है और ना ही पार्टी के अन्य नेता कमल नाथ के पक्ष में आ पा रहे हैं।
प्रदेश भाजपा के मुख्‍य प्रवक्‍ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय ने कहा कि महिलाओं के सम्मान और गरिमा को भाजपा राजनीतिक नजरिये से नहीं देखती है। कमल नाथ ने जो कुछ कहा, उसका सख्त विरोध जरूरी है, ताकि इस तरह की मनोवृत्ति के लोग सार्वजनिक जीवन में प्रभावी ना रहें।

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आदर्श कुमार

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