‘अफसोस हम ना होंगे’ हास्य नाटक का लखनऊ में मंचन, कहानी ने लोगों को खूब गुदगुदाया

लखनऊ में गोमती नगर स्थित संगीत नाट्य एकेडमी में शुक्रवार को हास्य नाटक ‘अफसोस हम ना होंगे’ का मंचन हुआ। निर्देशक संगम बहुगुणा और लेखक रणवीर सिंह के इस नाटक ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया। मदन की वहम की बीमारी देख लोग खूब हंसे।
नाटक की कहानी कुछ यूं थी कि मदन हमेशा अपने मन में वहम पाले रहता है। उसे लगता है वो बीमार है। इसी वजह से उसकी पत्नी ऊषा, दोस्त अरविन्द और डॉक्टर घोष भी उससे काफी परेशान रहते हैं। एक दिन मदन को सीने मे दर्द उठता है। वो डॉक्टर से कहता है सीने पर हाथ रखने पर ज्यादा दर्द होता है। तो डॉक्टर घोष जवाब देते हैं, “तो बाबा उधर हाथ मत रखो”।
डॉक्टर मदन से कहता है कि शायद उसे बदहजमी हुई है। लेकिन वो नहीं मानता। इसी दौरान डॉक्टर फोन पर किसी और मरीज के बारे में बात कर रहा होता है। वो मरीज बस कुछ ही पल का मेहमान है। मदन डॉक्टर की बात सुन लेता है। उसे लगता है कि डॉक्टर उसके बारे में बात कर रहा था। बस, यहीं से शुरू होता है गलतफहमियों का सिलसिला।
ये पता चलते ही मदन अपने दोस्त अरविन्द से कहता है- “भाई मेरे क्रियाक्रम का खर्चा तू देख लेना। वरना ऊषा तो पता नहीं कितना पैसा खर्च कर देगी”। चूंकि ऊषा हिसाब किताब की कच्ची और भोली है। मदन अपने दिमाग में अजीबो गरीब चीजें सोचने लगता है। कभी वो सोचता है ऊषा उसकी मौत के बाद गुब्बारे बेचेगी। तो कभी वो सोचता है की ऊषा पड़ोसी से शादी कर लेगी।
इस दौरान हॉल में बैठे दर्शक हंसी से लोटपोट हो गए। फिर मदन फैसला लेता है कि ऊषा की शादी उसके दोस्त मोहन से करा दें। वो दोनों को अक्सर साथ में बाहर भेजने लगता है। लेकिन एक दिन ऊषा मोहन के साथ जाने से मना कर देती है।
ऐसा इसलिए क्योंकि उसे लगता है कि मदन का किसी और लड़की से संबंध है। अंत में मदन की जिंदगी मे स्थिति काफी गंभीर हो जाती है। इस गलतफहमी के जाल को देख दर्शकों ने खूब ठहाके लगाए।