माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में 15 अप्रैल यानी शनिवार रात गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस मेडिकल टेस्ट के लिए उन्हें अस्पताल लेकर जा रही थी। इसी दौरान मीडियाकर्मी बनकर तीन युवक आए और पुलिस का घेरा तोड़ते हुए दोनों भाइयों को गोली मार दी। अतीक और अशरफ की मौके पर ही मौत हो गई।
इस घटना पर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पहला रिएक्शन दिया। अखिलेश ने ट्वीट कर लिखा, “उप्र में अपराध की पराकाष्ठा हो गई है। अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। जब पुलिस के सुरक्षा घेरे के बीच सरेआम गोलीबारी करके किसी की हत्या की जा सकती है, तो आम जनता की सुरक्षा का क्या। इससे जनता के बीच भय का वातावरण बन रहा है, ऐसा लगता है, कुछ लोग जानबूझकर ऐसा वातावरण बना रहे हैं।”
मायावती ने ट्वीट कर लिखा, ”उमेश पाल हत्याकांड की तरह ही अतीक अहमद और अशरफ की प्रयागराज में पुलिस हिरासत में ही खुलेआम गोली मारकर हत्या हुई। यूपी सरकार की कानून-व्यवस्था और उसकी कार्यप्रणाली पर अनेकों गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े करती है।
देश भर में चर्चित इस अति-गंभीर और अति-चिंतनीय घटना का सुप्रीम कोर्ट अगर स्वयं ही संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करे तो बेहतर होगा। वैसे भी उत्तर प्रदेश में ‘कानून द्वारा कानून के राज’ के बजाय, अब इसका एनकाउंटर प्रदेश बन जाना कितना उचित? सोचने की बात।”
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा, ”कल जो हत्या हुई हैं उसकी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की है। अगर उनमें संवैधानिक नैतिकता जिंदा है तो उनको अपने पद को छोड़ना पड़ेगा। मैं शुरू से कह रहा था कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार कानून के मुताबिक नहीं बल्कि बंदूक के दम पर चल रही है। हम लोग इसी बात को दोहरा रहे थे, लेकिन सबको लगता था कि हम हवाई बातें कर रहे हैं। इससे लोगों में संविधान में विश्वास कम होगा। इस घटना की निंदा करने के लिए शब्द नहीं हैं।”
ओवैसी ने कहा, “आप गोली मारकर धार्मिक नारा क्यों लगा रहे हैं? इनको आतंकवादी नहीं कहेंगे तो देश भक्त कहेंगे? क्या यह (भाजपा) फूल का हार पहनाएंगे? जो लोग एनकाउंटर का जश्न मना रहे थे, शर्म से ढूब मरो तुम लोग। इसमें सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक कमेटी बननी चाहिए। मैं सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश करता हूं कि वह इसका स्वत: संज्ञान ले और इस पर एक समय सीमा में जांच होनी चाहिए। इस कमेटी में उत्तर प्रदेश का कोई भी अधिकारी न हो क्योंकि उनकी मौजूदगी में यह हत्या हुई है।”
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा, ”इससे पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था कैसी है। UP के मुख्यमंत्री बार-बार कहते हैं कि उनके राज्य में कानून व्यवस्था उत्तम है। ये एक बड़ी साजिश है, जांच होनी चाहिए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए।”
सपा नेता प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने ट्वीट कर कहा, “मुख्यमंत्री जी का फरमान- ‘मिट्टी में मिला देंगे’ अतीक अहमद की सुप्रीम कोर्ट में याचिका- पुलिस अभिरक्षा में हत्या की आशंका के चलते सुरक्षा की मांग। नो रिलीफ, फिर फेक एनकाउंटर और पुलिस के घेरे में सुनियोजित हत्याएं तो होनी ही हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि अतीक के शेष बेटे भी मारे जाएं!”
मंत्री खन्ना बोले- सरकार ने कानून व्यवस्था बनाए रखने की हर कोशिश की मंत्री सुरेश खन्ना ने न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा, ”जब जुल्म की इंतहा होती है तो कुछ फैसले आसमान से होते हैं… सरकार ने इस बात की हर तरह से कोशिश की कि कानून व्यवस्था को बनाए रखें। योगी सरकार ने अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का नारा दिया था, सरकार उस पर कायम है।”
राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद जयंत चौधरी ने इस हत्या को जंगलराज कहा है। जयंत चौधरी ने ट्वीट किया, “क्या ये लोकतंत्र में संभव है? #जंगल_राज”।