समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार में किसान सर्वाधिक बदहाली की जिंदगी जी रहा है। प्राकृतिक आपदा के साथ सरकारी कुव्यवस्थाओं के चलते हालात दिन पर दिन बिगड़ते जा रहे हैं पर भाजपा सरकार को गरीबों, किसानों की कोई चिंता नहीं है। बाढ़, सूखा के संकट के साथ बिजली संकट ने किसानों को कर्ज के बोझ से भी लाद दिया है जिससे तंग आकर वह आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री यह दावा करते नहीं थकते हैं कि भाजपा राज में किसान खुशहाल है। उनका कहना है कि अब किसान आत्महत्या नहीं करते हैं पर उनके झूठ को उजागर करती दो घटनाएं हैं जहां किसानों ने कर्ज से तंग होकर आत्महत्या कर ली। बांदा के तिंदवारी के बेंदा गांव में 35 वर्षीय ललित कुमार सिंह ने परेशानी में फांसी लगा ली। झांसी के गांव तिलेरा में किसान ने आत्महत्या कर ली।
अखिलेश ने कहा कि कहीं सूखा, कहीं बाढ़ के हालात ने किसानों को कहीं का नहीं रखा है। किसानों की मुश्किलों की फिक्र भाजपा सरकार को नहीं है। अभी तक न तो प्राकृतिक आपदा पीड़ित क्षेत्रों का सर्वे कराया गया है और नहीं मुआवजा दिया गया है। लखीमपुर खीरी, मवाना, के अलावा गंगा, सरयू तटवर्ती गांवों में तबाही मची है। अम्बेडकर नगर सहित कई जनपदों में वर्षा का संकट हैं किसान पानी को तरस रहे हैं। धान के खेतों में दरार देखकर अन्नदाता की चिंता बढ़ती जा रही है।
अखिलेश ने कहा कि भाजपा सरकार ने अपने राज में एक यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं किया। इसी का नतीजा है कि लोकसभा में 27 जुलाई को ऊर्जा मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया कि उत्तर प्रदेश के गांवों में हर साल बिजली की आपूर्ति घटती जा रही है। रोजाना औसतन 1.080 ट्रांसफर फुंक रहे हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा की गलत नीतियों, फसल का उचित दाम न मिलना, बिजली आपूर्ति में बाधा, आवारा पशुओं की बढ़त तथा बाढ़-सूखा संकट ने प्रदेश के किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। उसकी उपेक्षा कर भाजपा केवल पूंजी घरानों के हितों पर ध्यान दे रही है।
गरीब, किसान का जीवन संकटों से घिरा है। उसे अब सिर्फ 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का इंतजार है जिसमें वह किसान विरोधी भाजपा सरकार को केन्द्र की सत्ता से हटाने के लिए कटिबद्ध है।