चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज को हटाने के लिए महाभियोग प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश की है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने यह सिफारिश तीन जजों की आंतरिक समिति की उस जांच रिपोर्ट के कई महीने बाद की है, जिसमें हाईकोर्ट के जस्टिस एसएन शुक्ला को कदाचार का दोषी माना गया था। चीफ जस्टिस गोगोई ने अब प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि जस्टिस शुक्ला के खिलाफ लगे आरोपों को समिति ने इतना गंभीर माना है कि उन्हें हटाने की कार्रवाई शुरू करने के लिए किसी भी हाईकोर्ट में न्यायिक कार्य शुरू करने तक की इजाजत नहीं दी गई, इन हालात में आपसे आग्रह है कि आगे की प्रक्रिया शुरू करने पर विचार करें।
जस्टिस शुक्ला के खिलाफ जनवरी, 2018 में मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी, सिक्किम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एसके अग्निहोत्री और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पीके जायसवाल की आंतरिक समिति गठित की गई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में माना था कि जस्टिस शुक्ला के खिलाफ शिकायत में लगाए गए आरोपों के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं और उनका कदाचार महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने के लिए पर्याप्त है।
समिति की रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि जस्टिस शुक्ला ने न्यायिक जीवन के मूल्यों का अपमान किया, अदालत की महिमा, गरिमा और विश्वसनीयता को नीचा दिखाया और अपने पद की गोपनीयता की शपथ को भंग करने का काम किया है।