क्रिस हिपकिंस न्यूजीलैंड के नए प्रधानमंत्री बन गए हैं। गवर्नर जेनरल सिंडी किरो ने आज राजधानी वेलिंगटन में आयोजित एक ऑफिशियल सेरेमनी में उन्हें शपथ दिलाई। क्रिस को लेबर कॉकस का औपचारिक रूप से समर्थन मिला। जिसके बाद अब वो प्रधानमंत्री होने के साथ लेबर पार्टी के लीडर भी बन गए हैं। वो नए PM की रेस में एकमात्र कैंडिडेट थे, जिसके बाद ये फैसला लिया गया।
इस दौरान क्रिस ने कहा- ये बहुत मेरे लिए बड़ी जिम्मेदारी है। मैं आगे आने वाले चैलेंजिस और जिम्मेदारियां उठाने के लिए तैयार हूं। न्यूजीलैंड में लेबर पार्टी 2017 से सत्ता में है, ऐसे में एंटी इनकंबेंसी काफी ज्यादा है। BBC के मुताबिक न्यूजीलैंड फिलहाल महंगाई और सामाजिक समानता से जूझ रहा है। जिसके चलते वहां लेबर पार्टी की लोकप्रियता में काफी कमी आई है। क्रिस के सामने यही सभी बड़ी चुनौती होगी।
ये तस्वीर वेलिंगटन में हुए शपथ ग्रहण समारोह की है। इसमें न्यूजीलैंड की उप-प्रधानमंत्री कार्मेल सेपुलोनी (दाएं), गवर्नर जनरल डेम सिंडी किरो (बीच में) और प्रधानमंत्री क्रिस हिपकिंस (बाएं) दिख रहे हैं।
44 साल के क्रिस हिपकिंस 2008 में पहली बार सांसद चुने गए थे। PM बनने से पहले तक वो पुलिस, एजुकेशन एंड पब्लिक सर्विस मिनिस्टर थे। जैसिंडा अर्डर्न के इस्तीफा के बाद क्रिस PM बने हैं। हालांकि वो कब तक इस पद पर बने रहेंगे, इसकी जानकारी नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि न्यूजीलैंड में अक्टूबर 2023 में आम चुनाव होंगे।
क्रिस हिपकिंस को साल 2020 में महामारी से निपटने के लिए कोविड मिनिस्टर बनाया गया था। उस दौरान क्रिस के काम की दुनिया भर में सराहना हुई थी। कोरोना महामारी के तीन साल में न्यूजीलैंड में केवल 2,437 मौतें दर्ज की गई हैं।
आज प्रधानमंत्री के तौर पर जैसिंडा अर्डर्न का आखरी दिन था। इस दौरान वे काफी भावुक नजर आईं। उन्हें संसद भवन में सभी लॉ-मेकर्स को गले लगाया। इसके बाद वो गवर्नमेंट हाउस पहुचीं, जहां उन्होंने औपचारिक रूप से किंग चार्ल्स के नाम अपना इस्तीफा सौंपा। जैसिंडा ने 19 जनवरी को इस्तीफे का ऐलान करते हुए कहा था- अब वक्त आ गया है। मेरे पास अब इतनी हिम्मत नहीं है कि 4 साल और नेतृत्व करूं।
किंग चार्ल्स 14 कॉमनवेल्थ देशों के राजा हैं। इनमें से एक देश न्यूजीलैंड भी है। इन देशों में राजा की शक्तियां काफी हद तक प्रतीकात्मक होती हैं। ज्यादातर देशों में राजनीतिक फैसले एक चुनी हुई संसद द्वारा लिए जाते हैं और प्रधानमंत्री इन्हें लागू करता है। यानी राजा देश की मुखिया तो होते हैं, लेकिन सरकार के मुखिया नहीं।
राजा के पास कुछ संवैधानिक कर्तव्य हैं, जिनमें सबसे जरूरी नई सरकारों का अप्रूवल है। अलग-अलग देशों में ये कर्तव्य बदलते रहते हैं। जैसे- कानून की औपचारिक मंजूरी देना, कुछ अधिकारियों की नियुक्ति करना और राष्ट्रीय सम्मान प्रदान करना।