लद्दाख में भारत के अप्रत्याशित रणनीतिक जवाब से चीन बुरी तरह से फंस गया है। इलाके में वास्तविक नियंत्रण रेखा के अतिक्रमण के बाद वह खुद को बालू के दलदल में फंसे जैसी स्थिति में पा रहा है। उसने उन स्थानों पर कब्जा किया है। जहां पर आने वाले ठंड और बर्फबारी के मौसम में टिक पाना बहुत मुश्किल होगा।
इस विवाद में भारत ने न केवल पैंगोंग सो झील के दक्षिणी किनारे के ऊंचाई वाली रणनीतिक ठिकानों पर कब्जा ले लिया है, बल्कि उत्तरी किनारे पर भी भारतीय सेना ने अपनी स्थिति मजबूत की है।
विवाद आगे बढ़ने पर चीन को इसका सीधा खामियाजा उठाना पड़ेगा। भारतीय सेना ऊंचे स्थानों पर कम तैनाती करके भी फायदे की स्थिति में रहेगी। हालात को भांपकर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अब हैरान है और वह अब पैंगोंग सो झील के दक्षिणी किनारे के कुछ ऊंचाई वाले इलाकों पर कब्जे की फिराक में है।
अपनी स्थिति में सुधार के लिए पीएलए अब पैंगोग सो के दक्षिण में चुशूल और स्पैंगुर दर्रे तक पहुंचने की फिराक में है। जाहिर है कि इलाके में पर्याप्त संख्या में मौजूद भारतीय सेना पीएलए के आगे बढ़ने के किसी भी प्रयास को रोकेगी, तभी दोनों में बड़ा टकराव शुरू होने की आशंका पैदा हो जाएगी।
भारतीय सेना प्रमुख जनरल नरवाने वहां का दौरा कर इस बात की पुष्टि कर चुके हैं। हालांकि, दोनों देश बातचीत के जरिये समस्या का समाधान करने की बात कह रहे हैं और वार्ता के दौर भी चल रहे हैं, लेकिन जमीनी हालात नहीं बदल रहे। चीन की सेना पीछे हटने को तैयार नहीं है, उलटे वह भारतीय सेना को पीछे जाने के लिए दबाव बना रही है।