चीन में कोरोना से हालात इतने बिगड़ गए हैं कि वहां दवाओं की कमी आ गई है। इसी बीच सरकार ने लोगों से ट्रेडिशनल चाइनीज मेडिसिन लियानहुआ किंगवेन (Lianhua Qingwen) खाने के लिए कह रही है। हैरानी की बात तो ये है कि इस दवा को वायरल इंफेक्शन होने पर दिया जाता है। सरकार की इस दवा को खिलाने की हिदायत से साफ समझ आता है कि वो कोरोना का फ्लू मान रहे हैं।
सरकार की इस हिदायत का लोगों ने विरोध किया है। लोगों का कहना है कि सरकार क्यों इतनी महंगी दवा बांट रही है। हमें सिर्फ बुखार कम करने वाली दवाएं- ब्रूफिन और पेरासिटामोल चाहिए। आखिर क्यों ये आम दवाएं मार्केट में नहीं मिल रहीं हैं? हाल ही में चीन की सरकार ने मेडिकल सप्लाई प्रोडक्शन अपने हाथों में लेना ऐलान किया। यानी अब सरकार मेडिकल इक्यूपमेंट्स और दवाओं के प्रोडक्शन की निगरानी करेगी।
दुनिया में अब तक 66 करोड़ 17 लाख 11 हजार 220 मामले सामने आ चुके हैं। 11 जनवरी 2020 को चीन के वुहान में 61 साल के बुजुर्ग की मौत हो गई. ये दुनिया में कोविड से हुई पहली मौत थी. इसके बाद मौतों का सिलसिला बढ़ने लगा। अब तक 66 लाख 85 हजार 775 मौतें हो चुकी हैं। देश में 8वीं लहर आ चुकी है। रविवार को यहां 1 लाख 49 हजार नए केस आए। सिर्फ टोक्यो में 15,403 मामले मिले। वहीं 306 लोगों की मौत हुई है।
चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन ने कहा कि वह अब कोरोना केसेस की जानकारी नहीं देगा। यानी अब चीन की तरफ से नए कोरोना मामलों और संक्रमण से हुई मौतों का डेटा नहीं दिया जाएगा। हेल्थ एजेंसी पिछले 3 सालों से हर दिन कोरोना केसेस की डेली रिपोर्ट जारी करती थी।
चीन में ओमिक्रॉन का नया वैरिएंट BF.7 फैल रहा है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये ओमिक्रॉन का सबसे शक्तिशाली वैरिएंट है। BF.7 वैरिएंट कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में एक खास म्यूटेशन से बना है जिसका नाम है R346T। एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसी म्यूटेशन की वजह से इस वैरिएंट पर एंटीबॉडी का असर नहीं होता।
आसान शब्दों में कहें तो अगर किसी शख्स को पहले कोरोना हो चुका है या उसने वैक्सीन लगवाई है, तो उसके शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है। BF.7 वैरिएंट इस एंटीबॉडी को भी चकमा देकर शरीर में घुसने में सक्षम है।