लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वााली संस्थाओं का आरोप है कि अपने ख़िलाफ़ बोलने वालों को चुप कराने के लिए चीन ऐसी आक्रामक मुहिम चलाने के लिए जाना जाता है.
नीदरलैंड में रह रहीं क़ेल्बिनर सेडिक को पिछली बार जब उनकी बहन के फ़ोन से वीडियो कॉल आई थी, तब सेडिक नाश्ता बना रही थीं. मोबाइल पर अपनी बहन का नाम देखकर वह परेशान हो गई थीं. दोनों के बीच बात हुए कई महीने बीत चुके हैं. वास्तव में परिवार के किसी भी सदस्य से बात किए सेडिक को कई महीने बीत चुके हैं.
क़ेल्बिनर सेडिक तब चीन से दूर नीदरलैंड में अपने अस्थायी घर की रसोई में थीं. वहाँ वह कई अन्य शरणार्थियों, जिनमें ज़्यादातर अफ्रीका के हैं, के साथ एक रूम साझा कर रहती हैं. दो हफ़्ते पहले उन्होंने तीन अन्य महिलाओं के साथ चीन के शिनजियांग इलाक़े में गुप्त नज़रबंदी शिविरों में बलात्कार और यातना की कथित घटनाओं के बारे में बीबीसी से बात की थी.
सेडिक उन शिविरों में से एक में शिक्षक के रूप में काम कर चुकी हैं.
सेडिक के फ़ोन पर उस वक्त उनकी बहन की वीडियो कॉल आई थी. उन्होंने जब फ़ोन उठाया, तो स्क्रीन पर उनकी बहन की बज़ाय शिनजियांग का एक पुलिस अधिकारी था. उस अधिकारी ने मुस्कुराते हुए पूछा, “क़ेल्बिनर आप क्या कर रही हैं?” उसने आगे कहा, “आप किसके साथ हैं?”
उस अधिकारी ने पहली बार उनकी बहन के फ़ोन से कॉल नहीं की थी. सेडिक ने इस बार वीडियो कॉल का स्क्रीनशॉट ले लिया. सेडिक के अनुसार उस अधिकारी ने जब स्क्रीनशॉट लेने की आवाज़ सुनी, तो अपनी पहचान वाली पुलिस जैकेट को हटा दिया. सेडिक ने इस बार दूसरा स्क्रीनशॉट ले लिया.
‘आपको बहुत सोच-समझ कर बोलना चाहिए’
पिछले कुछ हफ़्तों में बीबीसी के साथ बातचीत में शिनजियांग छोड़कर विदेश में रह रहे 22 लोगों ने चीन से ऐसी ही धमकियाँ मिलने, उत्पीड़न और चरित्र हनन करने के ख़ास पैटर्न के बारे में बताया है. इनके अनुसार, चीन ने अपने नागरिकों को देश में हो रहे मानवाधिकार हनन के बारे में बोलने से रोकने के लिए परेशान करने के इस पैटर्न को डिज़ाइन किया है.
संयुक्त राष्ट्र के एक अनुमान के मुताबिक, चीन ने शिनजियांग के शिविरों में 10 लाख से ज़्यादा वीगर और अन्य मुसलमानों को नज़रबंद किया हुआ है.
चीन की सरकार पर इन शिविरों में कई तरह के अत्याचार, जिनमें बंधुआ मज़दूरी, ज़बरन नसबंदी, बलात्कार और नरसंहार करने के आरोप लगे हैं. हालाँकि चीन इन आरोपों से इनकार करता है. सरकार का कहना है कि उसके इन शिविरों में आतंकवाद से निपटने के लिए लोगों को “फिर से शिक्षित” करने की व्यवस्था की गई है.
शिनजियांग के शिविरों से भागकर जिन लोगों ने सार्वजनिक रूप से बात की है, उनमें से कई को सेडिक की तरह ही कॉल आई है. ऐसी कॉल में शिविर से भागने वालों के फ़ोन पर चीन में स्थित उनके घर पर पहुँचे किसी पुलिस या सरकारी अधिकारी से बात होती है.
कभी-कभी रिश्तेदारों को ही थाने में बुलाकर कॉल की जाती है. ऐसी कॉल में कभी तो शिनजियांग में रह रहे अपने परिवार की भलाई सोचने की छिपी हुई सलाह रहती है, तो कभी रिश्तेदारों को हिरासत में लेने और दंडित करने की सीधी धमकी दी जाती है.
वहीं इनमें से कुछ को बदनाम करने के लिए चीन ने सार्वजनिक प्रेस कॉन्फ्रेंस या वीडियो का सहारा लिया है. ऐसे लोगों के फ़ोन पर थोक में धमकी भरे संदेश भेजे गए या फ़ोन की हैकिंग करने की कोशिश की गई. पिछले हफ़्ते फ़ेसबुक ने भी कहा था कि वीगर मुसलमानों के लिए काम करने वालों का अकाउंट हैक करने के लिए चीन से ऑपरेशन चलाए जाने का उसे पता चला है.
बीबीसी से बात करने वाले लोगों ने अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे, नीदरलैंड, फिनलैंड, जर्मनी या तुर्की से वॉट्सऐप, वीचैट और फ़ेसबुक पर मिल रही धमकियों के स्क्रीनशॉट भेजे हैं.
वहीं कइयों ने फ़ोन और वीडियो कॉल में जो बातें कही गई थीं, उसे विस्तार से बताया है. हर किसी ने शिनजियांग में वहाँ की पुलिस या सुरक्षा अधिकारियों की ओर से अपने परिवार के सदस्यों को हिरासत में लेने या उन्हें प्रताड़ित करने के बारे में बताया है.
शिनजियांग में आधिकारिक तौर पर इस गेट को “व्यावसायिक कौशल शिक्षा केंद्र” के रूप में जाना जाता है
उस सुबह क़ेल्बिनर सेडिक ने जब अपनी बहन के फ़ोन पर उस पुलिस अधिकारी से बात की, तो वे अपना सिर हाथों में दबाकर रोने लगीं. उस अधिकारी ने सेडिक से कहा था, ”आपको यह ख़्याल रखना चाहिए कि आपका परिवार और रिश्तेदार हमारे साथ हैं. आपको इस बारे में बहुत अच्छे से सोचना चाहिए.”
सेडिक के अनुसार, पुलिस अधिकारी ने बार-बार कहा, ”आप तो अब से कुछ वक़्त पहले ही विदेश गई हैं. आपके तो काफ़ी दोस्त होने चाहिए. क्या आप हमें उनके नाम दे सकती हैं?”
उन्होंने जब ऐसा करने से मना किया, तो अधिकारी ने उनकी बहन को कॉल थमा दी. उनकी बहन प्रताड़ित होकर सेडिक पर चिल्लाई और कहा, ”चुप रहो! अब तुम्हें चुप रहना चाहिए!” सेडिक कहती हैं कि वह उस समय अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर सकीं और उनकी आँखों से आँसू बहने लगे.
अधिकारी ने फ़ोन रखने से पहले सेडिक से कई बार स्थानीय दूतावास जाने को कहा ताकि उनके सुरक्षित चीन लौटने की व्यवस्था की जा सके. हालाँकि ऐसी कॉल में इस तरह की बातें हर बार सामान्य रूप से कही जाती हैं. आख़िर में उस पुलिस अधिकारी ने यहा कि चीन बाहें फैलाए आपका इंतज़ार कर रहा है.
‘आरोप लगाने वाली महिलाओं का चरित्र हनन’
ऐसी धमकियों की ख़बरें नई नहीं हैं. हालाँकि वीगर कार्यकर्ताओं का मानना है कि शिनजियांग में अधिकारों के कथित हनन पर बढ़ रही नाराज़गी के बाद चीन पहले से भी ज़्यादा आक्रामक हो गया है.
चीनी सरकार ने ख़ासकर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिलाओं पर अपने हमले को बढ़ा दिया है. आरोप लगाने वालों के ख़िलाफ़ गंदी-गंदी महिला विरोधी गालियों का भी इस्तेमाल किया गया है.
हाल के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन और शिनजियांग के अधिकारी शु गुइशियांग ने यौन उत्पीड़न के सबसे पहले आरोप लगाने वाली महिलाओं के फ़ोटो को सार्वजनिक कर दिया.
इस मौक़े पर अधिकारियों ने इन दो महिलाओं को ‘झूठी’ करार दिया. इनमें से एक को जहाँ ”नैतिक रूप से पतित” और “ख़राब चरित्र” का बताया गया, वहीं दूसरी को ”व्यभिचारी” बताया गया है. सरकारी मीडिया के एक वीडियों में एक महिला का पूर्व पति उसे “ख़राब चरित्र वाली महिला” बता रहा था. वहीं दूसरी महिला को एक चीनी अधिकारी “बदमाश” और “बच्चों का यौन शोषण करने वाली” बता रहे थे.
चीन के विदेश मंत्री वांग वेनबिन ने 23 फ़रवरी 2021 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बीजिंग में गवाहों ज़ुमरत दावत और तुर्सुने ज़ियावूदुन की तस्वीरें दिखाई
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग ने बताया कि हमारी बातें इन महिलाओं के निजी मेडिकल रिकॉर्ड पर आधारित हैं. उन्होंने एक महिला के उसके शरीर में ज़बरन आईयूडी फिट करने के आरोप को ख़ारिज़ कर दिया.
अधिकारियों ने यह भी दावा किया है कि शिविरों में रह चुकी महिलाओं की प्रजनन समस्याओं के लिए शारीरिक शोषण की बजाय यौन संचारित रोग ज़िम्मेदार थे. प्रोपेगैंडा की कई सामग्रियों को जारी करते हुए इन अधिकारियों ने ऐसी महिलाओं को “अभिनेत्री” क़रार दिया था.
अब अमेरिका में रहने वाली शिविर की एक पूर्व बंदी तुर्सुने ज़ियावूदुन पर भी इस संवाददाता सम्मेलन में हमला किया गया. जब तुर्सुने ज़ियावूदुन ने इसे देखा तो उसे इस बात की राहत मिली कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग ने उनके परिवार का उल्लेख नहीं किया.
हालाँकि उन्होंने कहा कि उन्हें दूसरी महिलाओं के बारे में “गहरा दुख” हुआ है. तुर्सुने ज़ियावूदुन का आरोप है कि 2018 में शिनजियांग में हिरासत में रहने के दौरान बलात्कार के अलावा उन्हें प्रताड़ित भी किया गया था.
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद फ़ोन पर दिए अपने इंटरव्यू में तुर्सुने ज़ियावूदुन ने कहा, “मुझ पर इतना भयावह हमला करने के बाद वे मुझ पर सार्वजनिक हमला करने के लिए इतने क्रूर और बेशर्म कैसे हो सकते हैं?”
जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में चीनी इतिहास के एक प्रोफेसर जॉर्ज मिलवर्ड ने कहा कि जियाउदुन सहित अन्य पर हुए हमलों से पता चलता है कि चीन महिलाओं का अपमान करने की सार्वजनिक संवाद की शैली का इस्तेमाल कर रहा है.
उन्होंने कहा, “हमारे सामने कई महिलाएँ आ रही हैं और बहुत भरोसे वाली कहानियाँ बता रही हैं कि कैसे उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया.”
उन्होंने कहा कि इस मामले में चीन की प्रतिक्रिया उसके बहरेपन और ग़लतफ़हमियों को दिखाता है. यह बताता है कि यौन उत्पीड़न और यौन हमलों के आरोपों का चीन ने कितना भयावह और बदला लेने वाला जवाब दिया है.”
लंदन के चीनी दूतावास ने बीबीसी को बताया कि चीन अपने 10 दावे के साथ मज़बूती से खड़ा है कि महिलाओं के रेप और यौन शोषण के आरोप झूठे थे. ऐसे में सबूत के तौर पर उनके निजी मेडिकल रिकॉर्ड सार्वजनिक करना बहुत उचित था.
तुर्सुने ज़ियावूदुन बीते महीने अमेरिका स्थिति अपने घर पर
पहले बीबीसी से बात कर चुकीं दो महिलाओं पर चीन की सरकारी मीडिया के वीडियो में ख़ूब हमले किए गए हैं.
वीडियो में इन महिलाओं के परिजन और उनके दोस्त उनका अपमान करते हुए उन पर पैसे चुराने और झूठ बोलने के आरोप लगा रहे हैं. अमेरिका स्थित वीगर ह्यूमन राइट्स प्रोजेक्ट की पिछले महीने प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने कम से कम ऐसे 22 वीडियो बनाए हैं. इसमें उनके परिजनों को कथित रूप से पहले से लिखे बयान देने के लिए मजबूर किया जाता है.
ब्रिटेन में निर्वासित जीवन जी रहे एक वीगर मुसलमान अज़ीज़ ईसा एल्कुन सालों से अपनी बूढ़ी माँ और बहन से संपर्क नहीं कर पाए हैं. लेकिन उन्होंने सरकारी वीडियो में देखा कि उनकी माँ और बहन उन्हें झूठा और परिवार के लिए धब्बा बता रही थी.
एल्कुन ने शिनजियांग में वीगर क़ब्रिस्तानों को नष्ट करने की मुहिम की ओर ध्यान दिलाने का अपराध किया था. इस क़ब्रिस्तान में उनके पिता की भी क़ब्र थी. एल्कुन ने कहा, “आप कह सकते हैं कि वीडियों में जो कहा जा रहा था, वह पहले से लिखा हुआ था. लेकिन अपनी बूढ़ी माँ को चीनी सरकार के प्रोपेगैंडा फ़िल्म में देखना बहुत दुखद था.”
उधर क़ेल्बिनर सेडिक इस बात से चिंतित हैं कि किसी दिन उनके भी पति का वीडियो जारी हो सकता है. उनके पति ने फ़ोन पर बताया था कि पिछले साल के अंत में चीनी अधिकारी शिनजियांग के उनके घर आए थे और उन्हें झूठ बोलने के लिए मजबूर किया था.
उन्होंने सेडिक को बताया था कि लिखी लाइनों को सही ढंग से कहने में इतनी दिक्कतें आईं कि वीडियो को फ़िल्माने में चार घंटे लग गए.
क़ेल्बिनर सेडिक हाल ही में शरणार्थी शिवर से निकल कर नीदरलैंड के एक छोटे से घर में गई हैं
‘शायद हम सहयोग कर सकते हैं’
बीबीसी से बात करने वालों ने चीन के उत्पीड़न के एक और तरीक़े के बारे में बताया. इसके तहत अपने परिवार के साथ संपर्क करने, उनकी सुरक्षा चाहने या वीज़ा या पासपोर्ट मांगने वालों पर पर दबाव बनाया जाता है कि वे चीन की आलोचना करने वाले साथी वीगर मुसलमानों और संगठनों की जासूसी करें.
ब्रिटेन के एक वीगर मुसलमान ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि शिनजियांग जाने के दौरान और उसके बाद भी खुफ़िया अधिकारियों ने उन्हें बार-बार परेशान किया.
उनसे कहा गया कि चैरिटी की ख़ातिर वह वीगर समूहों और एमनेस्टी इंटरनेशनल की जासूसी करे. लेकिन जब उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया, तो उनके भाई ने उनके पास बार-बार फ़ोन करके अपील की कि वह जासूसी करे.
शिनजियांग छोड़कर तुर्की पढ़ने गए जेवलन शिर्मेमेट ने बीबीसी को एक कॉल की रिकॉर्डिंग भेजी. यह कॉल शिनजियांग में अपने परिवार की सामूहिक गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर इस बारे में बताने के कुछ हफ़्ते बाद आई थी.
फ़ोन करने वाले ने उन्हें बताया था कि वह अंकारा के चीनी दूतावास से बोल रहा है. उन्होंने शिर्मेमेट से कहा कि शिनजियांग छोड़ने के बाद आप जिनके भी संपर्क में रहे हैं, उनके नाम बताने के साथ इस दौरान अपनी गतिविधियों के बारे में उन्हें ईमेल करें.
अधिकारी ने इसके आगे कहा कि अगर वह ऐसा करते हैं, तो चीन की सरकार उनके परिवार की बेहतरी के बारे में विचार कर सकती है. तुर्की में रह रहे चीन के एक और वीगर मुसलमान ने उसी दूतावास से इसी प्रकार की एक कॉल आने का ज़िक्र किया.
अमेरिका में रहने वाले 34 साल के वीगर कार्यकर्ता मुस्तफा अक्सू ने बीबीसी को कुछ टेक्सट और वॉयस मैसेज दिखाए. इसमें पुलिस अफ़सर बन चुके स्कूल के उनके एक दोस्त उन पर वीगर कार्यकताओं की गतिविधियों के बारे में बताने का दबाव बना रहे थे.
मुस्तफा अक्सू के माता-पिता अभी शिनजियांग में हिरासत में रखे गए हैं. उनके दोस्त ने कहा कि ऐसा हुआ, तो शायद वे सहयोग करेंगे और उन्हें यक़ीन है कि वे भी अपने माता-पिता को याद करते होंगे.
जेवलान शिरमेम्मेत ने हाल ही में अपनी माँ की रिहाई के लिए प्रदर्शन किया
हालाँकि चीन के इन अनुरोधों को अस्वीकार करने की हालत में सभी नहीं हैं. तुर्की में पढ़ रहे एक वीगर ने कहा, “जब मैं उनकी बात नहीं मानता, तो वे मेरे छोटे भाई और बहन से फ़ोन पर बात करवाकर मुझे ऐसा करने के लिए कहते हैं.” इसके सबूत में उन्होंने पुलिस से प्राप्त संदेशों के स्क्रीनशॉट दिए. उन्होंने आगे बताया कि वे लोग मेरे भाई-बहन को कंसंट्रेशन कैंप में भेज सकते हैं. ऐसे में उनके पास विकल्प नहीं हैं.
कुछ वीगर संपर्क करने के साधनों को काटकर अपने आप को बचाना चाहते हैं. नॉर्वे में रहने वाले वीगर भाषाविद् अब्दुलवली अयूप ने कहा, “आप अपना फ़ोन फेंककर अपना नंबर ख़त्म कर सकते हैं. लेकिन वे आपसे फ़ेसबुक पर संपर्क कर लेते हैं. जब आप फ़ेसबुक हटाते हैं तो वे आपसे ईमेल से संपर्क करते हैं.”
कइयों ने एक-दूसरे के संपर्क में रहने के लिए उम्मीद से आगे जाकर काम किया है. नीदरलैंड में रह रही एक वीगर महिला ने बताया कि उनका नंबर ब्लॉक होने के चार साल बाद भी वे अपने जवान बेटे और माता-पिता को तस्वीरें और इमोजी भेजती हैं.
बीबीसी इंटरव्यू देने वाले कई लोगों से आए कॉल और संदेशों में शामिल लोगों की सही पहचान अपनी ओर से साबित करने में अक्षम है. लेकिन वीगर लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वालों के अनुसार वीगर को चीनी सरकार के लिए जासूसी करने को मजबूर करने के प्रयास बहुत आम हैं.
ब्रिटेन की एक प्रमुख वीगर कार्यकर्ता रहीमा महमूत ने कहा, “पहले यह प्रस्ताव के रूप में आता है. जैसे कि ‘आपको वीज़ा की कोई और समस्या नहीं होगी’ या ‘हम आपके परिवार की मदद कर सकते हैं’ लेकिन बाद में यह धमकी के रूप में आता है.”
ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने बीबीसी को बताया, “ब्रिटेन में रह रहे वीगर समुदाय के लोगों को चीनी अधिकारियों की ओर से परेशान करने वाली रिपोर्ट की बारीकी से जाँच हो रही है.”
मंत्रालय का ये भी कहना है कि उन्होंने इस मामले को लेकर चिंताओं के बारे में लंदन के चीनी दूतावास को बताया है.
वहीं लंदन में चीनी दूतावास ने बीबीसी को बताया कि उसकी रिपोर्ट में चीन पर लगाए गए आरोप बिल्कुल ग़लत हैं. दूतावास ने यह भी कहा कि यह हैरान करने वाली बात है कि चीन के बाहर के कुछ ‘पूर्वी तुर्कीस्तान तत्वों’ की ओर से जो कहा गया उस पर बीबीसी इतनी आसानी से विश्वास कर लेता है. मालूम हो कि कुछ लोग शिनजियांग इलाके को पूर्वी तुर्कीस्तान कहकर बुलाते हैं.
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग के एक कमिश्नर नूरी तुर्केल ने कहा कि शिनजियांग में हो रहे कथित दुर्व्यवहारों पर बढ़ती सार्वजनिक नाराज़गी के बावज़ूद नज़रबंद किए गए लोगों की तुलना में सबके सामने बोलने वालों की संख्या बहुत ही कम है. अपने डर से लोगों को चुप कराने में चीन काफ़ी हद तक सफल रहा है.
उन्होंने कहा, “लाखों लोग शिविरों में ग़ायब हो गए और हमारे पास अब तक केवल कुछ मुट्ठी भर वीगर हैं, जो अपने परिजनों को बंदी बनाने के ख़िलाफ़ हैं. क्योंकि वे वहाँ की सरकार से डरते हैं.”
वीगर प्रदर्शनकारी
चीन की आलोचना करने वाले कुछ वीगर चीन की पाबंदियों के बावजूद अपने परिजनों से सीमित संपर्क बनाए रखने में सफल हुए हैं. अपनी माँ की नज़रबंदी के लिए खुलकर प्रचार करने के बावजूद अमेरिका के प्रमुख वीगर कार्यकर्ता फरकत जवादत अपनी माँ से नियमित तौर पर बात करते हैं. उनकी माँ अपने घर में नज़रबंद हैं और उनकी कॉल पर सरकार की नज़र रहती है.
यह समझना मुश्किल है कि आख़िर क्यों कुछ वीगर को ही परेशान किया गया, जबकि बाक़ी को नहीं. वहीं कुछ को अपने परिजनों से संपर्क करने की अनुमति है, जबकि दूसरे को नहीं.
कुछ का अनुमान है कि चीन ए/बी टाइप का टेस्ट कर रहा है. वह यह समझने की कोशिश कर रहा है कि आख़िर उसका डर काम करता है या उसकी उदारता. हालाँकि अपने लोगों से कट चुके हज़ारों लोगों के लिए यह कठोर और मनमाना फ़ैसला हो सकता है.
जवादत को पता है कि मरने से पहले अपनी माँ को देखने की उनकी चाह शायद ही पूरी हो पाएगी. इसलिए जब वे फ़ोन पर बात करते हैं तो सतर्क होकर बोलते हैं.
उन्होंने एक बार उन्हें बताया था कि सरकारी मीडिया ने उनकी माँ को यह कहते हुए एक वीडियो डाला था कि वह अपने बेटे पर शर्मिंदा हैं. जवादत ने बताया कि उनकी माँ ने उनसे मज़ाक करते हुए पूछा था कि वीडियो में वह कैसी लग रही थीं? हालांकि एक ख़तरा उठाते हुए उनकी माँ ने उनसे फ़ोन पर कहा कि उन्हें उन पर गर्व है.