चीन धरती और समुद्र के साथ अंतरिक्ष में भी अपना वर्चस्व बढ़ा रहा है। आज चीनी स्पेस एजेंसी CMSA तीन एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजेगी। इन्हें भारतीय समय के अनुसार रात 8.38 बजे जियुक्वान सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से रवाना किया जाएगा। यह शेनझाऊ मिशन के तहत उड़ान भरने वाली 15वीं फ्लाइट है।
स्पेस में भेजे जा रहे एस्ट्रोनॉट्स में फी जुनलॉन्ग, डेंग क्विंगमिंग और झांग लू शामिल हैं। इस मिशन के लिए जुनलॉन्ग कमांडर नियुक्त किए गए हैं। क्रू चीन के नए तियांगोंग स्पेस स्टेशन में 6 महीने का वक्त गुजारेंगे। पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थित यह स्पेस स्टेशन अभी कंस्ट्रक्शन स्टेज में है। CMSA के मुताबिक स्टेशन फाइनल स्टेज में है और जल्द ही पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा।
स्पेस एजेंसी तीसरी बार नए स्पेस स्टेशन पर क्रू को भेज रही है। इससे पहले जून में तीन एस्ट्रोनॉट्स स्टेशन पर जा चुके हैं। अगले एक हफ्ते में वे नई क्रू को काम सौंपकर वापस लौट आएंगे। CMSA का कहना है कि तीसरी क्रू कंस्ट्रक्शन फेज की आखिरी क्रू होगी। इसके बाद तियानझाऊ-6 कार्गो शिप और शेनझाऊ-16 स्पेसशिप का स्वागत कर ये क्रू भी मई 2023 में वापस आ जाएगी।
इस साल के अंत तक तियांगोंग का कंस्ट्रक्शन पूरा हो जाने के बाद चीन दुनिया का पहला ऐसा देश बन जाएगा, जिसका अपना स्पेस स्टेशन होगा। 2021 में लॉन्च किए गए तियांगोंग का जीवन 10 साल का होगा। इस वक्त यह चीन के लिए बड़ी कामयाबी है, क्योंकि इस दशक के आखिर में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के रिटायर होने का समय आ जाएगा। ISS को रूस ने कई देशों के साथ मिलकर बनाया था। माना जा रहा है कि तियांगोंग इसका बड़ा प्रतियोगी बनेगा।
CMSA ने घोषणा की है कि चीन जल्द ही इंसान को चांद पर भेजेगा। इसके लिए नई स्पेसशिप, रॉकेट, मून लैंडर और स्पेससूट जैसी चीजों पर रिसर्च और डेवलपमेंट का काम जारी है। यह बयान तब आ रहा है जब अमेरिका ने हाल ही में अपने इंसानी मून मिशन ‘आर्टेमिस’ के लिए पहली टेस्ट फ्लाइट को रवाना किया है।
बता दें कि इससे पहले चीन ने चंद्रमा पर बगैर इंसान के मिशन भेजे हैं। इसमें Yutu-2 रोवर और चांग ई 5 हैं, जिन्होंने चांद पर जाकर तस्वीरें और पत्थर इकट्ठे किए थे
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के ओरियन स्पेसक्राफ्ट ने चंद्रमा की सबसे करीब से तस्वीरें खींची हैं। इसे हाल ही में नासा ने अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट ‘स्पेस लॉन्च सिस्टम’ के जरिए चांद का चक्कर लगाने भेजा है। यह आर्टेमिस-1 मिशन का हिस्सा है, जो नासा के इंसानी मून मिशन ‘आर्टेमिस’ का पहला चरण है