चीन का नेपाल के अंदर बढ़ रहें दखल को देखकर नेपाल के लोगो में चीन के खिलाफ काफी गुस्सा देखा गया हैं। इसके खिलाफ नेपाल के लोगो ने सड़क पर भी उतर आए और खुलकर चीन का विरोध भी किया। नेपाल के अंदर चीनी राजदूत की भूमिका के ऊपर नेपाल के कई अखवार और मीडिया ने कई तरह के सवाल भी उठाए, इसके बाबजूद भी ओली को बचाने के अपने इस मिशन में चीन पूरी तरह से कामयाब हो गया। जानकारी के लिए आपको बता दें कि नेपाल के राजनीतिक में चीन के राजदूत के सम्मिलित होने पर भी नेपाली मीडिया ने कई तरह के सवाल उठाए थे, परंतु इन सब चीजों का कोई फायदा नहीं मिला।
ओली इस समय में चीन के विस्तारवादी नीति को खुलकर स्वीकार करते जा रहे हैं, जिसके कारण चीन ने नेपाल के 11 इलाकों के ऊपर अपना कब्जा कर लिया हैं और नेपाल की हिम्मत नहीं हो रहीं हैं कि वह चीन के खिलाफ एक भी शब्द बोल सके, क्योंकि चीन-नेपाल को काफी कर्जा दें चुका हैं और इसको चुकाने के लिए नेपाल अपने जमीन को चीन से बेचते जा रहा हैं।
चीन-नेपाल के अंदर कई तरह के अपना प्रोजेक्ट्स चलाकर नेपाल के जमीन पर धीरे धीरे कब्जा करते जा रहा हैं। नेपाल चीन से इतना कर्जा ले चुका हैं इसको चुका पाना ओली के लिए बहुत ही मुश्किल हैं, जिसके कारण नेपाल चीन की हर बात को मानता हैं और चीन जैसे जैसे बोलता हैं, नेपाल वैसे वैसे करता हैं “आने वाले कुछ ही समय में चीन-नेपाल पर पूरी तरह से अपना कब्जा कर लेगा और नेपाल पूरी तरह से चीन का गुलाम बन कर रह जाएगा”