पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में बलूच विद्रोहियों के लगातार हमलों से घबराए चीन और पाकिस्तान ने ग्वादर बंदरगाह को चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) का हब बनाने की योजना को त्याग दिया है। चीन की सीपीईसी परियोजना उसकी बेल्ट एंड रोड परियोजना का हिस्सा है।
चीन और पाकिस्तान के बीच अब कराची बंदरगाह को विकसित करने की योजना पर हाल ही में हस्ताक्षर हुए हैं। कराची शहर सिंध प्रांत की राजधानी और पाकिस्तान के आर्थिक गतिविधियों का केंद्र है। हालांकि इस प्रोजेक्ट के कारण करीब 5 लाख लोगों को कराची से दूसरी जगह पर ले जाना पड़ेगा। विशेषज्ञ सीपीईसी परियोजना के भविष्य पर भी सवाल उठा रहे हैं।
सिंध की राजधानी में अपनी जगह से हटाए जाएंगे 5 लाख लोग, बनेगा नया बंदरगाह
जापानी अखबार निक्केई के मुताबिक, चीन करीब साढ़े तीन अरब डॉलर इस परियोजना पर खर्च करेगा। चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता के मुताबिक, प्रोजेक्ट में कराची पोर्ट का विस्तार, मछली पकड़ने के लिए अन्य बंदरगाह का निर्माण और 640 हेक्टेयर में व्यापारिक जोन की स्थापना शामिल है। इसमें एक पुल भी बनाया जाएगा जो कराची बंदरगाह को मनोरा द्वीप समूह से जोड़ेगा।
इमरान ने बताया गेमचेंजर
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कराची को सीपीईसी में शामिल करने को गेमचेंजर करार दिया है। इमरान ने ट्वीट किया, इससे मछली पकड़ने वालों के लिए समुद्र साफ करने में मदद मिलेगी। गरीबों के लिए 20 हजार घर बनाए जाएंगे। कराची विकसित बंदरगाह शहरों में शामिल हो जाएगा।
दरअसल, चीन के लिए ग्वादर बंदरगाह बड़ा संकट बन गया था, जो बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है। चीनी नागरिकों और उसके निवेश पर लगातार बलूच विद्रोही हमले कर रहे थे। अभी अगस्त महीने में इसी इलाके में चीनी वाहन को निशाना बनाकर हमला किया गया था। इसमें दो बच्चों की मौत हो गई थी और 3 अन्य घायल हो गए थे। ग्वादर के आसपास बलूचों का विरोध पिछले काफी लंबे समय से जारी है।
सऊदी अरब भी लगाएगा रिफायनरी
चीन ही नहीं सऊदी अरब भी अब ग्वादर से अपने तेल रिफाइनरी प्रोजेक्ट को कराची ले जा रहा है। सऊदी अरब 10 अरब डॉलर के निवेश से कराची में तेल रिफाइनरी लगा रहा है। इससे पाकिस्तान सरकार को बड़ा झटका लगा था, जो ग्वादर को ऊर्जा हब के रूप में विकसित करना चाहती थी। अब ग्वादर से चीन भी अपने प्रॉजेक्ट को कराची ले जा रहा है। कराची का बंदरगाह पाकिस्तान का सबसे बड़ा पोर्ट है।
वाशिंगटन में दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ मलिक सिराज अकबर का मानना है कि कराची न केवल बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराता है, बल्कि यहां पर कानून व्यवस्था भी अच्छी है। उन्होंने कहा, चीनी चाहते हैं कि सीपीईसी चीन के बढ़ते प्रभाव का प्रतीक बने, उनके लिए यह मायने नहीं रखता है कि वह किसी इलाके में बन रहा है। चीन ने अब ग्वादर की जगह कराची को विकसित करने का समझौता भले ही कर लिया हो, लेकिन इसका क्रियान्वयन बहुत मुश्किल होने जा रहा है। अगर यह परियोजना शुरू होती है तो प्राकृतिक हरियाणा और ग्रीन बेल्ट नष्ट हो जाएगी।