भारत और ताइवान के बीच ट्रेड वार्ता की खबरों से चीन परेशान हो गया है। चीन की तरफ से भारत को ‘वन चाइना पॉलिसी’ याद दिलाई गई है। साथ ही कहा गया है कि चीन, दिल्ली और ताइपे के बीच होने वाली किसी भी आधिकारिक वार्ता के खिलाफ है। चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से भारत की मीडिया में आई खबरों पर बयान जारी कर ताइवान के साथ रिश्तों का विरोध दर्ज कराया गया है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान की तरफ से कहा गया है कि ‘वन चाइना पॉलिसी’ एक सिद्धांत है जिस पर भारत समेत बाकी अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने सहमति जताई है। लिजियान ने कहा, ‘यह चीन के लिए वह राजनीतिक आाधार भी है जिसके तहत वह दूसरे देशों के साथ रिश्ते आगे बढ़ाता है। ऐसे में हम चीन के साथ संबंध रखने वाले किसी भी देश के ताइवान के साथ किसी भी आधिकारिक संबंध के खिलाफ हैं।’ लिजियान ने कहा कि भारतीय पक्ष को वन चाइना पॉलिसी के लिए प्रतिबद्ध कहकर ताइवान से जुड़े मुद्दों से बचना चाहिए। साल 2018 में भारत और ताइवान के बीच एक द्विपक्षीय निवेश समझौता साइन हुआ था। इस समझौते का मकसद आर्थिक संबधों को बढ़ाना था।
वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक भारत और ताइवान के बीच साल 2019 में व्यापार 7.2 बिलियन डॉलर से बढ़कर 18 प्रतिशत पर पहुंच गया है। ताइवान पिछले कई वर्षों से भारत के साथ व्यापार वार्ता करना चाहता था लेकिन भारत इस तरह के कदम से अभी तक बचता आ रहा था। विदेश नीति के जानकारों की मानें तो नई दिल्ली बिना वजह चीन के साथ किसी भी जटिल स्थिति में नहीं पड़ना चाहता था। लेकिन अब जबकि बॉर्डर पर लगातार चीन की सेना आक्रामक है, सरकार अपनी नीति को बदल सकती है। केंद्र सरकार के अंदर इस बात की आवाज अब उठने लगी है कि ताइवान के साथ व्यापारिक समझौते के लिए वार्ता करनी चाहिए।
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आदर्श कुमार
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