छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की सरकार से सशर्त वार्ता पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कड़ा रख अपनाया है। रविवार को मीडिया से चर्चा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नक्सलियों को दो टूक कहा कि वे शर्त नहीं थोप सकते हैं। नक्सलियों को पहले हथियार का रास्ता छोड़ना होगा तभी उनसे बात संभव हो सकती है। दरअसल, मुख्यमंत्री का यह कड़ा बयान उस पत्र के बाद आया, जिसमें नक्सलियों ने कहा कि सरकार जंगल से फोर्स हटाए, जेल में बंद नक्सलियों को रिहा करे तो शांति वार्ता होगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि नक्सलियों के साथ शांतिवार्ता उनकी शर्तो पर नहीं बल्कि सरकार की नीति के अनुसार होगी। नक्सलियों की शर्तो को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सलियों के साथ बातचीत करने में राज्य सरकार को परहेज नहीं है, लेकिन बात सरकार की नीति और देश के संविधान के दायरे में ही होगी। नक्सलियों को पहले हथियार छोड़कर भारत के संविधान के प्रति आस्था जतानी पड़ेगी, तभी बातचीत हो सकेगी। नक्सलियों की शर्त पर किसी प्रकार की बातचीत नहीं हो सकती।
मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की बढ़ती तैनाती और लगातार हो रही कार्रवाई से नक्सली दबाव में आ रहे हैं। राज्य पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों की कार्रवाई से एक ओर जहां कई माओवादी लगातार आत्मसमर्पण कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गांवों के युवाओं में उनके प्रति लोकप्रियता घट रही है, जिससे नक्सली परेशान हैं। नक्सली प्रवक्ता विकल्प ने 12 मार्च को एक पर्चा जारी किया था, जिसमें सरकार से शांतिवार्ता को लेकर तीन शर्ते रखी थी।