गुजरात टाइटंस को चेन्नई सुपरकिंग्स ने IPL 2023 के फाइनल में हराकर पांचवीं बार खिताब जीता

चेन्नई सुपरकिंग्स ने IPL 2023 के फाइनल में गुजरात टाइटंस को हराकर पांचवीं बार खिताब जीता है। महेंद्र सिंह धोनी ने कप्तान के तौर पर सबसे ज्यादा बार IPL ट्रॉफी जीतने के मामले में मुंबई इंडियंस के रोहित शर्मा की बराबरी कर ली है। हालांकि, टीम और धोनी के लिए यह अचीवमेंट कतई आसान नहीं रहा। CSK पिछले सीजन में 10 टीमों में नौवें नंबर पर रही थी। 14 लीग मैचों में उसे सिर्फ 4 में जीत मिली।

इस बार भी जब सीजन शुरू हुआ तो कमजोर गेंदबाजी के कारण टीम को खिताब का दावेदार नहीं माना जा रहा था। कुछ मैचों के बाद ही इंग्लैंड के स्टार क्रिकेटर बेन स्टोक्स चोटिल होकर बाहर हो गए। तेज गेंदबाज दीपक चाहर भी चोटग्रस्त हो गए। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरी CSK ने तमाम कमजोरियों से पार पाते हुए चैंपियन बनने तक का सफर कैसे तय कर लिया? इस स्टोरी में इसी का जवाब तलाशेंगे। CSK की कमबैक स्टोरी को विस्तार से जानेंगे।
कोरोना काल की उठापठक के बीच 2 फेज में हुए 2021 सीजन का खिताब चेन्नई सुपर किंग्स ने जीता। 15 अक्टूबर को दुबई में टीम ने KKR को 27 रन से फाइनल हराया। 2022 में डिफेंडिंग चैंपियन पर खिताब बचाने की जिम्मेदारी थी, लेकिन सीजन से पहले मेगा ऑक्शन भी होना था।

ऑक्शन से पहले टीमें 4 ही खिलाड़ियों को रिटेन कर सकती थीं। ऐसे में CSK अपनी चैंपियन टीम से महेंद्र सिंह धोनी, रवींद्र जडेजा, मोईन अली और ऋतुराज गायकवाड को ही रिटेन कर सकी।
CSK को रिटेंशन की मजबूरी में 2021 का फाइनल जिताने वाले फाफ डु प्लेसिस समेत रॉबिन उथप्पा, अंबाती रायडू, ड्वेन ब्रावो, शार्दूल ठाकुर, दीपक चाहर, सुरेश रैना, इमरान ताहिर, लुंगी एनगिडी और मिचेल सैंटनर जैसे प्लेयर्स को रिलीज करना पड़ा।
12 और 13 फरवरी 2022 को हुए मेगा ऑक्शन में टीम ने अपने पुराने खिलाड़ियों को वापस लाने की कोशिश की। CSK ने रायडू, ब्रावो, चाहर और सैंटनर को खरीद भी लिया, लेकिन बाकी प्लेयर्स को टीम में शामिल नहीं कर सके।
2022 के मेगा ऑक्शन से पहले धोनी ने टीम मैनेजमेंट से कहा था कि वे उन्हें रिलीज कर ऑक्शन में कम कीमत देकर खरीदे, ताकि टीम के पास बेहतर खिलाड़ियों को खरीदने के लिए ज्यादा पैसे रहे। हालांकि, मैनेजमेंट ने 12 करोड़ रुपए में धोनी को रिटेन किया।
धोनी के ही कहने पर मैनेजमेंट ने रवींद्र जडेजा को टीम के सबसे महंगे खिलाड़ी के रूप में रिटेन किया। जडेजा को टीम 16 करोड़ रुपए की रकम देती है। सीजन शुरू होने से पहले ही धोनी की सलाह पर मैनेजमेंट ने जडेजा को टीम का नया कप्तान भी बना दिया। मैनेजमेंट का प्लान यह था कि धोनी के रिटायरमेंट से पहले उनकी मौजूदगी में नया लीडर तैयार कर लिया जाए। लेकिन, जडेजा को कप्तान बनाने का प्रयोग बुरी तरह फेल हो गया।जडेजा ने पिछले IPL के 8 मैचों में कप्तानी की और टीम 2 ही मैच जीत सकी। जडेजा ने बीच सीजन में कप्तानी छोड़ दी। धोनी ने फिर टीम की कमान संभाली, लेकिन बीच सीजन में कप्तानी बदलने के कारण टीम आखिरी 6 मैचों में भी 2 ही जीत सकी। 14 मैचों में महज 4 जीत से 8 अंकों के बाद चेन्नई पॉइंट्स टेबल में 9वें नंबर पर रही। IPL में ऐसा दूसरी बार ही हुआ था कि CSK प्लेऑफ के लिए क्वालिफाई करने से चूक गई।

धोनी के पास ऑप्शन था कि वे रिटायरमेंट ले लें और CSK को अपने हाल पर छोड़ दें। हालांकि, उन्होंने ऐसा नहीं किया। धोनी ने 2023 में भी खेलने और टीम की कप्तानी करने का फैसला किया। यहीं से CSK की कमबैक स्टोरी शुरू हो जाती है।
बीच सीजन कप्तानी छोड़ने के बाद जडेजा और CSK मैनेजमेंट में अनबन की खबरें सामने आने लगीं। रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि मैनेजमेंट जडेजा को कप्तानी के साथ टीम से भी निकालना चाह रहा है क्योंकि जडेजा ने बगैर मैनेजमेंट से चर्चा के कप्तानी छोड़ दी थी। इंजरी और अनबन के चलते वह सीजन में 10 ही मैच खेल सके।

ऐसे में सीजन खत्म होने के बाद धोनी ने जडेजा और मैनजमेंट से चर्चा की। उनके ही कहने पर 2023 सीजन से पहले CSK ने जडेजा को फिर रिटेन कर लिया। जडेजा ने भी मैनेजमेंट से अनबन की खबरों का खंडन कर दिया।
2023 IPL से पहले टीम के कैरेबियन ऑलराउंडर ड्वेन ब्रावो ने रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया। CSK ने ब्रावो को बॉलिंग कोच बना लिया लेकिन उनकी जगह एक ऑलराउंडर को टीम से जोड़ना जरूरी था। ऑक्शन में टीम ने फ्यूचर कप्तानी को देखते हुए 16.25 करोड़ रुपए में इंग्लैंड के बेन स्टोक्स को खरीदा।

रॉबिन उथप्पा बल्लेबाजी में जो रोल निभाते थे उसके लिए अजिंक्य रहाणे को खरीदा गया। श्रीलंका के मथीश पथिराना और महीश तीक्षणा ​​​​​​को टीम मेगा ऑक्शन में ही खरीद कर नए सीजन से पहले रिटेन कर चुकी थी।
2022 के खराब सीजन के बाद नए सीजन में CSK ने तय किया कि धोनी ही इस बार कप्तानी करेंगे। टीम का पहला ही मैच डिफेंडिंग चैंपियन गुजरात टाइटंस के खिलाफ अहमदाबाद में हुआ। टीम 5 विकेट से मैच हार गई, लेकिन धोनी ने 7 गेंद पर एक चौके और एक छक्के से 14 रन बना दिए।

अगला मैच CSK के होम ग्राउंड चेपॉक पर LSG के खिलाफ था। चेपॉक में टीम 4 साल बाद उतरी, फैंस की डिमांड के बाद भी धोनी 8वें नंबर पर बैटिंग करने उतरे। लेकिन उन्होंने 3 ही गेंद पर 2 छक्कों के सहारे 12 रन बना दिए। टीम आखिर में 12 रन से ही मैच जीत गई। उतार-चढ़ाव से भरे शुरुआती मैचों के बाद एक चीज साफ थी कि धोनी इस सीजन फॉर्म में है और अपने शुरुआती दिनों की ही तरह लंबे-लंबे छक्के लगाने लगे हैं।गुजरात के खिलाफ पहला मैच खेलने के बाद पावरप्ले स्पेशलिस्ट दीपक चाहर चोटिल हो गए। वहीं दूसरे मैच के बाद ऑलराउंडर स्टोक्स भी टीम से बाहर हो गए। मथीश पथिराना और महीश तीक्षणा इंटरनेशनल क्रिकेट में बिजी होने के कारण उस समय तक टीम से जुड़े नहीं थे।

पहले मैच में बॉलर्स 179 रन का स्कोर डिफेंड नहीं कर सके। दूसरे मैच में भी चेन्नई के गेंदबाज पिटे और 205 रन खा गए थे। तीसरे मैच में पिच धीमी थी फिर भी बॉलर्स ने 175 रन खर्च कर दिए । ऐसे में सीजन की शुरुआत में ही टीम के सामने चोटिल खिलाड़ी और अपने गेंदबाजों के ज्यादा रन लुटाने की चुनौती खड़ी हो गई।
टीम के चौथे मैच के बाद स्पिनर तीक्षणा और पांचवें मैच से तेज गेंदबाज पथिराना टीम से जुड़ गए। IPL के डेथ ओवरों में सबसे ज्यादा 95 विकेट ले चुके ब्रावो के रिटायरमेंट के बाद CSK के सामने डेथ ओवरों में अच्छे गेंदबाज की चुनौती आ खड़ी हुई थी। धोनी ने श्रीलंकाई दिग्गज लसिथ मलिंगा के बॉलिंग एक्शन की तरह गेंदबाजी करने वाले पथिराना को नया डेथ ओवर स्पेशलिस्ट बनाया।

पथिराना ने सीजन में 12 मैच खेले और टीम के लिए 19 विकेट लिए। इनमें से 18 विकेट उन्होंने 16 से 20 ओवरों के बीच ही निकाले। इतना ही नहीं उन्होंने पूरे सीजन महज 8.01 के इकोनॉमी रेट से रन दिए। उनकी किफायती गेंदबाजी के कारण टीम की गेंदबाजी भी मजबूत होने लगी।
कमजोर गेंदबाजी को देखते हुए धोनी ने टीम के हर गेंदबाज के वर्कलोड को सिंपल करने का फैसला किया। वे नहीं चाहते थे कि उनके कम अनुभवी गेंदबाज पूरी पारी के लिए खुद को तैयार करें और एक्स्ट्रा प्रेशर में रहें। धोनी ने हर गेंदबाज के लिए स्लॉट तय कर दिया। यानी हर गेंदबाज को पता था कि उसे पारी के किस फेज में गेंदबाजी करनी है और बाकी ओवर्स का टेंशन नहीं लेना है।

चाहर की गैर मौजूदगी में तुषार पांडे को पावरप्ले में दो ओवर और मैच के आखिरी हिस्से में दो ओवर डालने की जिम्मेदारी दी। तुषार रन खूब खाते थे लेकिन वे विकेट भी ले रहे थे। उन्होंने 16 मैचों में 9.92 के खराब इकोनॉमी रेट से रन दिए, लेकिन टीम के लिए सबसे ज्यादा 21 विकेट निकाले। इनमें पावरप्ले के 7 विकेट शामिल हैं।
चाहर ने भी 6 मैच मिस करने के बाद वापसी की। उन्होंने तुषार के साथ पावरप्ले में टीम की कमान संभाली और सीजन के 10 मैचों में 13 विकेट लिए। इनमें से 10 विकेट उन्होंने 1 से 6 ओवर के बीच ही निकाले।
रवींद्र जडेजा ने 7 से 15 ओवरों के बीच बॉलिंग डिपार्टमेंट की कमान संभाली। उन्होंने 16 मैचों में 20 विकेट लिए और सभी मिडिल ओवर्स में ही रहे। उनका इकोनॉमी रेट भी महज 7.56 का रहा।
मिडिल ओवर्स में जडेजा को महीश तीक्षणा और मोईन अली का साथ मिला। तीक्षणा ने 13 मैचों में 11 और मोईन ने 9 विकेट लिए।
डेथ ओवरों में तो पथिराना कमान संभाल ही रहे थे। 16 से 20 ओवरों के बीच उनके 18 विकेट से ज्यादा विकेट कोई भी गेंदबाज नहीं ले सका। गुजरात टाइटंस के मोहित शर्मा 13 विकेट के साथ दूसरे नंबर पर रहे।टीम इंडिया और IPL से लगभग बाहर हो चुके अजिंक्य रहाणे को CSK ने 50 लाख के बेस प्राइस पर खरीदा। CSK में आने से पहले रहाणे के साथ दिक्कत यह थी कि वे अपनी इनिंग्स में मोमेंटम नहीं ला पाते थे और धीमी बल्लेबाजी करने लगते थे। धोनी ने रहाणे को उम्मीद के विपरीत अटैकिंग बल्लेबाज का रोल दिया। रहाणे का काम पिच पर सोचना नहीं था कि कैसे बैटिंग की जाए। उनको हर हाल में तेज बैटिंग करने का निर्देश दिया गया।
रहाणे को नया रोल बहुत भाया और उन्होंने अपनी बल्लेबाजी को इस सीजन में पूरी तरह ट्रांसफॉर्म कर दिया। आम तौर पर 120 के आसपास की स्ट्राइक रेट से रन बनाने वाले रहाणे ने इस सीजन में 172 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए। रहाणे को मोईन अली के चोटिल होने के बाद चौथे मैच में मुंबई के खिलाफ मौका मिला था। रहाणे ने इस मैच में खुद को साबित किया और 19 गेंदों पर ही फिफ्टी लगा दी। उन्होंने 27 गेंदों पर 61 रन बनाए और अपनी टीम को जीत के करीब पहुंचा दिया।
रहाणे ने पूरे सीजन 14 मैच खेलकर 326 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 16 छक्के और 24 चौके भी लगाए। IPL में बेहतरीन फॉर्म और पिछले दिनों मुंबई के लिए घरेलू क्रिकेट में अच्छा करने के बाद उन्हें वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल की टीम इंडिया में भी सिलेक्ट कर लिया गया। उन्होंने चोटिल श्रेयस अय्यर को रिप्लेस किया।
बॉलर्स की समस्या सुलझाने और रहाणे के रूप में एक हिटर बल्लेबाज डेवलप करने के बाद धोनी ने अन्य बल्लोबाजों का रोल भी सेट किया। इन्होंने कैसा प्रदर्शन किया
ऋतुराज गायकवाड और डेवोन कॉन्वे ने पूरे सीजन ओपनिंग की। दोनों ने सीजन में 849 रन की पार्टनरशिप की। जो RCB के विराट कोहली और फाफ डु प्लेसिस के 939 रन के बाद सबसे ज्यादा रही।
शिवम दुबे को तेज स्ट्राइक रेट से बैटिंग और गेंदबाजों पर अटैक करने का रोल दिया गया। उन्होंने टूर्नामेंट के 16 मैचों में 35 छक्के लगा दिए। इस सीजन उनसे ज्यादा छक्के RCB के फाफ डु प्लेसिस ही लगा सके। दुबे ने 158.33 के स्ट्राइक रेट से 418 रन भी बनाए।
अजिंक्य रहाणे का रोल भी दुबे की तरह ही अटैक करना रहा। उन्होंने 172.48 के स्ट्राइक रेट से पूरे सीजन रन बनाए, टूर्नामेंट में 100 से ज्यादा गेंदें खेलने वाले बैटर्स के स्ट्राइक रेट के मामले में वह 5वें नंबर पर रहे।
नंबर-4 के बाद रवींद्र जडेजा, महेंद्र सिंह धोनी, अंबाती रायडु और मोईन अली पर फिनिशिंग की जिम्मेदारी रही। धोनी ने डेथ ओवर्स में CSK के लिए सबसे ज्यादा 10 छक्के लगाए। जडेजा ने सीजन में 11 चौकों और 9 छक्कों की मदद से टीम के लिए अहम पारियां खेलीं। रायडु लीग स्टेज में कुछ खास नहीं कर सके, वहीं मोईन को बाकी बैटर्स के अच्छे फॉर्म के कारण ज्यादा मौके नहीं मिले।​​​​​​​
CSK सीजन में इकलौती ऐसी टीम रही जिसने टूर्नामेंट के 12 मैचों में अपनी प्लेइंग-11 और इम्पैक्ट प्लेयर में कोई बदलाव नहीं किया। शुरुआत में कुछ खिलाड़ी चोटिल हो गए, वहीं कुछ खिलाड़ी नेशनल टीम के मैचों में बिजी थे। इसी कारण सही कॉम्बिनेशन सिलेक्ट करने में टाइम लग गया, लेकिन सभी प्लेयर्स के अवेलेबल होने के बाद टीम ने आखिरी मैचों तक बदलाव नहीं किए गए।बॉलिंग के मुकाबले टीम की बैटिंग ज्यादा स्ट्रॉन्ग थी। ऐसे में टीम ने सीजन के बीच ही अपनी बॉलिंग भी मजबूत की। जिसके सहारे CSK ने शुरुआती 7 में से 5 मैच जीत लिए। लेकिन टीम को 8वें और 9वें मैच में हार का सामना करना पड़ा। वहीं 10वां मैच बारिश में धुल गया। यानी टीम को 3 मैचों तक जीत नहीं मिली।

अब CSK को प्लेऑफ में क्वालिफाई करने के लिए आखिरी 4 मैचों में 3 जीत की जरूरत थी। टीम ने दिल्ली को 2 बार और मुंबई को एक बार हराया और प्लेऑफ में जगह बना ली। इस दौरान टीम को KKR के खिलाफ एक मैच में हार भी मिली।
CSK के कप्तान ने राजस्थान के खिलाफ 3 रन से मैच हारने के बाद कहा था कि वे मैच को आखिरी तक ले जाना चाह रहे थे। ताकि अगर वे हारे तो भी टीम का रन रेट मेंटेन रहे। टीम ने पूरे सीजन इस मानसिकता को बनाए रखा और LSG से बेहतर रन रेट होने के कारण नंबर-2 पर रहकर फिनिश किया।

पॉइंट्स टेबल के टॉप-2 में रहने के कारण टीम को क्वालिफायर-1 खेलने का मौका मिला जो चेन्नई के ही होम ग्राउंड चेपॉक पर होना था। जहां टीम ने 7 में से 4 मैच जीते थे।
23 मई को क्वालिफायर-1 में CSK का सामना टेबल टॉपर गुजरात टाइटंस से हुआ। मैच चेन्नई के होम ग्राउंड पर होना था और टीम टॉस भी हार गई। कप्तान धोनी ने टॉस के दौरान कहा था कि वह पहले बॉलिंग करना चाहते थे, लेकिन अब बैटिंग करनी होगी।

CSK ने पहले बैटिंग करते हुए 20 ओवर में 7 विकेट पर 172 रन बनाए। दूसरी पारी में गुजरात ने शुरुआत तो अच्छी की, लेकिन CSK ने लगातार विकेट लिए। टीम ने पावरप्ले में 2, मिडिल और डेथ ओवरों में 4-4 विकेट लेकर GT को 157 रन पर ही रोक दिया। टीम अच्छी गेंदबाजी के बाद क्वालिफायर-1 जीतकर सबसे पहले फाइनल में पहुंच गई और उन्होंने अपने होम ग्राउंड पर बेहतर जीत के रिकॉर्ड को भी बरकरार रखा।

चेपॉक में गुजरात को क्वालिफायर-1 हराने से पहले CSK और GT के बीच 3 मैच हुए थे। तीनों में ही गुजरात को जीत मिली थी। लेकिन प्लेऑफ में चेन्नई ने बाजी पलट दी।
डिफेंडिंग चैंपियन गुजरात टाइटंस को उन्हीं के होम ग्राउंड पर हराना किसी भी टीम के लिए चुनौती से कम नहीं था। टीम को यहां फाइनल से पहले 9 में से 6 मैचों में जीत मिली थी, इसी ग्राउंड पर टीम ने राजस्थान रॉयल्स को हराकर पिछला फाइनल जीता था। यहीं क्वालिफायर-2 में गुजरात ने 5 बार की चैंपियन मुंबई इंडियंस को भी हराकर फाइनल में जगह बनाई।
अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेले गए फाइनल में CSK ने टॉस जीतकर बैटिंग चुनी। टीम के गेंदबाज विकेट लेने के लिए तरस गए और गुजरात ने 20 ओवर में 214 रन बना दिए। CSK इस टारगेट को हासिल कर ट्रॉफी जीतती तो ये फाइनल का सबसे बड़ा चेज होता। दूसरी पारी शुरू होते ही शहर में बारिश होने लगी।

बारिश के कारण खेल करीब 2 घंटे तक रुका रहा और रात 12:10 बजे खेल फिर शुरू होने के बाद CSK को 15 ओवर में 171 रन का रिवाइज्ड टारगेट मिला।
बारिश से पहले टीम को 10.75 रन प्रति ओवर चाहिए थे, लेकिन बारिश के बाद टीम का जरूरी रन रेट 11.4 हो गया। CSK के ओपनर्स ने पहले ओवर से बड़े-बड़े शॉट्स लगाए और 4 ही ओवर में 52 रन की पार्टनरशिप कर दी।
5वें ओवर में बॉलिंग करने आए स्पिनर नूर अहमद ने 5 ही रन दिए, यहां से CSK पर प्रेशर आया। 7वें ओवर में नूर ने दोनों ही ओपनर्स को पवेलियन भेज दिया। चेन्नई का स्कोरिंग रेट धीरे हुआ, लेकिन अजिंक्य रहाणे ने कम गेंदों पर सेट होने के बाद 13 ही बॉल पर 27 रन बना दिए। लेकिन 11वें ओवर में वे भी मोहित शर्मा का शिकार हो गए।
अंबाती रायडू ने फाइनल से पहले कहा था कि IPL फाइनल उनके करियर का आखिरी मैच होगा। वे पूरे सीजन आउट ऑफ फॉर्म नजर आए, लेकिन फाइनल में 8 ही गेंदों पर 19 रन बनाकर उन्होंने भी साबित कर दिया कि वे क्यों बड़े खिलाड़ी हैं। उनकी छोटी लेकिन अहम पारी के बाद CSK को 15 गेंद में 22 रन की जरूरत पड़ी। ​​​​

13वें ओवर में गुजरात के गेंदबाज मोहित शर्मा ने शुरुआती 3 गेंदों पर 16 रन पिटने के बाद लगातार गेंदों पर रायडू और महेंद्र सिंह धोनी को आउट कर दिया। आखिरी ओवर में उनके सामने 13 रन डिफेंड करने की चुनौती थी। उन्होंने यहां शानदार शुरुआत की और 4 परफेक्ट यॉर्कर फेंक कर 3 ही रन दिए।
आखिरी 2 बॉल पर 10 रन की जरूरत थी। स्ट्राइक पर ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा थे, एक लाख से ज्यादा दर्शकों से भरे नरेंद्र मोदी स्टेडियम में बैठे CSK फैंस ने पूरे सीजन उनके विकेट की दुआ मांगी थी। क्योंकि उनके बाद ही धोनी बैटिंग करने आते थे। कई बार फैंस ने जड्डू की हूटिंग तक की, ताकि धोनी की बैटिंग आए। फाइनल में धोनी पहले बैटिंग करने तो आए, लेकिन खाता भी नहीं खोल सके।

धोनी के बाद पूरी जिम्मेदारी जड्डू पर आ गई। सीजन के 14 ही मैचों में 27 विकेट निकाल चुके मोहित शर्मा ने 4 यॉर्कर के बाद पांचवीं गेंद फुलर लेंथ फेंक दी। जडेजा क्रीज के अंदर गए और सामने की ओर छक्का लगा दिया। आखिरी गेंद पर 4 रन की जरूरत, स्टेडियम में सन्नाटा। पवेलियन में बैठे कप्तान धोनी ने आखें बंद कर लीं, उधर लाखों फैंस की धड़कनें थमी हुईं। टीवी पर मैच देख रहे फैंस की सांसें भी तेज हो गईं।

मोहित ने आखिरी बॉल लेग स्टंप पर फुल टॉस फेंकी। जडेजा अपने फ्रंटफुट को बॉल की लाइन में लाए, लगा कि बॉल पैड्स पर लगेगी, लेकिन जड्डू ने बैट से बॉल को दिशा दी और गेंद तेजी से फाइन लेग की ओर बाउंड्री पार कर गई। जड्डू खुश, नॉन स्ट्राइकर दुबे खुश, फैंस झूम उठे और जडेजा CSK पवेलियन की ओर धोनी से मिलने दौड़ पड़े। धोनी ने उन्हें देखते ही गोद में उठा लिया और दोनों की आंखों में 2022 के खराब सीजन से 2023 में 5वीं बार चैंपियन बन कर कमबैक करने तक का सफर चलने लगा।
शुरुआती मैचों में ही धोनी अपने घुटने पर पट्टी बांधें नजर आए। टीम के हेड कोच स्टीफन फ्लेमिंग ने भी कहा कि धोनी के घुटने में इंजरी है। इसी कारण उन्होंने पूरे सीजन विकेटकीपिंग की प्रैक्टिस भी नहीं की। उन्होंने फील्ड पर अपना नेचुरल गेम दिखाया और पूरा सीजन खेला।

चैंपियन बनने के बाद प्रेजेंटर ने धोनी से पूछा कि क्या ये आपका आखिरी सीजन था? इस पर धोनी बोले, ‘मेरे लिए आसान तो यही होगा कि मैं कह दूं धन्यवाद, अब और नहीं। लेकिन पहले ही मैच से फैंस ने जिस तरह का प्यार और सपोर्ट मुझे दिया। मैं 6-7 महीने अपनी फिटनेस पर काम कर अगले सीजन फिर से खेलने का मुश्किल फैसला लेना चाहूंगा। आखिर में अपनी फिटनेस को देखकर ही फैसला लूंगा कि मुझे खेलना है या नहीं।’
धोनी ने IPL फाइनल के बाद अपने शब्दों से फैंस को अगले सीजन भी उन्हें और CSK को सपोर्ट करने के लिए थाम दिया। टीम के सामने वैसे तो 2024 के IPL में भी कई चुनौतियां होंगी। लेकिन एक लिगेसी उनके पास अगले कई सालों तक बनी रहेगी और वो है टूर्नामेंट इतिहास में सबसे बड़ा कमबैक करने की लिगेसी।