अलाया अपार्टमेंट में बिल्डर के बाद अब जिला प्रशासन, लखनऊ विकास प्राधिकरण और नगर निगम की कार्य शैली पर सवाल खड़े होने लगे हैं। यहां के आवंटियों ने आरोप लगाया है कि पूरा मलबा हट गया, लेकिन अभी तक किसी के भी घर का कोई गहना और कैश नहीं मिला है। इस पूरे मामले में मलबा साफ करने वाले कर्मचारियों की कार्य शैली पर सवाल खड़ा हो रहा है।
यहां मकान नंबर 403 में रहने वाले वाले हनी हैदर बताते हैं कि अभी एक महीने पहले उनकी शादी हुई थी। उस दौरान करीब 12 लाख रुपए के गहने मिले थे। उसके अलावा कुछ कैश भी पड़ा था। उसमें से एक भी रुपए और कोई गहना नहीं मिला है। हालांकि जिस बैग में गहने पड़े थे वह मिल गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि दो दिन पहले उन्होंने बैग से कर्मचारियों को कुछ निकालते हुए देखा था। इसको लेकर वह मंडलायुक्त के सामने अपनी बात रखेंगे। उन्होंने कहा कि यह कैसे संभव है कि एक ही जगह पर सभी आवंटियों के घर के बैग पड़े मिले जिसमें गहने रखे गए हैं।
अपार्टमेंट में रहने वाले रूबा हैदर, आफरीन फातिमा, मोहमद युशूफ, रंजना अवस्थी, अब्बास हैदर समेत तमाम लोग हैं। इसमें से किसी भी व्यक्ति को उनका एक रुपए कैश नहीं मिला। न कोई गहना मिला है। अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर मलबे में से उनके जेवर, कैश के साथ लाखों रुपए की गृहस्थी के सामान कहां चले गए। बताया जा रहा है कि सभी आवंटियों को जोड़ दिया जाए तो करीब एक करोड़ रुपए के जेवर गायब हैं।
अब्बास हैदर बताते हैं कि उनके यहां तीन पीढ़ी के गहने पड़े थे। घर पर कार्यक्रम होने की वजह से तीन पीढ़ी के गहने अभी एक महीने पहले ही बैंक से निकाले थे। तय हुआ था कि आवंटियों के सामने मलबे हटाए जाएंगे। मलबा सामने हटना तो दूर की बात है, उसकी रिकॉर्डिंग भी नहीं कराई गई है। इसकी वजह से मंशा पर सवाल उठता है । इसके अलावा उनके बेटे के गुल्लक का पैसा भी गायब है। जबकि उसको सील कर रखा गया था। गुल्लक तो मिला, लेकिन पैसे गायब रहे। अपनी दिवंगत पत्नी उज्मा का जिक्र कर अपने आंसुओं को रोकते हुए उन्होंने रेस्क्यू ऑपरेशन के तौर तरीकों पर भी सवाल उठाया।
हादसे के शिकार अलाया अपार्टमेंट के लोगों का कहना है कि मंगलवार को कमिश्नर कार्यालय में बैठक है। बैठक में जांच कमेटी पीड़ितों के बयान लेगी। इस दौरान बताया जाएगा की किस तरह आपदा को अवसर बनाकर उनके सामना की लूट खसोट मची है। आवंटियों का कहना है कि राहत काम में हुई लापरवाही भी कमेटी के सामने उजागर की जाएगी।
पीड़ितों का कहना है कि सेना को बचाव काम की अनुमति न देने से हादसा और भयावह हो गया। घटना के तत्काल बाद सेना आ गई थी, लेकिन पुलिस को क्रेडिट दिलाने के चक्कर में अधिकारियों को सेना को अंदर ही नहीं आने दिया। जबकि सेना के पास आधुनिक उपकरण और प्रशिक्षित जवान थे, जो तेजी से बचाव काम कर सकते थे। उनका कहना है कि यह मुद्दा भी जांच कमेटी के सामने रखा जाएगा।