वकील बनकर मां को इन्साफ दिलाएगी बिलकीस बानो की बेटी, गैंगरेप के दौरान पेट में थी

5 महीने की प्रेग्नेंट बिलकिस बानो का 3 मार्च 2002 को एक बार नहीं, कई बार रेप हुआ। अब तक जो पता था, उसके मुताबिक बिलकिस का अजन्मा बच्चा नहीं बच पाया था। हालांकि अब एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि बिलकिस की कोख में जो बच्चा था, वो बच गया। 4 महीने बाद वो मां बनीं और एक बच्ची पैदा हुई।
ऊपर दिया डिस्क्रिप्शन है, बिलकिस की उस बेटी का, जिसने वो क्रूरता बिलकिस के गर्भ में झेली थी। मां का गैंगरेप हुआ, उसके हाथ-पांव तोड़ दिए गए, फातिमा फिर भी बच गई।
बिलकिस ने उसे गोधरा के जिला अस्पताल में जन्म दिया। 5 जुलाई, 2002 को दोपहर के वक्त पैदा हुई फातिमा इस साल लॉ कॉलेज में एडमिशन लेने की तैयारी कर रही है। हमने बिलकिस से अपने एक सूत्र के जरिए बात की। सवाल था- क्या बिलकिस बच्ची को एडवोकेट बनाना चाहती हैं?
जवाब मिला- ‘हां, दरअसल बच्ची का जन्म ही उस कानूनी लड़ाई के शुरुआती दौर में हुआ, जिसे वे आज तक लड़ रही हैं। इसलिए बिलकिस उसे वकील बनाना चाहती हैं।’
27 फरवरी को गोधरा कांड हुआ, इसके बाद 28 फरवरी से 4 मार्च के बीच बिलकिस के साथ जो हुआ, उसकी कहानी हमें इस घटना में बचे इकलौते चश्मदीद गवाह सद्दाम ने भी सुनाई। सद्दाम तब सिर्फ 7 साल के थे।
सद्दाम की कहानी के मुताबिक, उस वक्त 20 साल की बिलकिस दंगाइयों से रहम की भीख मांग रही थी। उसने उन्हें प्रेग्नेंट होने का हवाला भी दिया, खुदा का वास्ता दिया, लेकिन उन्होंने एक न सुनी। दंगाइयों के सिर पर मौत इस कदर सवार थी कि उन्होंने उसकी साढ़े तीन साल की बच्ची को पत्थर पर पटककर मार डाला। उस दिन कुल 14 लोगों की हत्या हुई। इनमें 2 दिन की मासूम बच्ची समेत 8 नाबालिग भी शामिल थे।

बिलकिस की एक बच्ची को तो दंगाइयों ने मार दिया था, लेकिन उसके गर्भ में जो बच्ची थी, वो बच गई। खतरा इतना बड़ा था कि उसका जिक्र पहले कभी किसी ने नहीं किया। खतरा आज भी है, क्योंकि बिलकिस के दोषी रिहा हो गए हैं। बिलकिस की बेटी अब खुद एडवोकेट बनने का सफर शुरू करने वाली है। उसकी 2 बहनें और 2 भाई भी हैं।
बिलकिस की लड़ाई में शुरुआत से साथ रहे मुख्तार मोहम्मद ने बताया, ‘फातिमा या दूसरे बच्चों के सामने बिलकिस और उनके पति उस हादसे का जिक्र तक नहीं करते, लेकिन यह हादसा ऐसा है जिसे छिपाया भी नहीं जा सकता। फिर फातिमा तो अब बालिग है।’

बिलकिस की वकील शोभा गुप्ता कहती हैं, ‘हम उसे लॉयर बनाएंगे। जो कुछ भी मदद हमसे हो पाएगी करेंगे। इस साल बस उसे लॉ कॉलेज में एडमिशन लेना है। हालांकि उसकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हमारे लिए उसके बारे में बहुत कुछ बताना मुमकिन नहीं है।’

हमारे एक सूत्र ने बताया, ‘वह बच्ची बेहद खुशमिजाज और बहादुर भी है। वह बिलकिस के साथ ही रहती है। बिलकिस या उनके पति याकूब घर में इस केस के बारे में जिक्र नहीं करते। ये पक्का है कि उसे सब कुछ पता है, पर चर्चा वो भी नहीं करती।’CBI जांच और 15 साल तक कोर्ट-कचहरी के बाद मई 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बिलकिस के 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। अगस्त, 2022 में गुजरात सरकार ने सभी को रिहा कर दिया। रिहाई पर सवाल उठे, तो दोषियों के अच्छे व्यवहार का हवाला दिया गया।

30 नवंबर, 2022 को बिलकिस ने सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 27 मार्च, 2023 को कोर्ट ने गुजरात सरकार से दोषियों की रिहाई से जुड़े कागज पेश करने के लिए कहा था। इस पर आज यानी 18 अप्रैल,2023 को सुनवाई होनी है।
बिलकिस केस के 11 दोषी बीते साल 15 अगस्त को रिहा किए गए थे। ये सभी गोधरा उपजेल में बंद थे। उनकी रिहाई के तीन मुख्य आधार बने।

पहला- रेमिशन पॉलिसी (जिसके तहत सजा में छूट मिलती है) के मुताबिक, उम्रकैद की सजा में माफी के लिए कम से कम 14 साल जेल में रहना ही होता है। सभी दोषी 18 साल जेल में काट चुके थे।
दूसरा- जेल में दोषियों का व्यवहार
तीसरा- क्राइम का नेचर।
शोभा गुप्ता कहती हैं, ‘ये तीन आधार तो माफी की अपील का अधिकार देते हैं। इसका यह कतई मतलब नहीं कि माफी मिलना पक्का है। इस मामले में तो लगता है कि यह न्यूनतम आधार ही रिहाई की गारंटी बन गए।’

क्या दोषियों की रिहाई से जुड़े डॉक्यूमेंट में क्राइम के नेचर का जिक्र है? इस पर वे कहती हैं, ‘पूरे डॉक्यूमेंट में प्रेग्नेंट, माइनर, गैंगरेप और मरने वालों की संख्या का जिक्र तक नहीं है। ये बातें अपराध की श्रेणी, उसकी भयावहता का आधार हैं। डॉक्यूमेंट में लिखा है कि बिलकिस के साथ गैंगरेप हुआ, कुछ लोगों की हत्या कर दी गई। अपराध की क्रूरता बताने वाले सबसे गहरे शब्दों को हटा दिया गया।’
डॉक्यूमेंट के 21वें पॉइंट में प्रदीप मोधिया का अपराध लिखा है। इसकी समरी में रेप और मर्डर का जिक्र है, लेकिन बिलकिस के प्रेग्नेंट होने, गैंगरेप और मरने वालों की संख्या नहीं है।एडवोकेट शोभा गुप्ता कहती हैं, ‘इस हादसे में बिलकिस ने अपना सपोर्ट सिस्टम भी खो दिया। मां, बहन, बुआ, भाई सब खत्म हो गए। उसके पास तो अपना दुख बांटने के लिए भी कोई नहीं बचा। हम दुखी होते हैं तो अपनों के पास जाते हैं, बिलकिस के लिए तो यह रास्ता भी उस हादसे ने बंद कर दिया।’

3 मार्च 2002 को बिलकिस की 45 साल की मां हलीमा का गैंगरेप और फिर मर्डर हुआ, दो छोटी बहनों 8 साल की मुन्नी और 17 साल की मुमताज की हत्या, दो छोटे भाई 11 साल के इरफान और 13 साल के असलम की हत्या। चचेरी बहन शमीम का गैंगरेप और फिर हत्या।

शमीम की 2 दिन की बच्ची की हत्या। बिलकिस की 35 साल की बुआ अमीना की हत्या। 55 साल के मामा मजीद की हत्या। 40 साल की बुआ सुगरा बहन की हत्या। 50 साल के फूफा यूसुफ मूसा की हत्या। चचेरी बहनें 17-18 साल की मदीना और 16-17 साल की मुमताज मूसा की हत्या हुई।

‘दोषी किस आधार पर रिहा किए, बिलकिस को अब तक जवाब नहीं मिला’
बिलकिस के घर से करीब 300 मीटर से लेकर 3 किलोमीटर तक सभी 11 दोषियों के घर हैं। इन सभी को उम्रकैद मिली। 15 अगस्त 2022 को सबको माफी दे दी गई। बिलकिस को इस बारे में तब पता चला, जब दोषियों के स्वागत की फोटो वायरल हुई।
शोभा गुप्ता कहती हैं कि ‘बिलकिस को उनकी रिहाई से पहले इस बारे में न तो जानकारी दी गई और न कोई नोटिस। बिलकिस ने फौरन RTI डाली। उसने यह जानना चाहा था कि आखिर इन दोषियों को कानून ने किस आधार पर माफ किया। वह पीड़ित है, उनकी रिहाई से उसके जीवन पर सीधा असर पड़ता है। उसकी सुरक्षा खतरे में आ जाती है, लेकिन उसे आज तक जवाब ही नहीं मिला।’

एडवोकेट कहती हैं, ‘रिट पिटीशन के लिए भी हमें डॉक्यूमेंट बड़ी मुश्किल से मिले। सुप्रीम कोर्ट से रिक्वेस्ट करने के बाद दिशा-निर्देश जारी होने पर ही हमें डॉक्यूमेंट मिल पाए।’