नई दिल्ली : आज संसद के बजट सत्र का दूसरा हिस्सा शुरू होने जा रहा है। इस सत्र के हंगामेदार होने की संभावना है क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली हिंसा में केंद्र सरकार की कथित विफलता पर इस्तीफा मांगेगी।बजट सत्र की पहला हिस्सा, जो 31 जनवरी को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा दोनों सदनों के संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए शुरू हुआ था, उस सक्ष में, सीएए पर विरोध प्रदर्शन देखा गया।यह बजट सत्र 3 अप्रैल तक चलेगा।
– केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज लोकसभा में डायरेक्ट टैक्स विवाद से विश्वास विधेयक 2020 पेश करेंगी।
– केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन आज लोकसभा में गर्भावस्था की समाप्ति (संशोधन) विधेयक 2020 पेश करेंगे
– केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल आज राज्यसभा में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक 2019 को पेश करेंगे।
– संसद के बजट सत्र के शुरू होने से पहले आम आदमी पार्टी(आप) के सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा में दिल्ली हिंसा पर नियम 267 के तहत सस्पेंशन ऑफ बिजनेस नोटिस दिया है। सीपीआई (एम) सांसद केके रागेशसांसद ने भी दिल्ली में हुई हिंसा पर नियम 267 के तहत राज्यसभा में सस्पेंशन ऑफ बिजनेस नोटिस दिया है।
सत्र के हंगामेदार होने के आसार
सोमवार से शुरू हो रहे बजट सत्र के दूसरे भाग के बहुत हंगामेदार होने के आसार नजर आ रहे हैं। एक तरफ जहां दिल्ली दंगे को लेकर विपक्षी दल एकजुट होकर सरकार को घेरने की रणनीति बना रहे हैं वहीं सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के प्रस्ताव के साथ पलटवार की तैयारी में जुटी है। माना जा रहा है कि एक महीने तक चलने वाले इस सत्र के पहले हफ्ते में तो कम से कम सदन के भीतर दंगे की तपिश महसूस की ही जाएगी। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर शुरू हुआ विरोध दिल्ली में हिंसक रूप ले चुका है।
NPR को लेकर हंगामा !
बिहार विधानसभा ने एनपीआर को प्रस्तावित नए प्रारूप पर नहीं बल्कि 2010 के प्रारूप के आधार पर ही कराने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। जाहिर है कि इसने भी विपक्षी दलों को नैतिक दबाव बनाने का मौका दे दिया है। बिहार चुनाव अब महज छह सात महीने दूर है। ऐसे में विपक्ष ने कमर कस ली है। बताते हैं कि कांग्रेस ने दूसरे विपक्षी दलों से भी बात कर ली है और संसद में सरकार को एकजुट होकर घेरने की रणनीति बनी है। जाहिर है कि ऐसे मे सरकार के लिए अपने सारे कामकाज को निपटाना आसान नहीं होगा।