संसद के आगामी बजट सत्र से संबंधित कार्यक्रम शनिवार को घोषित हो गया। इसके अनुसार 31 जनवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र में संसद के दोनों सदनों में शुरुआती दो दिन शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं होंगे। 31 जनवरी को राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के अभिभाषण से सत्र की शुरुआत होगी। राष्ट्रपति संसद के सेंट्रल हाल में दोनों सदनों (राज्यसभा और लोकसभा) के सदस्यों को संबोधित करेंगे। एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वर्ष 2022-23 का सरकार का बजट पेश करेंगी।
संसद के घोषित किए गए कार्यक्रम के अनुसार दो फरवरी से शून्यकाल होगा। इसके लिए सदस्य एक फरवरी को नोटिस दे सकते हैं। संसद के नियमों के अनुसार प्रश्नकाल और शून्यकाल प्रतिदिन 60-60 मिनट के होते हैं। 31 जनवरी को दिन में 11 बजे राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद देश का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा। एक फरवरी को दिन में 11 बजे वित्त मंत्री लोकसभा में बजट पेश करेंगी। यह पेपरलेस बजट होगा। इससे पहले 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहली बार पेपरलेस बजट पेश किया था।
बजट सत्र के मद्देनजर राज्यसभा सचिवालय ने राज्यसभा सदस्यों के लिए आचार संहिता जारी की है। यह आचार संहिता सभापति एम वेंकैया नायडू के निर्देश पर जारी की गई है। इस संहिता का प्रस्ताव सदन की आचार-विचार संबंधी समिति ने 14 मार्च, 2005 को सदन में पेश किया था और 20 अप्रैल, 2005 को इसे स्वीकार कर लिया गया था। इसमें कहा गया है कि राज्यसभा के सदस्यों को अपनी जिम्मेदारी और जन विश्वास के संबंध में जानकारी होनी चाहिए। इसके अनुसार लोगों की भलाई के लिए सदस्यों को परिश्रम और लगन से अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। सदस्यों को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जो संसद की मर्यादा के प्रतिकूल हो और उसकी विश्वसनीयता को चोट पहुंचे। सदस्यों को जन कल्याण को सर्वोपरि मानकर कार्य करना चाहिए।
विदित हो कि राज्यसभा में पिछले दो सत्रों में सत्ता पक्ष और विपक्ष के टकराव का नजारा दिखा है। इसके कारण सरकार के प्रस्ताव पर विपक्ष के 12 सदस्यों को 2021 के पूरे शीतकालीन सत्र के लिए सभापति नायडू ने निलंबित कर दिया था। निलंबित किए गए सदस्यों में शिवसेना के प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई, तृणमूल कांग्रेस के डोला सेन और शांता क्षेत्री, वामपंथी दलों के ई करीम और बिनय विश्वम, कांग्रेस के फूलो देवी नेताम, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन और अखिलेश प्रताप सिंह थे। इसके बाद मानसून सत्र में भी विपक्षी सदस्यों ने हंगामा करने की कोशिश की थी। उस दौरान उनकी सुरक्षाकर्मियों से हाथापाई हुई थी।