राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी के विधायकों के कांग्रेस में विलय होने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं. इसके साथ ही स्थानीय निकाय के चुनावों से पहले बोर्ड और निकायों में राजनीतिक नियुक्तियां भी कर सकते हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अचानक बुधवार को दिल्ली जाकर सोनिया गांधी से मुलाकात करने की वजह से यह अटकलें तेज हो गई हैं कि दो-चार दिनों के अंदर ही राजस्थान मंत्रिमंडल में विस्तार होगा.
कहा जा रहा है कि बहुजन समाज पार्टी के जो छह विधायक कांग्रेस में शामिल हुए हैं, उनमें से 3 को राज्यमंत्री और 3 को संसदीय सचिव बनाया जा सकता है. राजस्थान में मंत्री परिषद की संख्या 30 हो सकती है और फिलहाल 25 मंत्री हैं. ऐसे में 5 लोगों के लिए जगह खाली बचा है. कांग्रेस के अंतरिम राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने सचिन पायलट ने राज्य में कानून व्यवस्था की समस्या उठाते हुए कहा था कि इससे लोगों में संदेश ठीक नहीं जा रहा है कि हमने जिस वादे के साथ चुनाव लड़ा था, वह पूरा नहीं हो रहा है. इसे देखते हुए राज्य को गृहमंत्री भी मिल सकता है.
बदली हुई परिस्थितियों में अशोक गहलोत राज्य की राजनीति में बेहद मजबूत हो गए हैं और सचिन पायलट कमजोर हो गए हैं. अशोक गहलोत के पास आज के दिन में 120 विधायकों का बहुमत है. इनमें 6 बहुजन समाज पार्टी के विधायक शामिल हो चुके हैं और 13 निर्दलीय विधायक कांग्रेस के एसोसिएट मेंबर बन चुके हैं. इसके अलावा बीजेपी के बागी विधायक ने भी कांग्रेस का समर्थन दिया है. बहुत जल्द राष्ट्रीय लोक दल के विधायक और गहलोत सरकार में मंत्री बने सुभाष गर्ग भी कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं.