उत्तर प्रदेश विधानसभा का सत्र शुरू होने से पहले कांग्रेस और बसपा के दलों को झटका लगा है। विधानसभा नियमावली का हवाला देते हुए बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के कार्यालय को हटा दिया गया है। अब दोनों दलों के नेताओं को एक छोटा केबिन दिया जाएगा। विधानसभा सत्र की शुरुआत 29 नवंबर से होनी है।
विधान सभा में कार्यालय छीनने पर कांग्रेस और बसपा के नेताओं ने नाराजगी जताई है। विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे के अनुसार, दोनों दलों के लिए नए ऑफिस बनाए जाएंगे। वहीं, बसपा विधानमंडल दल के नेता उमाशंकर सिंह ने कहा कि इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर पार्टी के लिए कार्यालय आवंटित करने की मांग की जाएगी। फिलहाल, पार्टी को एक छोटा केबिन दिया गया है। अध्यक्ष द्वारा कार्यालय देने का आश्वासन पूर्व में दिया गया था।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के दो सदस्य है जबकि बसपा का एक सिर्फ एक ही सदस्य है। प्रदेश की 402 सदस्यीय विधानसभा में आराधना मिश्रा मोना व वीरेंद्र चौधरी कांग्रेस के सदस्य हैं। जबकि उमा शंकर सिंह बसपा के सदस्य हैं
विधानसभा सदस्य नियमावली 1987 की धारा 157 (2) ये कहती है कि ऐसे दल जिनकी सदस्य संख्या 25 या उससे अधिक है, उन्हें सचिवालय द्वारा कक्ष,चपरासी,टेलीफोन आदि उन शर्तों के साथ दिए जा सकते हैं जैसी विधान सभा अध्यक्ष निर्धारित करें। नियमावली के मुताबिक, 25 से कम सदस्यों वाले दल को कक्ष,आदि सुविधा का अधिकार है ही नहीं। बाकी अध्यक्ष विधानसभा के पास अधिकार हैं जैसा वो निर्धारित कर दें।