उत्तर प्रदेश में पिछले कई चुनाव बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा के लिए मुफीद नहीं रहे हैं. यहां तक बसपा, सपा, रालोद का गठबंधन भी सत्ता तक नहीं पहुंचा सका. इसके उलट राजनीतिक दलों को उनके मूल वोट बैंक में सेंध लगाने का मौका जरूर मिल गया. लिहाजा, बसपा चीफ मायावती का गठबंधन से फिलहाल मोहभंग है. उन्होंने पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए पदाधिकारियों को निर्देश दिए हैं. यह साफ संदेश बसपा प्रमुख मायावती ने यूपी और उत्तराखंड के पदाधिकारियों की बैठक में फिर से दिए, ताकि गठबधंन के कयासों पर विराम लग सके और समर्थकों का बसपा की रणनीति पर भरोसा कायम हो सके.
यूपी में 2007 में मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले से विधानसभा में 30.43 फीसद वोट हासिल किए. 2009 के लोकसभा चुनावों में भी बसपा 27.4 फीसदी वोट हासिल किए. 2012 में सोशल इंजीनियरिंग की चमक कमजोर पड़ गई. वोट गिरते हुए 25.9 फीसदी पर पहुंच गए. 2014 के लोकसभा चुनावों में बसपा को 20 फीसदी वोट मिले। 2017 में 23 फीसदी वोट मिले और लोकसभा चुनाव 2019 में 19.36 और 2022 में सिर्फ 18.88 फीसद वोट हासिल किए.
बसपा के यूपी अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कहा कि गांव-गांव कैडर कैम्प जारी हैं. इसमें बसपा के गठन, बाबा साहब और पार्टी संस्थापक कांशीराम, बहुजन समाज के महापुरुषों के विचारों से जनता को अवगत कराया जा रहा है. इन कैडर कैम्प के अलावा बैठकों में सर्वसमाज को बुलाया जा रहा है. खासकर गरीब सवर्ण को पार्टी से जोड़ने पर जोर दिया जा रहा है. पार्टी लोकसभा का चुनाव सर्वसमाज का सहयोग लेकर लड़ेगी. यूपी में 2007 में सर्वसमाज की बदौलत ही बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी.
राज्य में 1 लाख 74 हजार 359 बूथ हैं. बसपा का दावा है हर बूथ पर 5 सदस्यों की कमेटी बना दी गई है. इसके जरिये उसने 8 लाख 71 हजार 795 कार्यकर्ताओं की फौज गठित कर दी है. वहीं 10 बूथ पर एक सेक्टर कमेटी बनाई गई है. ऐसे में प्रदेश में करीब 17 हजार 435 सेक्टर कमेटी बनाने का दावा है. एक सेक्टर कमेटी में 12 मेम्बर हैं. लिहाजा सेक्टर कमेटियों में 2 लाख 9 हजार 220 पदाधिकारी व सदस्य रहेंगे. यह काम लगभग पूरा हो गया है. ऐसे में बीएसपी राज्य में 10 लाख 81 हजार से ज्यादा मुख्य कार्यकर्ताओं की टीम खड़ी कर ली है. इसके अलावा कैडर बनाकर लोगों को जोड़ जा रहा है.
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