PM मोदी बनाम राहुल पैटर्न वाली सियासी अदावत के चलन में बीजेपी ने प्रियंका बनाम राहुल का मुद्दा उछालकर एक नई लकीर खींचने का सियासी दांव चला है। रॉबर्ट वाड्रा के कंधे पर बंदूक रखकर बीजेपी ने नेहरू-गांधी परिवार के भीतर फूट डालने की सियासी मिसाइल दागी है।
रॉबर्ट वाड्रा ने कहा, “मुझे लगता है कि मैं अपने दफ्तर में बैठकर बहुत सी राजनीतिक चीजों का जवाब नहीं दे पाऊंगा। मुझे भी राजनीति में उतरना चाहिए। लेकिन, मेरा परिवार और पार्टी जब चाहेगी या हां बोलेगी, तब मैं चुनाव लडूंगा। मुझे हमेशा लगा है कि संसद में पहली जगह प्रियंका की है। पहले उसे जाना चाहिए। प्रियंका ने बहुत मेहनत की है। उन्हें संसद में होना चाहिए। प्रियंका के बाद ही मैं राजनीति में कदम रखना चाहता हूं।
BJP पर पलटवार करते हुए प्रियंका ने ट्वीट किया है। लिखा है, “बीजेपी वालों, महंगाई और बेरोजगारी के इस दौर में यही बकवास मुद्दा बचा है? सॉरी….मगर आपके छोटे दिमाग का यह सपना कभी साकार नहीं होगा। मेरे भाई और मेरे बीच एक दूसरे के प्रति सिर्फ़ प्रेम, विश्वास, आदर और वफ़ादारी है और हमेशा के लिए रहेगी।”
प्रियंका ने लिखा, “वैसे घबराओ मत, आपके झूठ, लूट और खोखले प्रचार के अहंकार को हम दोनों बहन-भाई – देश के करोड़ों बहन-भाइयों के साथ मिलकर तोड़ेंगे। रक्षा बंधन की शुभकामनाएं। भाई-बहन के बीच प्रेम का उत्सव है, इसे सकारात्मक भाव से मनाइयेगा।”
प्रियंका की सक्रिय चुनावी भूमिका को यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के बयान ने हवा दी। उन्होंने कहा था, “प्रियंका जिस भी सीट से चाहें, चुनाव लड़ सकती हैं। हम उन्हें जीत दिलाने के लिए पूरा दम लगा देंगे।” यह पूछ जाने पर कि प्रियंका को मोदी के मुकाबले लाकर कांग्रेस क्या संदेश देना चाहती है?राय ने जवाब दिया कि हम यह बताना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री के सामने कोई मजबूती से खड़ा है। पार्टी प्रियंका गांधी को वाराणसी से चुनाव लड़ाने की इच्छुक है। वह इसके लिए जल्द पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को प्रस्ताव भेजेंगे।
अजय राय के बाद आध्यात्मिक गुरु और कांग्रेस समर्थक आचार्य प्रमोद कृष्णम का बयान आया। 19 अगस्त को उन्होंने कहा कि अगर चुनाव जीतना है, तो हमें (कांग्रेस) प्रियंका की मदद लेनी चाहिए। उन्हें पीएम कैंडिडेट बनाया जाए।
मोदी बनाम प्रियंका का चुनाव होना चाहिए। चूंकि यह देश का सवाल है। ऐसे में प्रियंका से अधिक लोकप्रिय चेहरा विपक्ष में नहीं है। उनकी क्रेडिबिलिटी, एक्सेसिबिलिटी और पॉपुलैरिटी का कोई सानी नहीं है। हालांकि, इसके तुरंत बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा ने सफाई दी कि राहुल गांधी ही कांग्रेस का चेहरा हैं
साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौर में पर्दे के पीछे रहकर कांग्रेस के चुनाव प्रचार को धार देने वाली प्रियंका की सक्रिय भूमिका रायबरेली और अमेठी तक ही सीमित रहती थी। वह अपनी मां सोनिया और भाई राहुल के चुनावी दौरे, प्रत्याशियों के चयन, मीडिया प्रबंधन से लेकर दूसरे चुनावी प्रबंधन की देखरेख करती थीं
तब कांग्रेस के तत्कालीन महासचिव और गांधी परिवार के सबसे विश्वस्त व करीबी रहे जनार्दन द्विवेदी ने ये बयान देकर सबको चौंका दिया था। उन्होंने कहा था कि 1990 में राजीव गांधी ने उनसे कहा था कि उनकी इच्छा है कि प्रियंका ही राजनीतिक विरासत संभालें। हालांकि, इस बयान को लेकर तब बाकी कांग्रेसी दिग्गजों ने चुप्पी साध ली थी।
ये बात दीगर है कि कांग्रेस समर्थकों का बड़ा धड़ा प्रियंका को चुनावी जीत के ट्रंप कार्ड के तौर देखता रहा था। हालांकि, यूपी के साल 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रियंका के वुमेन कार्ड बुरी तरह फ्लॉप हुआ। कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद प्रियंका के नेतृत्व को लेकर उठ रहे तमाम सवालों का माकूल हिमाचल के चुनावी नतीजों ने जवाब दिया।
बीते साल दिसंबर में हिमाचल में बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने में प्रियंका ने अहम किरदार निभाया। इस चुनाव में नेहरू-गांधी परिवार की ओर से अकेले प्रियंका ने ही पूरे चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी। सोशल मीडिया कैंपेन से लेकर पोस्टर-बैनर तक पूरा चुनाव प्रचार प्रियंका गांधी के चेहरे पर ही केन्द्रित रहा। प्रत्याशियों के चयन में भी प्रियंका ने ही अंतिम मुहर लगाई, तो बीस दिनों के भीतर सात बड़ी चुनावी रैलियां करके बीजेपी स्टार प्रचारकों को कड़ी टक्कर देकर चुनावी मात भी दे दी।
हिमाचल की जीत के बाद कर्नाटक की जीत ने प्रियंका के सियासी कद में और इजाफा किया। इस साल हुए कर्नाटक चुनाव में बीजेपी के हिंदुत्व के मुद्दों का सामना प्रियंका ने बेहद सधे अंदाज में किया। कांग्रेस की बड़ी चुनावी कामयाबी के तुरंत बाद प्रियंका गांधी शिमला के प्रसिद्ध जाखू मंदिर पहुंची जहां हनुमान जी की पूजा-अर्चना करके बीजेपी के हिंदुत्व के दांव का अपने ही अंदाज से जवाब दिया।
दो राज्यों में हुई कड़ी चुनावी टक्कर के बाद कांग्रेस की जीत की इबारत रचने वाली प्रियंका की सभाओं की मांग कई राज्यों में तेजी से बढ़ी। कांग्रेस पार्टी के भीतर ये मांग बुलंद हुई कि प्रियंका गांधी को आने वाले अलग-अलग राज्यों के विधानसभा चुनावों में पार्टी के जनाधार को आगे बढ़ाने के लिए बड़ी जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
पहले हिमाचल प्रदेश और फिर कर्नाटक में चुनावी रणनीति को सफलतापूर्वक लागू करने वाली प्रियंका को एकबारगी फिर से चुनावों में कांग्रेस पार्टी के लिए ट्रंप कार्ड के तौर पर देखा जाने लगा है। पार्टी के एक धड़े का मानना है कि प्रियंका गांधी आम लोगों से तो अच्छे से कनेक्ट करती ही हैं, साथ ही महिला वोटरों के संग संवाद करके पैठ बनाने में भी सफल रहती हैं।
इस साल के अंत तक होने वाले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस की ओर से प्रियंका को सफलता के प्रतीक के तौर पर पेश करने की रणनीति तैयार की गई है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, चुनाव प्रचार की औपचारिक शुरुआत प्रियंका करेंगी, तो नियमित सभाएं और रैलियों में हिस्सेदारी करेंगी।
बीते दिनों राहुल गांधी की संसद सदस्यता अयोग्यता के दौर में जब प्रियंका की बड़ी भूमिका लेकर कांग्रेसी खेमे में सुर गूंजे, तो कांग्रेस नेता उदितराज ने इससे जुड़े सवालों को गैर जरूरी करार देते हुए कहा था कि प्रियंका गांधी की अहम भूमिका है, लेकिन राहुल गांधी ही सर्वोच्च लीडर हैं और मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के अध्यक्ष।
योगी सरकार में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार कपिल देव अग्रवाल ने इस मामले में कहा, “जब इनकी पार्टी में किसी और को नेतृत्व या काम करने का मौका मिला तो वो टिक नहीं पाए। जब मनमोहन जी प्रधानमंत्री थे तब भी कमान केवल सोनिया गांधी जी के हाथों में रही थी। इसलिए मुझे लगता है कि परिवार में वर्चस्व होना स्वाभाविक है। मुझे लगता है कि सोनिया जी राहुल गांधी को ज्यादा स्नेह करती हैं। बेटी तो दूसरे घर की होती है। इसलिए सोनिया जी को लगता है कि प्रियंका दूसरे घर की बेटी हैं।”
इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस के कई दिग्गज नेता ये कहकर बात करने से कतरा गए कि नेहरू-गांधी परिवार का भीतरी मामला है। संवेदनशील मुद्दा है। वहीं, यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि ये बीजेपी की मनगढ़ंत कहानी है। रक्षा बंधन भाई-बहन का सबसे पवित्र दिन है। ऐसे दिन इस तरीके के वीडियो पोस्ट करके लोग मनगढ़ंत कहानियों को पेश कर रहे हैं। फिलहाल, चुनाव लड़ने ना लड़ने का फैसला उनके (प्रियंका) ऊपर है।
यूपी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने स्मृति ईरानी को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा, “जब से हम लोगों ने बात उठाई है कि राहुल अमेठी से चुनाव लड़ने वाले हैं, स्मृति ईरानी का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। वो बौखला गई हैं। दो दिन से घूम रही हैं और लोगों को अनाप-शनाप बोल रही हैं।” यहां
UP कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने दावा किया है कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे। इसके साथ ही उन्होंने प्रियंका गांधी से वाराणसी से चुनाव लड़ने की गुजारिश की है। राय ने गुरुवार को ही पार्टी अध्यक्ष का पद संभाला है। उन्होंने ये बातें वाराणसी में कहीं।